बुधवार 24 फरवरी के दिन प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2021) किया जा रहा है। प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन किया जाने वाला एक बेहद ही पुण्यदाई व्रत कहा जाता है। इस व्रत को लेकर लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा के साथ प्रदोष व्रत रखता है उससे सौ गाय दान जितना पुण्य फल प्राप्त होता है।
बुधवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) कहा जाता है। तो आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है? इस व्रत का महत्व क्या होता है? और साथ ही जानते हैं बुध प्रदोष व्रत के दौरान क्या कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं।
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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Budh Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
बुध प्रदोष व्रत 24 फरवरी 2021, दिन बुधवार
माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि आरंभ तिथि: 24 फरवरी को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर
माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्ति तिथि: 25 फरवरी को शाम 05 बजकर 18 मिनट पर
प्रदोष व्रत महत्व (Pradosh Vrat Mahatva)
- जीवन में सभी तरह की सुख सुविधाओं और आर्थिक संपन्नता के लिए प्रदोष व्रत बेहद ही कारगर माना जाता है। विशेष तौर पर शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से व्यक्ति को जीवन में सभी तरह की सुख सुविधाएं नसीब होती हैं।
- इसके अलावा लंबी आयु का वरदान प्राप्त करने के लिए भी प्रदोष व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जिस भी व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त करना हो या रोग और बीमारियों से छुटकारा पाना हो उन्हें विशेष तौर पर रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने की सलाह दी जाती है।
- इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत बेहद ही शुभ माना जाता है। जिन दंपतियों को संतान रत्न की प्राप्ति करनी हो उन्हें शनिवार प्रदोष व्रत करने की विशेष तौर पर सलाह दी जाती है।
- सिर्फ इतना ही नहीं कर्ज मुक्ति के लिए भी प्रदोष व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण और पुण्यदाई माना गया है। ऐसे में सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से व्यक्ति को कर्ज जैसी बड़ी समस्या से छुटकारा मिलता है।
बुध प्रदोष व्रत की सही पूजन विधि (Budh Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- बुध प्रदोष व्रत के दिन जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जायें।
- इसके बाद इस दिन भगवान शिव का ध्यान करें और पूजा और व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन की पूजा में भगवान शिव का अभिषेक करें।
- इसके अलावा पूजा में पंचामृत और पंचमेवा भगवान शिव को अर्पित करें।
- इस दिन पूरे विधि विधान के साथ भगवान शिव की पूजा करें। पूजा के बाद शिवजी की आरती करें। इसके बाद पूरे दिन व्रत रखें।
- प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय भी की जाती है। ऐसे में शाम को दोबारा स्नान करके पूजा करें।
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बुध प्रदोष व्रत कथा (Budh Pradosh Vrat Katha)
बुध प्रदोष व्रत कथा के अनुसार, बहुत समय पहले की बात है एक पति अपनी पत्नी को लेने मायके पहुंच गया। हालांकि पत्नी के घर वालों ने अपने दामाद और अपनी बेटी की विदाई बुधवार को ना करने का आग्रह किया। हालाँकि पति ने अपने ससुराल वालों की एक भी बात नहीं मानी और अपनी पत्नी को लेकर अपने घर के लिए निकल गया। रास्ते में चलते-चलते जंगल आया। इस दौरान पत्नी को प्यास लग गयी। पत्नी ने अपने पति से कहा कि, मुझे पानी पीना है।
पति ने कहा, तुम यहीं रुको मैं पानी की व्यवस्था करके आता हूं। लेकिन जब पति पानी लेकर वापस आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी पहले से ही किसी और के साथ हंस के बात कर रही है और पानी पी रही है। ऐसा देखकर पति को बहुत ही क्रोध हुआ। लेकिन जब उसने आगे जाकर देखा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि, उसकी पत्नी जिस व्यक्ति के साथ हंस बोल कर बातें कर रही थी और पानी पी रही थी वह कोई और नहीं बल्कि खुद उस आदमी का हमशक्ल था।
अपने पति को सामने देखकर पत्नी भी डर गई। उसको समझ नहीं आ रहा था कि असल में उसका पति कौन है। तब पति ने भगवान शिव से अनुरोध किया कि, इस दुविधा को दूर करें और उसने प्रण भी लिया कि यदि वो और उसकी पत्नी इस दुविधा से सकुशल निकल कर घर पहुंच जाते हैं तो वह नियम से हर बुध त्रयोदशी का व्रत किया करेगा।
ऐसे में बुध प्रदोष व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा के साथ इस व्रत को करता है उसे भगवान शिव की प्रसन्नता हासिल होती है। सिर्फ इतना ही नहीं प्रदोष व्रत के बारे में ऐसी भी धार्मिक मान्यता है जिनके अनुसार कहा जाता है कि, सबसे पहले प्रदोष व्रत चंद्र-देव ने किया था और इस व्रत के प्रभाव से ही उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था और वह क्षय रोग से मुक्त हुए थे।
बुध प्रदोष व्रत में अवश्य बरतें ये सावधानियां
- बुध प्रदोष व्रत के दिन स्नान अवश्य करें।
- इस दिन भूल से भी काले रंग के वस्त्र न पहने।
- यदि व्रत कर रहे हैं तो इस दिन भूल से भी भोजन नहीं करें।
- बुध प्रदोष व्रत के दिन किसी को भी गुस्सा ना दिखाएं या किसी पर क्रोध न करें और साथ ही किसी तरह की लड़ाई में भी ना पड़े।
- बुध प्रदोष व्रत के दिन कुशा के आसन का प्रयोग करें।
- बुध प्रदोष व्रत के दिन तामसिक भोजन, मांस, शराब इत्यादि का भूल से भी सेवन न करें।
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