भाई बहन के खूबसूरत रिश्ते को दर्शाता एक त्यौहार भाई दूज। भाई दूज का त्यौहार प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस दिन के बारे में जो मान्यता है उसके अनुसार भाई इस दिन अपने विवाहित बहनों के घर जाते हैं, जहाँ बहने उनका तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
इसके अलावा, हम यह भी कहना चाहेंगे की आज एस्ट्रोसेज दिवाली धमाका सेल का आखिरी दिन है। ज्योतिष उत्पादों और सेवाओं पर सर्वोत्तम पेशकशों में विशेष ऑफर प्राप्त करने का यह आखिरी मौका है।
कहा जाता है अगर इस दिन भाई-बहन यमुना नदी के किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह बेहद ही मंगलकारी और कल्याणकारी साबित हो सकता है। भाई दूज का यह पर्व दिवाली के 2 दिन बाद मनाया जाता है। कई जगहों पर इस दिन को यम द्वितीय के नाम से भी जानते हैं। क्या है यम द्वितीया का त्यौहार जाने के लिए आगे पढ़े। इस दिन मृत्यु के देवता माने जाने वाले यम की पूजा की जाती है।
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कब है भाई दूज?
भाई दूज 2020, 16 नवंबर
भाई दूज तिथि – सोमवार, 16 नवंबर 2020
भाई दूज तिलक मुहूर्त – 13:10 से 15:17 बजे तक (16 नवंबर 2020)
द्वितीय तिथि प्रारंभ – 07:05 बजे से (16 नवंबर 2020)
द्वितीय तिथि समाप्त – 03:56 बजे तक (17 नवंबर 2020)
यहाँ दिया गया मुहूर्त दिल्ली के अनुसार है। अपने शहर के अनुसार भाई दूज का शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
भाई दूज का महत्व
हिंदू धर्म में भाई दूज के त्यौहार का विशेष महत्व माना गया है। यह त्यौहार भी राखी जितना ही महत्वपूर्ण होता है। इस त्यौहार को कहीं यम द्वितीया तो कहीं भ्राता द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। जहां रक्षाबंधन के त्यौहार पर भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं, वहीं यम द्वितीया के मौके पर बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।
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देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्यौहार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कई जगह पर तिलक लगा कर, पूजा करने और फिर भोजन कराने की मान्यता है तो कई स्थानों पर इस दिन बहनें अपने भाई को तेल लगाकर स्नान कराती हैं।
इस दिन यमुना नदी में स्नान करने का बेहद महत्व बताया गया है। हालांकि अगर आप यमुना नदी में स्नान नहीं कर सकते तो आपको घर में ही स्नान कर लेना चाहिए और अपने भाई को घर पर आमंत्रित करके उसे अपनी सामर्थ्य अनुसार भोजन अवश्य कराना चाहिए। इस दिन चावल खिलाना बेहद शुभ माना गया है।
राखी की ही तरह जरूरी नहीं है कि ये त्यौहार सगे भाई बहन ही मनाएं। इस त्यौहार को चचेरे -मौसेरे भाई बहनों के साथ ही मनाया जा सकता है।
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भारत में अलग-अलग जगहों पर इस त्यौहार को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे,
पश्चिम बंगाल | फोटा पर्व : इस दिन बहनें व्रत रखती हैं। भाइयों का तिलक करती हैं और भाई बहनों को भेंट देते हैं। |
महाराष्ट्र | भाऊ बीज : बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। |
उत्तर प्रदेश | भाई दूज : इस दिन बहनें अपने भाई को बताशे और आब और सूखा नारियल देती हैं। |
बिहार | भाई दूज : इस दिन बहनें अपने भाइयों को डांटती हैं, उनसे लड़ाई करती हैं और फिर उनसे मांफी मांगती हैं। इसके बाद तिलक लगाकर उनकी पूजा भी करती हैं। |
नेपाल | भाई तिहार : इस दिन बहनें सात रंग से बना टीका भाइयों को लगाती हैं और फिर उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। |
भाई दूज पर क्या करें?
- इस दिन नहा धोकर साफ कपड़े पहने। हो सके तो नए कपड़े अवश्य पहने।
- इसके बाद अक्षत, कुमकुम और रोली से आठ दल वाला कमल का फूल बनाएं।
- इसके बाद अपने भाई के लंबी उम्र और कल्याण की कामना करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद विधि-विधान के साथ यम की पूजा करें। यम की पूजा के बाद यमुना, चित्रगुप्त, और यमदूतों की भी पूजा करने का विधान बताया गया है।
- इसके बाद अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें।
- भाइयों को इस दिन अपनी यथाशक्ति के अनुसार अपनी बहनों बहनों को उपहार देना शुभ माना गया है।
- जब तक पूजा संपन्न नहीं हो जाती तब तक भाई और बहनों दोनों को ही व्रत करना होता है।
- एक बार पूजा समाप्त होने के बाद दोनों साथ में मिलकर भोजन करते हैं।
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भाई दूज के दिन भाई लोग भूल से भी ना करें ये काम
- इस दिन भाइयों को भी भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूजा से पहले भोजन करना अशुभ होता है। इसके अलावा अगर इस दिन किसी भाई का अपनी बहन के घर जाना सम्भव ना हो तो किसी नदी किनारे या गाय को बहन मानकर उसके पास खाना खा लें।
क्यों मनाते हैं भाई दूज का त्यौहार, जानें पौराणिक कथा
इस त्यौहार के बारे में प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था। इन्हीं के दो बच्चे थे यमराज और यमुना। यमुना को अपने भाई यमराज से बेहद लगाव था। यमुना बारबार अपने भाई यमराज से इस बात का निवेदन करती थी कि वह उनके घर आकर भोजन करें।
हालांकि अपने काम में व्यस्त होने के कारण यमराज कभी भी यमुना के घर नहीं जा पाते थे, लेकिन एक बार कार्तिक शुक्ल पक्ष का दिन आया जिस दिन यमुना ने एक बार फिर यमराज को अपने घर पर आने का आमंत्रण दिया। तब यमराज ने सोचा कि, मैं तो प्राण लेने के लिए जाना जाता हूं। ऐसे में मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता है लेकिन मेरी बहन सद्भावना से मुझे बुला रही है। ऐसे में मेरा धर्म बनता है कि मैं उसके घर अवश्य जाऊं।
बहन के घर आते समय यमराज ने नर्क में रहने वाले जीवो को मुक्त कर दिया। यमराज जब अपनी बहन के घर पहुंचे तो यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं था। अपने भाई को अपने घर देखकर पहले यमुना ने अपने भाई का पूजन किया और उसके बाद तरह-तरह के व्यंजन कराये।
अपनी बहन की आवभगत से यमराज को बेहद खुशी हुई और उन्होंने यमुना से वर मांगने को कहा। तब यमुना ने कहा, भाई आप इस दिन हर वर्ष मेरे घर आया करो और मेरी तरह जो भी बहन अपने भाई का आदर सत्कार करके उसका टीका करें और उसे भोजन कराएं उसे कभी भी तुम्हारा भय ना रहे। तब यमराज ने तथास्तु कहकर अपनी बहन से विदा ली।
माना जाता है तभी से भाई दूज की परंपरा की शुरुआत हुई। ऐसे में जो कोई भी इंसान भाई दूज का त्यौहार मनाता है उनको कभी भी यमराज का भय नहीं रह जाता है। यही वजह है कि भाई दूज के दिन यमराज के साथ-साथ यमुना की पूजा का बेहद महत्व बताया गया है।
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