एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बृहस्पति मेष राशि में वक्री के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे। बता दें कि सुख, सौभाग्य और यश के कारक ग्रह बृहस्पति 04 सितंबर 2023 की शाम 04 बजकर 58 मिनट पर मेष राशि में वक्री होंगे। आइये अब जानते हैं कि बृहस्पति मेष राशि में वक्री पांच राशियों के लिए कैसा साबित होगा और साथ ही जानेंगे इसके अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय।
बृहस्पति ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक है। इन्हें ज्योतिष के नव ग्रहों में सबसे शुभ माना जाता है। जीवन में हर क्षेत्र में सफलता के पीछे गुरु ग्रह की स्थिति बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन्हें 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। बृहस्पति धनु और मीन के स्वामी हैं, जो ज्ञान, बुद्धि, विस्तार, आध्यात्मिकता, शिक्षा, बच्चे, पति (महिला की कुंडली में), धन, धर्म, आध्यात्मिक प्रगति, शिक्षक और गुरु के कारक हैं। यदि बृहस्पति छठे भाव में स्थित हो तो जातक मोटापे का शिकार हो सकता है। जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा बरसती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है।
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04 सितंबर को बृहस्पति मेष राशि में वक्री हो रहे हैं। मेष राशि के जातक ऊर्जा और उत्साह से भरे हुए होते हैं। ये लोग साहसी और बहादुर भी होते हैं। यह राशि काल पुरुष की कुंडली में प्रथम भाव अर्थात लग्न भाव की राशि मानी जाती है। मेष राशि एक उग्र और प्रकृति से पुरुष राशि है और इस राशि के स्वामी मंगल हैं। मंगल और बृहस्पति मित्र हैं ऐसे में, बृहस्पति मेष राशि में वक्री अधिकांश लोगों के लिए प्रभावशाली साबित होगा और ऐसे जातक जीवन में आने वाले बदलावों के लिए तैयार रहेंगे और इनका झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ अधिक रहेगा। इसके अलावा, इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि बृहस्पति इस समय मेष राशि में राहु के साथ मिलकर गुरु चांडाल योग का निर्माण कर रहे हैं। ऐसे में, बृहस्पति मेष वक्री सभी 12 राशि के जातकों के लिए कई तरह के परिणाम लेकर आएंगे लेकिन पांच राशि के जातकों को इस दौरान अशुभ परिणामों की प्राप्ति हो सकती है।
बृहस्पति मेष राशि में वक्री: ये पांच राशियां रहें सावधान!
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए बृहस्पति आपके नौवें और बाहरवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके पहले भाव में वक्री हो रहे हैं। बृहस्पति इस दौरान आपके पांचवें, सातवें और नौवें भाव पर दृष्टि डालेंगे। पहले भाव में बृहस्पति का वक्री होना भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है। ऐसे में, आपको अपने ही निर्णयों पर शंका होने की भी संभावना है। हालांकि, आप अपनी सेहत पर ध्यान देना शुरू करेंगे। इस अवधि में भाग्य का साथ मिलने की संभावना नहीं है। पिता के साथ आपकी अनबन होने की आशंका है। यदि आपके पिता की कोई बीमारी ठीक हो गई थी, तो बृहस्पति मेष राशि में वक्री काल के दौरान वह रोग उन्हें दोबारा परेशान कर सकता है।
इसके अलावा आपके खर्चों में भी वृद्धि हो सकती है क्योंकि बृहस्पति बारहवें भाव के स्वामी भी है। आपका या परिवार के किसी अन्य सदस्य का स्वास्थ्य खराब हो सकता है और जिसके कारण आपके खर्च बढ़ सकते हैं। इस दौरान आपको पिता, गुरु, धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाने का अवसर प्राप्त होगा।
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वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए बृहस्पति आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके बारहवें भाव में वक्री होंगे। इसके परिणामस्वरूप बृहस्पति आपके छठे और आठवें भाव पर दृष्टि डालेंगे। यह अवधि आपके लिए अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है क्योंकि बृहस्पति आपके लग्न भाव के लिए लाभकारी परिणाम देते नज़र नहीं आ रहे हैं। यह अवधि विशेषकर महिलाओं के लिए मधुमेह या हार्मोनल जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। वहीं वृषभ राशि के पुरुषों में यह लीवर और पाचन तंत्र के अन्य क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में, अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान दें और समय पर भोजन करें।
इसके अलावा इस अवधि आप अपने आर्थिक निर्णयों, पहले किए गए निवेश और भौतिक इच्छाओं के बारे में भी दोबारा सोच-विचार कर सकते हैं। हालांकि, इस वक्री काल के दौरान आप अपने सामाजिक दायरों के साथ पेशेवर जीवन के नेटवर्क/संबंधों पर नियंत्रण रखेंगे। आप इस बात को समझ पाएंगे कि कौन आपके अपने हैं और कौन आपके शत्रु। साथ ही, पारिवारिक जीवन में की गई गलतियों पर भी आपका ध्यान जाएगा।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके दसवें भाव में वक्री हो रहे है। बृहस्पति आपके दूसरे भाव यानी कि कमाई, चौथे भाव यानी कि माता और विलासिता व छठा भाव यानी कि ऋण और शत्रु के भाव पर दृष्टि डाल रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप आपके पेशेवर जीवन में बदलाव आने की संभावना है। यदि आप नौकरी बदलने का विचार बना रहे हैं तो यह समय अत्यधिक शुभ है।
इस दौरान आपको अपने कार्यक्षेत्र में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिस वजह से आप नौकरी बदलने के बारे में सोच सकते हैं। हो सकता है कि आपका अचानक ट्रांसफर हो जाए। इसके अलावा, आपको अपने पिता के साथ रिश्ते में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। पिता की कोई पुरानी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या फिर से उभर सकती है। ऐसे में, आपको सावधान रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह आपके लिए चिंता का कारण बन सकता है।
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सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके नौवें भाव यानी कि पिता, गुरु और धर्म के भाव में वक्री होंगे। बृहस्पति आपके पहले, तीसरे और पांचवें भाव पर दृष्टि डाल रहे हैं। बृहस्पति की यह स्थिति आपको अपने पिता, गुरु और धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का एक अवसर दे रही है। यदि आपने ईश्वर से कुछ मांगा था और अब वह कामना पूरी हो गई है, तो आप ईश्वर का धन्यवाद कर सकते हैं और अब अपने द्वारा माने गए धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने की बारी है।
स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से देखें तो आप इस दौरान किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं और छोटी या लंबी दूरी की यात्रा में कई कठिनाइयां आ सकती है। वहीं प्रेम जीवन की बात करें तो जो सिंह राशि के जातक अपने प्रेम संबंध को लेकर गंभीर और जिम्मेदार नहीं हैं, उनके लिए यह समय मुश्किल साबित होगा। आपका रिश्ता टूटने की कगार पर आ सकता है। हालांकि, जो लोग अपने रिश्ते को लेकर गंभीर हैं, वो विवाह का प्रस्ताव रख सकते हैं।
धनु राशि
धनु राशि वालों के लिए बृहस्पति आपके पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके पांचवें भाव में वक्री हो रहे हैं। बृहस्पति आपके पहले, ग्यारहवें और नौवें भाव पर दृष्टि डाल रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप आपको अपनी सेहत पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी क्योंकि लापरवाही की वजह से वजन बढ़ने, फैटी लीवर, मधुमेह या हार्मोन संबंधी विकार होने का खतरा है।
आपको सलाह दी जाती है कि अपनी मां की सेहत को लेकर भी सावधान रहें और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने की कोशिश करें। इस समय अपनी माता के साथ किसी भी तरह के मतभेद व वाद-विवाद से बचने में ही आपकी भलाई है। इस दौरान आपको अपनी निजी जिंदगी में अपने द्वारा की गई गलतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, यदि धनु राशि वाले जातक संतान की कामना कर रहे हैं या जिन्हें संतान पाने में कोई रुकावट या स्वास्थ्य समस्या आ रही है, उन्हें अपनी समस्या का समाधान मिल जाएगा। यह अवधि उन लोगों के लिए बेहतर साबित हो सकती है।
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बृहस्पति मेष राशि में वक्री: अचूक उपाय
- बृहस्पति के बीज मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पीली मिठाई का भोग लगाएं।
- अक्सर पीले रंग के वस्त्र पहनें और अपनी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति के आधार पर पीला नीलम रत्न पहनें।
- गुरुवार का व्रत रखें।
- बृहस्पति यंत्र की स्थापना करें और पूजा करें।
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