एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको बुध वृश्चिक राशि में उदय (11 दिसंबर 2024) से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय, प्रभाव आदि। हम अपने पिछले लेखों में आपको बताते आये हैं कि ग्रहों की राशि या अवस्था में होने वाला बदलाव सीधे तौर पर संसार समेत मनुष्य जीवन को प्रभावित करते हैं। अब बुध महाराज वृश्चिक राशि में उदित होने जा रहे हैं और ऐसे में, जातकों को अपने जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के परिणामों की प्राप्ति होगी। अगर आप जानना चाहते हैं वृश्चिक राशि में बुध की उदित अवस्था के बारे में सब कुछ, तो इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
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सिर्फ इतना ही नहीं, बुध महाराज को नवग्रहों में युवराज का दर्जा प्राप्त है और ऐसे में, जब यह अपनी अवस्था में बदलाव करते हुए उदय, अस्त, वक्री या मार्गी होते हैं, तो इसका प्रभाव पूरे विश्व पर नज़र आता है। हालांकि, बुध देव की उदित अवस्था को शुभ कहा जाता है, परंतु ऐसा जरूरी नहीं है कि यह सभी 12 राशियों को शुभ परिणाम देंगे क्योंकि इनके उदित होने से उन लोगों की समस्याएं बढ़ सकती हैं जिनकी कुंडली में यह अशुभ स्थिति में थे, परंतु घबराएं नहीं, यहां हम आपको बुध वृश्चिक राशि में उदित के दौरान किये जाने वाले उपाय भी प्रदान कर रहे हैं। चलिए अब आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते है बुध उदित का समय।
कब और किस समय अस्त अवस्था से बाहर आएंगे बुध देव?
बुद्धि के कारक ग्रह बुध देव 11 दिसंबर 2024 की शाम 07 बजकर 44 मिनट पर वृश्चिक राशि में अपनी अस्त अवस्था से बाहर आते हुए उदित हो जाएंगे। बता दें कि बुध ग्रह 30 नवंबर 2024 को मंगल ग्रह की राशि वृश्चिक में अस्त हो गए थे और तक़रीबन 11 दिन अस्त अवस्था में शक्तिहीन रहने के बाद अब यह पुनः उदित होंगे। बुध उदय की तिथि एवं समय बताने के बाद हम आपको रूबरू करवाते हैं ज्योतिष में इनके महत्व से।
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ज्योतिषीय दृष्टि से बुध ग्रह
हिंदू धर्म में जहाँ बुध ग्रह को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, तो वहीं वैदिक ज्योतिष में इन्हें देवताओं का दूत कहा गया है। यह मनुष्य के जीवन में संचार कौशल, बुद्धि, वाणी और अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। बुध को नौ ग्रहों का “राजकुमार” कहा जाता है जो कि राशि चक्र की दो राशियों मिथुन और कन्या के अधिपति देव भी हैं। बता दें कि कन्या राशि में बुध उच्च के होते हैं जबकि मीन इनकी नीच राशि है।
सप्ताह के सात दिनों में बुध महाराज को बुधवार का दिन समर्पित होता है। इनकी शुभ स्थिति जातक को बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद देती है। बुध ग्रह की कृपा पाने के लिए पन्ना रत्न धारण करना सर्वश्रेष्ठ होता है। हालांकि, यह तटस्थ स्वभाव वाले दोहरी प्रकृति के ग्रह हैं जिनकी गणना शुभ ग्रहों में होती है। बात करें मनुष्य के शरीर की, तो बुध ग्रह चेहरे, हाथ, बाल, नाक, तंत्रिका तंत्र, मांसपेशियों, नाभि और जीभ आदि को नियंत्रित करते हैं। शुक्र और शनि को इनका मित्र माना गया है जबकि बुध मंगल से शत्रुता का भाव रखते हैं।
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कुंडली में मज़बूत बुध का प्रभाव
बुद्धि, वाणी, संचार कौशल और व्यापार के कारक ग्रह बुध व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखते है इसलिए ऐसे जातक जिनकी कुंडली में बुध ग्रह शुभ तथा मजबूत स्थिति में होते हैं, उनका संचार कौशल बहुत शानदार होता है। साथ ही, यह हाज़िर जवाब होते हैं और ऐसे जातकों को व्यापार के साथ-साथ वकालत और वाणिज्य के क्षेत्र में सफलता मिलने की प्रबल संभावना होती हैं।
इसके अलावा, इन लोगों का गणित काफ़ी मज़बूत होता है और यह अच्छे वक्ता होते हैं। मज़बूत बुध वाले राजनीति और कूटनीति पर अच्छी पकड़ रखते हैं। जिन जातकों के लिए बुध शुभ होते है, उन्हें व्यापार में बेहतरीन परिणाम मिलते हैं। ऐसे लोग व्यापार को सफलतापूर्वक करने और उसे आगे ले जाने में सक्षम होते हैं। बुध ग्रह का गुण या अवगुण यह भी है कि यह कुंडली में जिस ग्रह के साथ होते हैं, उसी के अनुसार परिणाम देते है।
कमज़ोर बुध का कुंडली में प्रभाव
जहां बुध महाराज की शुभ स्थिति जातक के जीवन को सफलता से भर देती है। वहीं, इनकी कमज़ोर या अशुभ स्थिति व्यक्ति के जीवन को समस्याओं से भरने का काम करती है। जिन जातकों की कुंडली में बुध दुर्बल स्थिति में होते हैं, उन्हें कई तरह के उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
सरल शब्दों में कहें तो, किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध देव की स्थिति इस बात का निर्धारण करती है कि आपकी बात करने का तरीका कैसा होगा? आपका व्यवहार दूसरों के प्रति कैसा है? ऐसे में, जब बुध कमजोर होते हैं, तब आपके भीतर विवेक की कमी रहती है और वह सही निर्णय लेने में समर्थ नहीं होते हैं क्योंकि इसका सीधा असर निर्णय लेने की क्षमता पर पड़ता है। इसके अलावा, बुध व्यक्ति की सुंदरता को भी प्रभावित करते हैं।
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इन सरल ज्योतिषीय उपायों से करें बुध ग्रह को मज़बूत
- बुध यंत्र की घर में स्थापना करें और रोज़ाना उसकी पूजा-अर्चना करें।
- प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- बुधवार के दिन व्रत करना भी फलदायी रहता है।
- अगर कुंडली में बुध अशुभ स्थिति में होता है, तो प्रतिदिन स्नान के बाद बुध ग्रह के मंत्रो “ॐ बुं बुधाय नमः”, “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” आदि का जाप करना चाहिए।
- श्रीहरि विष्णु और बुध ग्रह की नियमित रूप से आराधना करें।
- संभव हो, तो ज्यादा से ज्यादा हरे रंग के वस्त्र धारण करें।
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बुध वृश्चिक राशि में उदय: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बुध ग्रह को बुद्धि, वाणी, तर्क, संचार कौशल और व्यापार का कारक माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, बुध देव 11 दिसंबर 2024 को वृश्चिक राशि में उदित हो जाएंगे।
जब कोई ग्रह सूर्य के निकट जाकर अस्त हो जाता है और अपनी शक्तियां खो देता है। हालांकि, ग्रह के सूर्य से एक निश्चित दूरी पर आने से वह अपनी शक्तियां पुनः पा लेते है और इसे ही उदित होना कहा जाता है।