बुद्ध पूर्णिंमा का व्रत बनाता है धनवान और रखता है अकाल मृत्यु से दूर !
हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा को “बुद्ध पूर्णिमा” के रूप में जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध को समर्पित सबसे बड़ा त्यौहार है। दुनियाभर में बुद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए यह एक बहुत ही पवित्र दिन होता है। इस दिन को “वैशाख पूर्णिमा” या “बुद्ध जयंती” के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले महात्मा बुद्ध के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं।
भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण, ये तीनों एक ही दिन यानि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ था, इसीलिए यह दिन बेहद खास होता है और लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। कोरोना काल में लोग बहुत सारी मुश्किल परिस्थितियों से जूझ रहे हैं, ऐसे में आज का दिन लोगों के जीवन के लिए बहुत महत्व रखता है। बुद्ध एक ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाया, दुनिया को समझने का नज़रिया दिया, इन्सान के दु:खों का कारण और उपाय बताया। तो चलिए आज इस लेख में बुद्ध पूर्णिमा या वैशाख पूर्णिमा से जुड़ी बहुत सारी महत्वपूर्ण बातें आपको बताते हैं –
किसी समस्या से हैं परेशान, समाधान पाने के लिए प्रश्न पूछे
बुद्ध पूर्णिमा 2021 तिथि और मुहूर्त
मई 25, 2021 को 20:31:40 से पूर्णिमा आरम्भ
मई 26, 2021 को 16:45:35 पर पूर्णिमा समाप्त
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
गौतम बुद्ध के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनके विचारों के चलते ही आज पूरी दुनिया में लगभग 180 करोड़ से भी ज्यादा लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। न केवल भारत में बल्कि चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे कई बड़े देशों में भी लोग गौतम बुद्ध को मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। महात्मा बुद्ध में आस्था रखने वाले लोग बुद्ध पूर्णिमा को एक उत्सव के रूप में मनाते हैं। बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिन्दू धर्म में भी बुद्ध पूर्णिमा को एक त्यौहार की तरह मनाते हैं। क्योंकि हिन्दू लोग गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन को अधिकांश जगहों पर बुद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं। बिहार के बोध गया स्थित “महाबोधि मंदिर” को इस दिन विशेष रूप से सजाते हैं। यह मंदिर प्राचीन काल से ही बौद्ध भिक्षुओं की शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र रहा है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान पुण्य भी किया जाता है।
कौन थे महात्मा बुद्ध?
महात्मा बुद्ध, बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं, जिनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। वैशाख पूर्णिमा के दिन क्षत्रिय शाक्य कुल में जन्में सिद्धार्थ ने अपनी पत्नी, शिशु और राजपाठ का मोह त्याग दिया था और सत्य की खोज में वन की ओर चले गए थे। सालों की कठोर साधना के बाद वैशाख पूर्णिमा वाले दिन ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ से भगवान बुद्ध बन गए। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण हुए थे। इस दिन दान-पुण्य और पितरों का तर्पण करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण सामाजिक जगहों पर जानें से बचें।
भगवान बुद्ध द्वारा बताई गई प्रेरणादायक बातें
आज के इस खास दिन पर चलिए जानते हैं, भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए कुछ उपदेशों के बारे में, जो इस प्रतिकूल समय में हमें मानसिक तनाव से निपटने में हमारी मदद कर सकते हैं। महात्मा बुद्ध की ये बातें हमें सही रास्ता दिखाने के साथ-साथ हमारे जीवन को नई दिशा भी प्रदान करती हैं।
- स्वास्थ्य सबसे बड़ा तोहफ़ा है, संतुष्टि सबसे बड़ी दौलत है और निष्ठा सबसे बड़ा रिश्ता है।
- जो बीत गया उसके बारे में कभी नही सोचों, भविष्य के सपने मत देखो, सिर्फ अपने आज पर ध्यान दो।
- अच्छी सेहत का आनंद लेने के लिए, परिवार मे ख़ुशियाँ लाने के लिए, सभी को शांति प्रदान करने के लिए, व्यक्ति को पहले अनुशासन और अपने मन को नियंत्रित करना होगा। अगर कोई व्यक्ति अपने दिमाग को नियंत्रित कर लेता है, तो वह ज्ञान का मार्ग ढूँढ सकता है। ऐसा करने से सभी ज्ञान और गुण स्वाभाविक रूप से उसके पास आते हैं।
- बुद्ध ने तीन सार्वभौमिक सत्यों के विषय में बताया है। पहला यह है कि इस जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है, किसी भी चीज़ का अस्थायित्व होना ही आपके दुख के लिए ज़िम्मेवार है और इस संसार में ’स्व’ नाम की कोई चीज नहीं है।
- बुद्ध द्वारा उपदेश के रूप में चार महान सत्य भी बताए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी दुनिया कष्टों से भरी हुई है, हमारी इच्छाएं और आशाएं हमारे कष्टों का पहला कारण हैं और इन कष्टों को आष्टांगिक मार्ग यानि जीवन को सुधारने के 8 कदम का अभ्यास करके दूर किया जा सकता है।
- अन्य सभी उपदेशों में से, आष्टांगिक मार्ग हमें किसी भी प्रतिकूल समय को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद करता है।
- आष्टांगिक मार्ग यानि जीवन को सुधारने के 8 कदम मूल रूप से व्यवहार संबंधी दिशा-निर्देश होते हैं, जो हमें अपनी इच्छाओं और लगावों को संभालने में मदद कर सकते हैं। ये मार्ग हमें मूल रूप से सही विचारों का पालन करने, सही विचारों को जगह देने, सही तरीके से बोलने, सही कार्य करने, सही एकाग्रता, सही प्रयास और सही व्यवसाय या आजीविका के विषय में बताते हैं।
इनका पालन करने से हमें सही मानसिक संतुलन बनाए रखने और इस नकारात्मक समय से निकलने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही यदि आप जीवन में बुद्ध द्वारा बताए तरीके को अपनाते हैं और साथ ही कुछ ध्यान साधना का अभ्यास करते हैं, तब भी आपको मानसिक परेशानियों से निकलने में मदद मिल सकती है। आपको नियमित रूप से 10 मिनट तक ध्यान करना चाहिए। बेहतर होगा कि आप इस प्रक्रिया को अपने कमरे में बुद्ध की मूर्ति के सामने करें।
क्यों मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा?
बुद्ध पूर्णिमा मनाने के पीछे बहुत सारे कारण हैं। बुद्ध धर्म के लोगों के लिए यह बहुत खास दिन होता है और वे इसे त्यौहार की तरह मनाते हैं। इस दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था, इसके अलावा इसी दिन महात्मा बुद्ध को बिहार राज्य के गया जिले में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और अंत में महात्मा बुद्ध ने बुद्ध पूर्णिमा वाले दिन ही कुशीनगर में देह त्याग किया था।
हिंदू धर्म में भी यह दिन बेहद खास माना जाता है। हिंदू धर्म के लोग महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का 9वां अवतार मानते हैं और इसीलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ बताया गया है। पुराणों के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा को सत्यव्रत पूर्णिमा भी कहा गया है। इस पूर्णिमा के दिन व्रत करने से ही श्री कृष्ण के मित्र सुदामा की निर्धनता दूर हुई थी, इसलिए माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही आर्थिक परेशानी दूर हो जाती है। इसके अलावा इसे अकाल मृत्यु के भय को दूर करने वाला पूर्णिमा भी माना जाता हैं, इसीलिए हिन्दू धर्म के लोग इस दिन धर्मराज की पूजा भी करते हैं।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
बुद्ध पूर्णिमा व्रत विधि
बुद्ध पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और पुण्य कर्म करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं इस दिन किए जाने वाले व्रत की विधि –
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
- अब मन में व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- इसके बाद सच्चे मन से भगवान विष्णु और उनके अवतार माने जाने वाले गौतम बुद्ध की भी पूजा करें।
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन घर में तिल के तेल का दिया अवश्य जलाएँ और तिल का दान भी करें।
- ध्यान रहे इस व्रत में एक समय ही भोजन करना चाहिए।
बुद्ध पूर्णिमा का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व
हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष दोनों में ही पूर्णिमा की तिथि का विशेष महत्व है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को चंद्र देव की कृपा प्राप्त होती है। वहीं शास्त्रों में पूरे वैशाख के महीने में गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में माना जाता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और तप आदि करने से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और उसपर अकाल मृत्य का भय भी नहीं रहता है। लेकिन हम फिर से एक बार दोहराना चाहेंगे कि कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए इस साल आप बुद्ध पूर्णिंमा की पूजा घर पर ही रहकर करें और धार्मिक स्थलों पर जाने और ज़्यादा भीड़-भाड़ करने से बचें।
आशा करते हैं इस लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आप सभी का धन्यवाद।