ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह एक शुभाशुभ ग्रह होता है। अर्थात यह कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ मौजूद होता है उसी के अनुरूप फल देने के लिए जाना जाता है। बुध ग्रह को बुद्धि, संवाद, चतुराई, और मित्र का कारक भी माना गया है। ग्रहों में जहां सूर्य और शुक्र के साथ बुध के मित्रता वाले संबंध होते हैं वही चंद्रमा और मंगल इसके शत्रु ग्रह माने गए हैं।
बुध गोचर विशेष इस ब्लॉग के माध्यम से आज हम जानेंगे 25 अप्रैल को होने वाले बुध ग्रह के गोचर का सभी 12 राशियों के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। साथ ही जानेंगे इस प्रभाव को कम करने के ज्योतिषीय उपायों की जानकारी और साथ ही इस बात की भी जानकारी हम आपको इस लेख में प्रदान कर रहे हैं कि यदि बुध ग्रह आपकी कुंडली में पीड़ित अवस्था में हो तो उसे मजबूत कैसे किया जा सकता है।
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बुध गोचर 2022: समय और महत्व
सबसे पहले बात करें बुध के वृषभ राशि में गोचर के समय की तो 25 अप्रैल, 2022 सोमवार को 00:05 बजे अपना गोचर करेंगे।। बुध ग्रह एक राशि में तकरीबन 23 दिनों की समय अवधि के लिए रहता है और फिर अपना गोचर अर्थात राशि परिवर्तन कर लेता है। बुध के इस राशि परिवर्तन से अवश्य ही सभी राशियों के जीवन पर कुछ ना कुछ प्रभाव अवश्य देखने को मिलेगा।
आपकी राशि पर इस गोचर का क्या प्रभाव पड़ेगा यह जानने के लिए यह लेख अंत तक पढ़ें।
बुध ग्रह का महत्व और इसके शुभ फल प्राप्त करने के कुछ बेहद सरल उपाय
कुंडली में बुध ग्रह मजबूत अवस्था में हो तो ऐसे जातक बातचीत करने में बेहद ही शानदार होते हैं। इसके अलावा है ऐसे लोग हाज़िरजवाबी भी होते हैं। इसके अलावा मजबूत बुध व्यक्ति को कुशाग्र बुद्धि का भी बनाता है। वहीं उसके विपरीत अगर की जन्म कुंडली में बुध ग्रह किसी पापी ग्रह से पीड़ित हो तो ऐसे जातकों को शारीरिक और मानसिक रूप से तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पीड़ित बुध से निपटने के लिए जातकों को बुध ग्रह से संबंधित कुछ उपाय करने की सलाह दी जाती है। क्या है वह उपाय आइए जान लेते हैं।
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अब जान लेते हैं बुध ग्रह से संबंधित कुछ बेहद ही सरल उपाय
- बहन बेटियों को उपहार दें।
- महिलाओं और छोटी लड़कियों का सम्मान करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें।
- भगवान बुध की पूजा करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें।
- मुमकिन हो तो बुधवार के दिन व्रत करना शुरू कर दें।
- इसके अलावा बुध ग्रह से संबंधित चीजें जैसे साबुत मूंग, पालक, हरी घास, आदि का दान करें।
बुध गोचरफल और राशिनुसार उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए बुध उनके तीसरे और छठे भाव के स्वामी होते हैं और अब बुध अपना गोचर करते हुए आपकी राशि से द्वितीय भाव में संचरण करेंगे। ज्योतिष में दूसरे भाव से व्यक्ति के परिवार, उसकी वाणी, प्रारंभिक शिक्षा एवं धन आदि का विचार किया जाता है। इसे कुटुंब भाव और धन भाव भी कहा जाता है। ऐसे में दूसरे भाव में बुध गोचर के प्रभाव से ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं और अब वे आपकी ही राशि में गोचर करते हुए, आपके प्रथम भाव में विराजमान होंगे। ज्योतिष में प्रथम यानी लग्न भाव को तनु भाव भी कहा जाता है। कुंडली में यह पहला भाव जातक के स्वभाव, शारीरिक संरचना एवं स्वास्थ्य जीवन के बारे में जानकारी देता है। ऐसे में इस गोचर के फलस्वरूप….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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मिथुन राशि
मिथुन राशि के लिए बुध प्रथम और चौथे भाव के स्वामी हैं और अब अपने इस गोचर के दौरान वे आपके व्यय, हानि, विदेशी लाभ और आध्यात्मिकता के द्वादश भाव में संचरण करेंगे। यह अवधि आपके लिए ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह बारहवें और तृतीय भाव के स्वामी होते हैं और अब बुध का ये गोचर आपकी राशि से एकादश भाव में होगा। कुंडली में एकादश भाव को आमदनी का भाव कहा जाता है। इस भाव से आय, जीवन में प्राप्त होने वाली सभी प्रकार की उपलब्धियां, मित्र, बड़े भाई-बहन आदि को देखा जाता है। ऐसे में बुध का ये गोचर….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए बुध ग्यारहवें और दूसरे भाव के शासक हैं और बुध का ये गोचर आपकी राशि से दशम भाव में होगा। ज्योतिष में दशम भाव करियर, पिता की स्थिति, रुतबा, राजनीति एवं जीवन के लक्ष्यों की व्याख्या करता है। जिसे कर्म भाव भी कहा जाता है। ऐसे में बुध के इस गोचर के परिणामस्वरूप….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए बुध पहले और दसवें भाव के स्वामी होते हैं और अब बुध आपकी राशि से नवम भाव में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष में नवम भाव को भाग्य भाव कहते हैं। इस भाव से व्यक्ति के भाग्य, गुरु, धर्म, यात्रा, तीर्थ स्थल, सिद्धान्तों का विचार किया जाता है। ऐसे में बुध की ये स्थिति….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए बुध बारहवें और नौवें भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान में ये बुध देव आपकी राशि से अष्टम भाव में गोचर करेंगे। वैदिक ज्योतिष में कुंडली के अष्टम भाव को आयुर्भाव कहा जाता है जिससे हम जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव, अचानक से होने वाली घटनाएं, आयु, रहस्य, शोध आदि को देखते है। इस दौरान ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध अष्टम और ग्यारहवें भाव के स्वामी होते हैं और वृषभ राशि में बुध का यह गोचर आपकी राशि से सप्तम भाव में होगा। ज्योतिष में कुंडली के सातवें भाव से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी एवं जीवन के अन्य क्षेत्रों में बनने वाले साझेदारों का विचार किया जाता है। इस भाव को विवाह भाव भी कहते हैं। ऐसे में ये गोचर ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों लिए बुध सातवें और दसवें भाव के स्वामी होते हैं और बुध का यह गोचर आपकी चंद्र राशि से षष्टम भाव में हो रहा है। ज्योतिष में इस भाव को शत्रु भाव कहा जाता है। इस भाव से विरोधियों, रोग, पीड़ा, जॉब, कम्पीटीशन, रोग प्रतिरोधक क्षमता, शादी-विवाह में अलगाव एवं कानूनी विवादों को देखा जाता है। इसके प्रभाव के कारण ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं और यह बुध अब आपकी राशि से पंचम भाव में गोचर करेंगे। कुंडली में इस भाव को संतान भाव के नाम से भी जाना जाता है जिससे हम रोमांस, संतान, रचनात्मकता, बौद्धिक क्षमता, शिक्षा एवं नए अवसरों को देखते हैं। इस गोचर के फलस्वरूप ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध पांचवें और आठवें घर के स्वामी हैं और अब बुध आपकी राशि से चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे। कुंडली के चौथे भाव को सुख भाव कहा जाता है। इस भाव से माता, जीवन में मिलने वाले सभी प्रकार के सुख, चल-अचल संपत्ति, लोकप्रियता एवं भावनाओं को देखा जाता है। ऐसे में इस गोचर के कारण….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मीन राशि
मीन राशि के लिए बुध आपके चौथे और सातवें भाव के स्वामी हैं और अब बुध ग्रह अपने इस गोचर के दौरान आपकी राशि से तृतीय भाव में संचरण करेंगे। कुंडली में तीसरे घर को सहज भाव कहा जाता है। इस भाव से व्यक्ति के साहस, इच्छा शक्ति, छोटे भाई, जिज्ञासा, जुनून, ऊर्जा, जोश और उत्साह को देखा जाता है। ऐसे में इस गोचर के प्रभाव से ….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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