चंद्र ग्रहण 2022: गर्भवती महिलाएं हो जाए सावधान! चंद्र ग्रहण के दौरान भूल से भी न करें ये काम

सनातन धर्म में ग्रहण को अशुभ घटना माना गया है जो सभी लोगों के जीवन के साथ-साथ वातावरण को भी प्रभावित करता है। साल का अंतिम और दूसरा चंद्र ग्रहण पूर्णिमा तिथि यानी 08 नवंबर 2022 मंगलवार के दिन लगने जा रहा है। वहीं साल का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को लगा था। इस ब्लॉग में हम चर्चा करेंगे गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दौरान किन-किन विशेष सावधानियों का पालन करना चाहिए। साथ ही, ये भी जानेंगे चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती स्त्रियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। तो सबसे पहले जानते हैं चंद्र ग्रहण 2022 की तिथि और समय के बारे में। 

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चंद्र ग्रहण 2022 की तिथि और समय 

दिवाली के अगले दिन पड़े सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद नवंबर में साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण पड़ने जा रहा है। यह चंद्र ग्रहण कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर लगेगा। इस ग्रहण की शुरुआत 05 बजकर 28 मिनट पर होगी और इसका समापन 07 बजकर 26 मिनट पर होगा। इस चंद्र ग्रहण को भारत में देखा जा सकेगा इसलिए यहाँ सूतक काल मान्य होगा। अब आगे बढ़ने से पहले जानते हैं कि क्या होता है चंद्र ग्रहण।

चंद्र ग्रहण का अर्थ एवं महत्व 

अगर हम चंद्र ग्रहण की बात करें तो, खगोल विज्ञान के अनुसार, ग्रहण को खगोलीय घटना माना जाता है फिर चाहे वह चंद्र ग्रहण हो या सूर्य। चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा एक रेखा में आते हैं और सूर्य तथा चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है। ऐसे में, पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। सामान्यशब्दों में, पृथ्वी, सूर्य और चंद्र के बीच में आकर चंद्रमा को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेती है तब चंद्र ग्रहण घटित होता है। 

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चंद्र ग्रहण का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है और यह घटना अधिकतर पूर्णिमा के दिन होती है। सूर्य और चंद्र दोनों ग्रहों के दौरान ही किसी भी तरह का शुभ एवं मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है, साथ ही भगवान की पूजा करने की भी मनाही होती है। हालांकि, चंद्र ग्रहण का असर मानवीय जीवन समेत चर-अचर सभी पर पड़ता है लेकिन इस दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। आइये अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं गर्भवती स्त्रियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। 

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चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान   

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रहण का प्रभाव समूचे मानव जाति पर पड़ता है इसलिए इन नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए विशेष सावधानियों का पालन करना पड़ता है खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को, अन्यथा आपको और शिशु को चंद्र ग्रहण के दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को इन बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।

  • चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए क्योंकि ग्रहण से निकलने वाली नकारात्मक किरणों का असर शिशु पर पड़ सकता है। 
  • गर्भवती स्त्रियों को ग्रहणकाल के दौरान उठने और बैठने में एहतियात बरतनी चाहिए। आपको चंद्र ग्रहण के दौरान हाथ या पैर मोड़कर नहीं बैठना चाहिए। इसका असर गर्भ में पल रहे शिशु पर हो सकता है।  
  • आपको बता दें ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर में कहीं भी ताला लगाकर न रखें, चूंकि इसका असर शिशु के अंगों पर पड़ने की संभावना बनी रहती है।
  • जो स्त्रियाँ गर्भवती है उन्हें चंद्र ग्रहण के दौरान नुकीली चीज़ें जैसे कि चाकू, सुई आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • गहने या धातु से बनी किसी भी वस्तु जैसे सेफ़्टी पिन, हेयर पिन आदि को चंद्र ग्रहण के दौरान इस्तेमाल न करें।
  • चंद्र और सूर्य दोनों ही ग्रहों में सोना अशुभ माना गया है। यही वजह है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहणकाल के दौरान सोने से बचना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। 
  • ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को कुछ भी खाने-पीने से परहेज़ करना चाहिए।  
  • गर्भ में पल रहे शिशु को त्वचा संबंधित रोगों से बचाने के लिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए। 

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गर्भवती महिलाएं चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें?

  1. सनातन धर्म में दान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में, चन्द्र ग्रहण के बाद दान अवश्य करना चाहिए, इस दिन चंद्र ग्रहण के बाद गर्भवती महिलाएं सफ़ेद रंग की वस्तु जैसे दही, दूध, वस्त्र आदि का दान करें। साथ ही, दान करते समय घर के पितरों का स्मरण करें। 
  2. गर्भवती महिलाओं को चन्द्र ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान अपनी जीभ पर तुलसी का एक पत्ता रखकर दुर्गा स्तुति और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए जिससे चन्द्र ग्रहण का अशुभ प्रभाव बच्चे के ऊपर न पड़ें।
  3. चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपने साथ एक नारियल रखना चाहिए। ऐसा करने से चंद्र ग्रहण से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा को नारियल अपने अंदर समाहित कर लेता है।

चंद्र ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म के अनुसार, सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को राहु-केतु के साथ जोड़कर देखा जाता है और इससे संबंधित एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है जो इस प्रकार हैं: धर्म शास्त्रों के अनुसार, स्वरभानु नामक एक दैत्य था जिसने समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से निकलने वाले अमृत की कुछ बूंदों का अमृतपान कर लिया था। स्वरभानु ने छल से देवताओं का रूप धारण किया और  देवताओं की कतार में जाकर बैठ गया लेकिन सूर्य देव और चंद्र देव ने उस असुर को पहचान कर इस बात की जानकारी मोहिनी रूप में भगवान विष्णु को दे दी। इसके परिणामस्वरूप भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर उसके धड़ से अलग कर दिया। लेकिन तब तक असुर अमृतपान कर चुका था इसलिए उसका सिर यानी राहु और धड़ यानी केतु सदैव के लिए अमर हो गए। उस समय से राहु और केतु बदला लेने के उद्देश्य से सूर्य और चंद्र पर ग्रहण लगाते आ रहे हैं।

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