हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार किसी भी पूजा या शुभ और मांगलिक कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया जाता है। विघ्नहर्ता अपने भक्तों की सभी कष्ट और परेशानियां दूर कर उनके जीवन में सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसके अलावा सप्ताह में बुधवार (Budhwar Vrat) यानी आज का दिन भगवान गणेश (Budhwar Bhagwan Ganesh Puja) की पूजा, भगवान गणेश व्रत कथा (Lord Ganesha Vrat Katha) के लिए निर्धारित किया गया है।
तो आइए जानते हैं बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा (Budhwar Ganesh Puja Vidhi) की विधि, बुधवार व्रत कथा(Budhwar Vrat Katha), महत्व और इस दिन से संबंधित व्रत कथा (Lord Ganesh Vrat Katha) क्या कहती है।
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बुधवार व्रत पूजन का महत्व (Budhwar Puja Mahatva)
भगवान गणेश को बुद्धि विवेक और धन का स्वामी माना गया है। ऐसे में आज यानि की बुधवार के दिन जो कोई भी भक्त सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ गणपति बप्पा की पूजा करता है उसके घर में हमेशा सुख शांति और संपदा बनी रहती है। इसके साथ ही दुख और कष्ट दूर करने के साथ-साथ भगवान ऐसे जातकों के जीवन में शुभता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
बुधवार का व्रत करने और इस दिन की कथा सुनने (Budhwar Vrat Katha) से इंसान के जीवन में आई हुई किसी भी तरह की कष्ट और परेशानी और विपदा हमेशा के लिए दूर हो जाती है। इसके अलावा यदि आपके जीवन में कोई काम अचानक से होते होते रुक जाए या अटक जाए या उसमें विघ्न आ जाए तो भी भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह दी जाती है। जिससे सभी रुके हुए काम अच्छे ढंग से संपन्न होते हैं।
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भगवान गणेश व्रत कथा (Bhagwan Ganesh Vrat Katha)
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक विधवा अपनी बहू के साथ रहती थी। बहू थोड़ी मंदबुद्धि थी और उसे भूख बिलकुल बर्दाश्त नहीं होती थी। ऐसे में वह रोजाना सुबह उठकर सबसे पहले खाना खाया करतेती थी। एक दिन विधवा ने अपने घर में एक पूजा रखी लेकिन उसे इस बात की चिंता थी कि उसकी बहू सुबह उठकर ही खाना खाने चली जाएगी। ऐसे में भगवान के लिए बना प्रसाद झूठा हो जाएगा।
ऐसा सोचकर उसने बहू को कुछ समय के लिए घर से दूर रखने की तरकीब निकाली। उसने सुबह अपनी बहू को एक मटका दिया जिसमें नीचे से छेद था। उसने अपनी बहू से कहा कि, आज पूजा है इसलिए तू जा कर पानी का इंतज़ाम कर ले। हालाँकि बहू भी चालाक थी। उसने यह देख लिया था कि, मटके में नीचे छेद है। ऐसे में उसने घर से बना हुआ आटा चुपके से निकाल लिया और मटकी में पानी भरने चली गई।
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कुएँ के पास पहुंच कर उसने आटे से रोटियाँ बनाई और पास ही में चल रही आग पर अपनी रोटियाँ सेक ली। इसके बाद उसे नज़दीक ही गणेश भगवान का मंदिर नजर आया जहां पर किसी ने भगवान गणेश के समक्ष घी रखा था। बहू ने उसकी को अपनी रोटी पर लगा लिया और खा गई। इस हरकत को देखकर भगवान गणेश को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने अपनी नाक पर उंगली चढ़ा ली।
कुछ समय बाद जब गांव वालों ने ऐसा देखा तो उन्हें बड़ा अचरज हुआ और उन्होंने भगवान गणेश को लाख समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने अपनी उंगली वापस नहीं उतारी। धीरे-धीरे बात राजा तक पहुंची, फिर पंडितों को बुलाया गया और ज्योतिषियों को भी बुलाया गया। हालाँकि भगवान गणेश ने ऊँगली नहीं हटाई। तब राजा ने ऐलान किया कि, जो भी भगवान गणेश को नाक से उंगली हटाने के लिए मना लेगा उसे 5 गांव इनाम के तौर पर आ जाएगा।
तब विधवा की बहू ने कहा कि, क्या मैं कोशिश करूँ? इस बात पर सभी हँसने लगे। हालांकि क्योंकि अब तक लाख जतन के बावजूद भगवान गणेश का गुस्सा कम नहीं हुआ था तो लोगों ने सोचा कि चलो एक बार यह भी कर के देख लेते हैं। इसके लिए बहू ने शर्त रखी कि, मेरे घर से लेकर मंदिर तक एक पर्दा बांध दिया जाए। लोगों ने ऐसा ही किया।
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इसके बाद बहू ने अपने कपड़े में एक मोगरी छुपाई और मंदिर पहुंच गई। यहां जाकर उसने भगवान गणेश को चेतावनी दी कि, अपनी उंगली हटा लो नहीं तो एक मोगरी मार के मैं आपके टुकड़े-टुकड़े कर दूंगी। भगवान गणेश को लगा कि, यह औरत पूरी तरह पागल है कहीं मुझे सच में मोगरी ना मार दे। ऐसा सोचकर उन्होंने अपने नाक से उंगली हटा ली। जिसे देखकर गांव वाले बेहद खुश हुए और बहू का जय जय कारा करने लगे।
इसके बाद राजा के ऐलान के मुताबिक बहू को 5 गांव इनाम में दिए गए। बताया जाता है कि, तब से ही बुधवार का व्रत करने वाले लोग इस कथा (Budhwar Vrat Katha) को सुनते हैं और दूसरों को सुनाते हैं और भगवान गणेश से यही वरदान मांगते हैं कि, जैसे उन्होंने बहू की बात मानी वैसे ही हमारी बात मान कर हमारी मनोकामना की पूर्ति करें।
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