वैदिक ज्योतिष में ग्रहण लगने का बहुत महत्व है। सभी ग्रहों में सूर्य और चंद्रमा को ही ग्रहण लगता है और शास्त्रों में ग्रहण काल को लेकर कुछ खास नियम बनाए गए हैं। साल 2024 में दो बार चंद्र ग्रहण लगना था जिसमें से एक 25 मार्च को लग चुका है और दूसरा 18 सितंबर को लगेगा।
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कब लग रहा है चंद्र ग्रहण
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को बुधवार के दिन लगेगा। इसकी शुरुआत सुबह 07 बजकर 43 मिनट पर होगी और यह सुबह 08 बजकर 46 मिनट पर खत्म होगा। यह ग्रहण भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को लग रहा है।
यह दक्षिण अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका और पश्चिम यूरोप में उपछाया चंद्रग्रहण होगा। भारत के अधिकांश हिस्सों में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। उपछाया चरण के शुरुआती चरणों में ही उत्तरी और उत्तरपश्चिमी भारतीय शहरों में चंद्र ग्रहण दिखने वाला है। भारत में इसे सामान्य ग्रहण के रूप में नहीं बल्कि आंशिक, उपछाया ग्रहण के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
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कब लगता है चंद्र ग्रहण
जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, तब चंद्र ग्रहण लगता है। इस संरेखण की वजह से पृथ्वी की छाया चंद्रमा की सतह पर पड़ती है और इससे सूर्य की रोशनी कुछ समय के लिए अवरुद्ध हो जाती है। पृथ्वी और चंद्रमा की समकालिक गतिविधियों की वजह से ऐसा होता है। जिस समय पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक ही रेखा में आते हैं, तब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है और हमें पृथ्वी से ऐसा दिखाई देता है जैसे कि चंद्रमा धुंधला नज़र आ रहा है। इस असामान्य घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
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सूतक काल कब है
ग्रहण को लेकर सूतक काल भी बहुत महत्व रखता है। ग्रहण लगने से लगभग नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। चूंकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे रहा है या आंशिक ग्रहण है इसिलए भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
सूतक काल के दौरान मांगलिक या शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इस समय मूर्ति पूजा, शादी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
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चंद्र ग्रहण 2024 से जुड़ी जरूरी बातें
- सितंबर, 2024 में लगने वाला ग्रहण आंशिक चंद्र ग्रहण होगा।। यह ग्रहण भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को लग रहा है।
- भाद्रपद माह में मीन राशि में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रभाव में होने वाली इस घटना के कारण वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ सकता है। दूध और फलों के उत्पादन में कमी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा चावल, जौ, सफेद धातु, कपास, तिल, पीतल और सोने के दाम में भी इज़ाफा देखने को मिलेगा।
- यह आंशिक चंद्र ग्रहण लगने पर तांबा, सोना, मक्का, चांदी, बारूद, तेल, बाजरा, चना, ज्वार और उड़द की दाल एवं कपास आदि की मांग और दामों में वृद्धि होगी।
- इस ग्रहण के दौरान महिलाओं की गर्भावस्था को लेकर चिंताएं बढ़ सकती हैं। इस दौरान गर्भपात का जोखिम भी अधिक रहेगा। आंखों से जुड़े रोग और पाचन संबंधी विकार होने की भी आशंका है।
- इस ग्रहण से आर्थिक उन्नति हो सकती है। सरकारी संस्थानों में भी प्रगति देखने को मिलेगी।
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चंद्र ग्रहण के दौरान करें ज्योतिषीय उपाय
ग्रहण से मिलने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के लिए आप निम्न ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं:
- ग्रहण काल के समय आप ईश्वर का स्मरण करते रहें। मंत्र जाप करें या ईश्वर के नाम का जाप करते रहें।
- ग्रहण के समय चंद्रमा के बीज मंत्र का जाप करना भी फायदेमंद होता है।
- इस ग्रहण के दौरान राहु और केतु का प्रभाव तेज हो जाता है इसलिए आप ग्रहण के समय इन दोनों ग्रहों के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। इनसे संबंधित वस्तुओं का दान करने से भी लाभ होता है।
- ग्रहण के समय आप दान करने का मौन संकल्प लें और ग्रहण खत्म होने के बाद अपने इस संकल्प को पूरा करें।
- यदि किसी व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी है, तो उसे इस ग्रहण के दौरान भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
- इस समय हनुमान जी की उपासना करना भी शुभ रहता है।
- चंद्र ग्रहण के मोक्ष काल के बाद आप अग्नि के नाम पर काले तिल, सरसों, गेहूं, चीनी, सफेद रंग के वस्त्रों और चावल का दान कर सकते हैं। मोक्ष काल के बाद पवित्र नदी में स्नान करने का भी बहुत महत्व है।
- ग्रहण समाप्त होने के बाद सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को काटने, सिलने या बुनाई आदि का काम नहीं करना चाहिए।
- ग्रहण के खत्म होने पर पूरे घर को गंगाजल से शुद्ध करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण है।
उत्तर. इस समय शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
उत्तर. ग्रहण से नौ घंटे पहले का समय सूतक होता है।
उत्तर. ग्रहण के बाद स्नान कर लेना चाहिए।
उत्तर. ग्रहण के दौरान सोने से बचना चाहिए।
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