हिंदू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। चातुर्मास अर्थात 4 महीनों की ऐसी अवधि जब भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में सनातन धर्म में इस दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास या चौमासा की ये अवधि शुरू होती है और कार्तिक माह की एकादशी तिथि को इसका समापन हो जाता है।
लेकिन सवाल उठता है कि, आखिर चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य वर्जित क्यों होते हैं? इस वर्ष चातुर्मास कब से प्रारंभ हो रहा है? चातुर्मास के दौरान क्या कुछ कार्य करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है? आपके इन्ही सब सवालों का जवाब हम आपको अपने इस विशेष लेख के माध्यम से देने का प्रयत्न करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं चातुर्मास इस वर्ष कब से शुरू हो रहा है।
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चातुर्मास 2024 कबसे?
चातुर्मास चार महीना की अवधि होती है जिसमें श्रावण महीना, भाद्रपद महीना, अश्विन माह और कार्तिक महीना शामिल होते हैं। इन महीनों में जहां एक तरफ मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं वहीं चातुर्मास की अवधि में यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से पूजा, अर्चना, तप, दान, पुण्य करें तो इससे उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। बात करें वर्ष 2024 में चातुर्मास कब से प्रारंभ हो रहा है तो इस साल चातुर्मास 17 जुलाई से प्रारंभ हो जाएगा और 12 नवंबर को इसका समापन होगा।
चातुर्मास 2024 में 5 महायोग
इस वर्ष का चातुर्मास 118 दोनों का होने वाला है और चातुर्मास की शुरुआत 17 जुलाई से हो रही है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं जैसे शुक्ल योग, सौम्या योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग। मान्यता है कि इन शुभ योगों में अगर भगवान शिव और विष्णु की पूजा की जाए तो इससे व्यक्ति को कई गुना शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।
चातुर्मास में क्यों नहीं किए जाते हैं शुभ काम?
धार्मिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन से भगवान विष्णु के साथ सभी देवी देवता योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान पृथ्वी का सारा कार्य भार महादेव संभालते हैं और कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान निद्रा से जाते हैं और यही वजह है कि चातुर्मास की इस अवधि में सनातन धर्म में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।
चातुर्मास 2024 में नहीं लगेगा खरमास- जानें प्रभाव
वर्ष 2024 के चातुर्मास के दौरान अधिक मास या खरमास नहीं लगने वाला है जिसके चलते सभी त्योहार समय से पूर्व अर्थात पिछले वर्ष की तुलना में 11 दिनों पहले ही मनाए जाएंगे।
चातुर्मास में क्या करें?
चातुर्मास के दौरान भगवान की भक्ति करने पूजा पाठ करने, भजन कीर्तन करने का विशेष महत्व बताया गया है। चातुर्मास के दौरान व्रत, साधना, सेवा, तप आदि किया जाए तो इससे व्यक्ति को अपने जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। साथ ही भगवान का आशीर्वाद भी ऐसे व्यक्तियों के जीवन पर हमेशा के लिए बना रहता है। चातुर्मास की अवधि साधु संतों के लिए साधन और स्वाध्याय का महीना होता है। इस दौरान धर्म, व्रत और पुण्य के काम करने वाले लोगों को विशेष फल प्राप्त होते हैं। इसके अलावा इन महीनों में अगर ध्यान और तप आदि भी किया जाए तो इससे भी इंसान को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
चातुर्मास का यह समय साधना का समय होता है। ऐसे में इस दौरान श्री हरि की उपासना करें, आप इसके लिए विशेष अनुष्ठान, मंत्र, जप, गीता आदि का पाठ भी कर सकते हैं। चातुर्मास के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों को धन, वस्त्र, छाता, चप्पल और ज़रूरी चीजों का दान करें। चातुर्मास के दौरान संयमित जीवन जीएँ, सुबह जल्दी उठें, रात को जल्दी सोएँ और समय पर भोजन करें।
चातुर्मास में क्या काम भूल से भी ना करें?
चातुर्मास के दौरान भूमि पूजन, मुंडन संस्कार, विवाह, तिलक समारोह, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार जैसे सभी मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। इसके अलावा इस अवधि में किसी भी तरह का कोई नया काम नहीं शुरू किया जाना चाहिए। कहते हैं कि अगर चातुर्मास के दौरान कोई शुभ काम शुरू भी करें तो इससे व्यक्ति को शुभ परिणाम नहीं प्राप्त होते हैं।
चातुर्मास के दौरान दही, मूली, बैंगन और साग का सेवन भी वर्जित होता है। इस दौरान झूठ, छल, कपट, नशा जैसी आदतों से दूर रहें। इसके अलावा बहुत से लोग चातुर्मास के दौरान व्रत रखते हैं या विशेष साधना करते हैं। अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं तो इस दौरान यात्रा न करें।
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चातुर्मास के ये नियम और फायदे जानते हैं आप?
चातुर्मास का यह समय काफी महत्वपूर्ण भी होता है। ऐसे में इस अवधि से संबंधित कुछ विशेष नियम और उनके महत्व बताए गए हैं जैसे कि,
- चातुर्मास के दौरान सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
- इस दौरान अंडा, मछली, मांस, प्याज़, लहसुन जैसी तामसिक वस्तुओं का भोजन वर्जित माना जाता है। खान-पान के इन नियमों का पालन किया जाए तो धार्मिक दृष्टि के साथ-साथ यह सेहत के लिए भी अनुकूल रहता है।
- इसके अलावा चातुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना भी शुभ फलदाई रहता है क्योंकि इन महीनों में तामसिक प्रवृत्तियां बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं जो व्यक्ति को गलत रास्ते पर ले जाने का प्रयत्न करती हैं।
इसके अलावा अगर आप चातुर्मास में विशेष तौर पर 10 नियमों का पालन करते हैं तो इससे आपको लाभ भी मिलेगा। चलिए जान लेते हैं क्या कुछ हैं ये नियम और उनके लाभ।
- चातुर्मास के दौरान व्रत अवश्य करें।
- इस दौरान भूमि पर सोएँ।
- सूर्योदय से पहले उठ जाएँ।
- अच्छे से स्नान करें।
- जितना हो सके मौन रहें।
- इन चार महीनों के दौरान दिन में केवल एक बार ही उत्तम भोजन करें। रात्रि में फलाहार कर लें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- ध्यान योग और सत्संग में हिस्सा लें।
- भगवान विष्णु और शिव की उपासना करें और अपने पितरों का तर्पण करें और जितना हो सके गरीब और ज़रूरतमन्द लोगों को दान करें।
अब बात करेंगे नियमों से मिलने वाले लाभ की तो,
- इससे सेहत में सुधार आता है।
- ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है।
- मानसिक दुख दूर होते हैं।
- मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- पापों का नाश होता है।
- मानसिक विकार दूर होते हैं और मानसिक दृढ़ता प्राप्त होती है।
- पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
- महादेव और श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है।
- सुख समृद्धि बढ़ती है।
- धन धान्य में वृद्धि होती है।
- भाई बांधों का सुख प्राप्त होता है।
- आत्मविश्वास, त्याग समर्पण की भावना विकसित होती है।
चातुर्मास में कर लिए ये काम तो बदल जाएगा भाग्य
चातुर्मास के दौरान कुछ विशेष कार्य करने से व्यक्ति को जीवन में तमाम तरह के शुभ परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं। जैसे,
- अगर आप अपने मान सम्मान में वृद्धि करवाना चाहते हैं तो चातुर्मास के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में उठें, जमीन पर सोएँ। ऐसा करने से समाज में आपका मान सम्मान बढ़ेगा और बल और बुद्धि का आशीर्वाद मिलेगा।
- नौकरी में तरक्की प्राप्त करना चाहते हैं तो आप चातुर्मास के दौरान चप्पल, छाता, कपड़ों का दान करें। ऐसा करने से महादेव की प्रसन्नता हासिल होती है और आपके सभी कार्य पूरे होने लगते हैं।
- शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त करनी है तो चातुर्मास के दौरान धार्मिक ग्रंथो या फिर मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से आपके जीवन की परेशानियां भी दूर होने लगेगी और आपको शत्रुओं से भी छुटकारा मिलेगा।
- अगर आपके जीवन में कर्ज का बोझ बढ़ गया है तो चातुर्मास के दौरान अन्न और गोदान अवश्य करें।
- जीवन में सकारात्मकता और सुख शांति के लिए चातुर्मास के दौरान श्रीमद् भागवत का पाठ अवश्य करें।
चातुर्मास के दौरान व्रत-त्योहार
वर्ष 2024 का चातुर्मास पूरे 118 दिनों तक चलने वाला है। हालांकि पिछले साल के चातुर्मास की बात करें तो यह 148 दिनों का था। इसमें एक अधिक मास या खरमास था। हालांकि वर्ष 2024 में अधिक मास या खरमास नहीं लगने वाला है और यही वजह है कि सभी व्रत और त्योहार 11 दिन पहले ही मनाए जाएंगे।
दरअसल जब वैदिक आधार पर मास की गणना की जाती है तो यह चंद्रमा के आधार पर होती है। इसके आधार पर साल में 354 दिन होते हैं जबकि सूर्य के अनुसार साल में 365 दिन होते हैं। सौर वर्ष और चंद्र वर्ष में 11 दोनों का अंतर होता है। किसी मास में अधिक होने पर इन दिनों की गणना उसमें कर दी जाती है।
बात करें वर्ष 2024 में चातुर्मास के दौरान पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों की तो इसकी सूची हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी अगस्त के महीने में मनाई जाएगी, हरतालिका तीज 6 सितंबर को है, जलझूलनी एकादशी 14 सितंबर को है, अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को है, पितृपक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हो जाएगी और शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो जाएंगे, दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा और दीपावली 1 नवंबर को होगी।
4 अगस्त 2024 दिन रविवार को श्रावण अमावस्या और हरियाली अमावस्या
7 अगस्त 2024 दिन बुधवार को हरियाली तीज
9 अगस्त 2024 दिन शुक्रवार को नाग पंचमी
19 अगस्त 2024 दिन सोमवार को रक्षा बंधन, श्रावण पूर्णिमा व्रत
22 अगस्त 2024 दिन गुरुवार को संकष्टी चतुर्थी, कजरी तीज, बहुला चौथ
26 अगस्त 2024 दिन सोमवार को जन्माष्टमी
27 अगस्त 2024 दिन मंगलवार को दही हांडी
6 सितंबर 2024 दिन शुक्रवार को हरतालिका तीज और वराह जयंती
7 सितंबर 2024 दिन शनिवार को गणेश चतुर्थी और गणेश उत्सव शुरू
8 सितंबर 2024 दिन रविवार को ऋषि पंचमी
16 सितंबर 2024 दिन सोमवार को कन्या संक्रांति और विश्वकर्मा जयंती
17 सितंबर 2024 दिन मंगलवार को अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन
18 सितंबर 2024 दिन बुधवार को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, पितृ पक्ष शुरू और चंद्र ग्रहण
25 सितंबर 2024 दिन बुधवार को जीवित्पुत्रिका व्रत
3 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को शरद नवरात्रि और घटस्थापना
11 अक्टूबर 2024 दिन शुक्रवार को दुर्गा महा नवमी पूजा और दुर्गा महा अष्टमी पूजा
12 अक्टूबर 2024 दिन शनिवार को दशहरा और शरद नवरात्रि पारण
13 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को दुर्गा विसर्जन
20 अक्टूबर 2024 दिन रविवार को संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ
29 अक्टूबर 2024 दिन मंगलवार को धनतेरस और प्रदोष व्रत
1 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को दिवाली और कार्तिक अमावस्या
2 नवंबर 2024 दिन शनिवार को गोवर्धन पूजा
3 नवंबर 2024 दिन रविवार को भाई दूज
7 नवंबर 2024 दिन गुरुवार को छठ पूजा
चातुर्मास उपाय
चातुर्मास की यह अवधि ध्यान साधना पूजा तप के साथ-साथ अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आने के लिए भी बेहद उपयुक्त बताई गई है। अगर आप भी अपने जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं तो नीचे हम आपको कुछ बेहद ही सरल ज्योतिषीय उपायों की जानकारी दे रहे हैं।
चातुर्मास के दौरान अगर आप दूध, दही, घी, शहद, मिश्री और पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करते हैं तो आपको अक्षय सुख की प्राप्ति होती है।
चातुर्मास के दौरान चांदी के बर्तन में अगर आप हल्दी भरकर दान करेंगे तो इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, आपके जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है, साथ ही आपकी तिजोरी हमेशा भरी रहती है।
चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु के समक्ष दीप और गुग्गल जलाने से व्यक्ति के जीवन में धन की कभी भी कोई कमी नहीं रहती है।
इसके अलावा चातुर्मास में अगर आप अन्न, वस्त्र, कपूर, छाता, चप्पल का दान करते हैं तो भगवान भोलेनाथ की कृपा से आपको नौकरी, व्यवसाय और करियर में उन्नति मिलती है।
चातुर्मास में अन्न और गाय का दान करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है, आय के नए स्रोत मिलते हैं और धन लाभ के योग बनने लगते हैं।
चातुर्मास के दौरान अगर आप अपने ईष्ट देवता की पूजा करते हैं, उनसे संबंधित मंत्रों का जाप करते हैं तो आपके जीवन से रोग, दोष और ग्रह दोष दूर होते हैं और आपकी मनोकामनाएं पूरी होती है।
चातुर्मास के दौरान पीपल के पेड़ की सेवा अवश्य करें। ऐसा करने से और प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाने और दीपक जलाने से कभी ना खत्म होने वाले पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख शांति बनी रहती है।
इसके अलावा अगर आप मनोकामना पूर्ति चाहते हैं तो चातुर्मास के दौरान मां लक्ष्मी, मां पार्वती, भगवान गणेश, अपने पितृ देवों की पूजा अवश्य करें। ऐसा करने से आपके घर में खुशहाली आएगी और संतान सुख भी बनता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
उत्तर: इस साल चातुर्मास 17 जुलाई से प्रारंभ हो जाएगा और 12 नवंबर को इसका समापन होगा।
उत्तर: चातुर्मास 4 महीनों की अवधि को कहा जाता है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और सभी शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।
उत्तर: चातुर्मास के दौरान भगवान की भक्ति करने पूजा पाठ करने, भजन कीर्तन करने का विशेष महत्व बताया गया है।
उत्तर; भगवान विष्णु, महादेव, माँ लक्ष्मी, ईष्ट देव