यम द्वितीया कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला एक बेहद ही खास और भाई बहन की खूबसूरत रिश्ते को दर्शाता एक बेहद ही शुभ त्यौहार है। मुख्य तौर पर यह त्यौहार ब्रज से जुड़ा हुआ माना जाता है। इस दिन (भाई दूज 2024) के दिन बहनें रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलक करती हैं और उनके उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें आशीर्वाद देती हैं। बदले में रक्षाबंधन की ही तरह भाई अपनी बहन का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं और बदले में उन्हें कुछ तोहफे देते हैं।
भाई दूज का यह त्योहार होली और दिवाली के बाद मनाया जाता है। अपने इस विशेष ब्लॉग में आज हम बात करेंगे दिवाली के बाद मनाये जाने वाले भाई दूज की। साथ ही जानेंगे इस दिन से जुड़ी परंपरा के बारे में, जानेंगे कि वर्ष 2024 में भाई दूज का यह त्यौहार किस दिन मनाया जाएगा, इस दिन की सही विधि क्या है और साथ ही जानेंगे इस दिन किए जाने वाले उपायों की जानकारी जिन्हें अपना कर आप अपने और अपने भाई से अपना रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत बना सकते हैं।
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तो चलिए आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जान लेते हैं वर्ष 2024 में भाई दूज का त्यौहार किस दिन मनाया जाएगा।
2024 में भाई दूज कब है?
भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर 2024 मनाया जाएगा। बात करें इस दिन के शुभ तिलक मुहूर्त की तो,
भाई दूज तिलक का समय :13:10:27 से 15:22:18 तक
अवधि :2 घंटे 11 मिनट
अधिक जानकारी: उपरोक्त मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अगर आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का सही और शुभ तिलक मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
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त्यौहार का नाम | भाई दूज |
तारीख़ | रविवार, 3 नवंबर 2024 |
देवता में | भगवान यम (मृत्यु के देवता) और यमुना (नदी देवी) शामिल हैं |
किंवदंती है कि, | भगवान यम भाई दूज पर अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे। |
महत्व और लाभ | यमुना द्वारा प्रसाद, यमुना ने भगवान यम को स्वादिष्ट व्यंजन परोसे और चंदन का तिलक लगाया।भगवान यम का आशीर्वाद जो भी बहन इस दिन अपने भाई को टीका लगाएगी और खाना खिलाएगी, उसे अपने भाई के लिए लंबी उम्र और समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा। |
जानने योग्य बात: भाई दूज या भैया दूज के पर्व को भाई टिका, यम द्वितीया, भ्राता द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है। कहा जाता है इस दिन यमदेव अपनी बहन यमुना के बुलाने पर उनके घर भोजन करने आए थे।
भाई दूज पर होने वाले रीति रिवाज और विधि विधान
बात करें रीति रिवाज़ और विधि विधान की तो,
- भाई दूज के मौके पर बहनें भाई के तिलक और आरती के लिए सबसे पहले एक थाल सजाती हैं।
- इस थाल में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी रखे जाते हैं।
- तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनाया जाता है।
- चावल के इस चौक पर भाई को बिठाया जाता है और शुभ मुहूर्त में ही बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं।
- तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दिए जाते हैं और उनकी आरती उतारी जाती है।
- तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
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त्यौहार का नाम | भाई दूज |
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नाम का अर्थ | “भाई” (भाई) + “दूज” (अमावस्या के बाद दूसरा दिन) |
चंद्र दिवस | कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष का दूसरा चंद्र दिवस |
अनुष्ठान का समय | 2024 रविवार, 3 नवंबर, 2024 की तारीखअपराहन समय: दोपहर 1:17 बजे से दोपहर 3:38 बजे तक |
द्वितीया तिथि | आरंभ: 2 नवंबर 2024, रात 8:21 बजेसमाप्त: 3 नवंबर, 2024, रात्रि 10:05 बजे |
भाई दूज का महत्व
इस दिन से जुड़े महत्व की बात करें तो कहा जाता है कि, जो कोई भी भाई यम द्वितीया के दिन अपनी बहन के हाथ का भोजन करता है उसे धर्म, अर्थ और अपरिमित सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन यमुना देवी और धर्मराज यम की पूजा करने से जाने अनजाने में भी किए गए पाप नष्ट होते हैं। बहन यमुना के चलते इस दिन यमराज की पूजा करने से कष्ट दूर होते हैं और अकाल मृत्यु का भय भी जीवन से दूर होता है।
जिन लोगों के जीवन में परेशानी हो उन्हें इस दिन विशेष रूप से यमराज की प्रार्थना करने की सलाह दी जाती है। कहते हैं यमराज के आशीर्वाद से हर समस्या का निवारण हो जाता है। इसके अलावा इस दिन से जुड़ी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन जो कोई भी भाई-बहन भाई दूज की रस्म निभाकर यमुना जी में स्नान करते हैं उनको यमराज यमलोक में यातना नहीं देते हैं।
इसके अलावा बहुत सी जगहों पर इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा का भी विधान होता है। कहा जाता है इसी दिन से चित्रगुप्त लोगों के जीवन का बहीखाता लिखते हैं। चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात और पुस्तकों की पूजा भी इस दिन की जाती है।
भाई दूज के दिन भूल से भी ना करें यह गलतियां
- भाई दूज के दिन भूल से भी भाई-बहन आपस में लड़ाई झगड़ा ना करें।
- भाई दूज के दिन झूठ ना बोलें और कोई गलत काम ना करें।
- बहनें अपने भाई के तोहफे का अपमान ना करें। यह बहुत ही अशुभ माना जाता है।
- इसके अलावा इस दिन भाई या बहन काले रंग के वस्त्र न पहनें।
- बहनें इस बात का ध्यान रखें कि पहले भाई को तिलक करें और उसके बाद ही अन्न ग्रहण करें।
- मुमकिन हो तो तिलक के बाद साथ बैठकर भोजन करें।
- तिलक सही दिशा में बैठकर करें। बहनें पूर्व की तरफ मुख करें और भाई उत्तर की तरफ मुख करके बैठ जाएँ।
- इसके अलावा भाई दूज के दिन इस दिन से जुड़ी कथा सुनने का भी विशेष महत्व होता है। क्या कहती है इस दिन की कथा जानने के लिए यह लेख अंत तक पढ़ें।
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भाई दूज की परंपरा, रीति रिवाज और अनुष्ठान
तैयारी और अनुष्ठान- इस दिन बहनें मिठाई, दिया और तिलक के साथ एक विशेष थाली तैयार करती हैं। भाई एक स्थान पर बैठते हैं और बहन उनके सिर के चारों ओर थाली घूमाकर आरती करती हैं, टीका लगाती है और अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं।
भाई देते हैं उपहार- बदले में भाई अपनी बहन को अपने स्नेह के प्रतीक के रूप में कोई उपहार या फिर पैसे देते हैं और आजीवन उनकी रक्षा करने की का भी वचन देते हैं।
दावते और उत्सव- इस दिन विशेष व्यंजन और मिठाइयां बनाई जाती है और सभी लोग खुशी-खुशी इस त्योहार का जश्न मनाते हैं। बहुत सी जगहों में इस दिन लोक नृत्य और सांस्कृतिक प्रदर्शन उत्सव भी किए जाते हैं।
भारत के अलग-अलग राज्य में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है भाई दूज
भाई दूज पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन अलग-अलग क्षेत्र में अनोखे रीति रिवाज का पालन किया जाता है। जहां उत्तर भारत में ये त्योहार पारंपरिक समारोह और देवताओं की पूजा के साथ मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में इसे भैया दूज के नाम से जानते हैं और इस दिन रक्षा सूत्र बांधा जाता है। महाराष्ट्र में इस भाऊ बीज के रूप में मनाया जाता है और इस अनुष्ठान में भाई अपनी बहन के घर जाते हैं।
भाई दूज की पौराणिक कथा
भाई दूज से जुड़ी दो कथाएं बेहद प्रचलित हैं। एक है यह और यमी की कथा दूसरी है भगवान श्री कृष्णा और सुभद्रा की कथा।
यम और यमी की कथा– पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे और इसके बाद से ही भाई दूज मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई। सूर्यपुत्र यम और यमी भाई बहन थे। बहुत बार यमुना के बुलाने के बाद एक दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे। इस दिन यमुना ने यमराज को अपने हाथों से बना भोजन कराया, तिलक लगाया और उनके खुशहाल जीवन की कामना की।
इसके बाद जब यमराज वापस अपने घर जाने लगे तो यमुना से वरदान मांगने को कहा। तब यमुना ने कहा कि, “आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर आया कीजिए और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करें उससे तुम्हारा भय ना हो।” अपनी बहन यमुना का यह वचन सुनकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया और ऐसे भाई दूज के पर्व की शुरुआत हुई।
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यही वजह है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान का बहुत महत्व बताया जाता है। कहते हैं कि भाई दूज के मौके पर अगर भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करें तो उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
भगवान श्री कृष्णा और सुभद्रा से जुड़ी कथा– एक दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध करके द्वारिका वापस लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और तमाम दीपक जलाकर उनका भव्य स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के माथे पर तिलक लगाया और उनके दीर्घायु की कामना की और तभी से भाई दूज के मौके पर भाई बहनों के इस पावन त्यौहार की शुरुआत हुई। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना करती है।
भाई दूज के उपाय-आर्थिक संकट से दिलाएंगे छुटकारा और हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता
चलिए अब अंत में जान लेते हैं भाई दूज के दिन किए जाने वाले कुछ ज्योतिषीय उपायों की जानकारी जिन्हें अपना कर आर्थिक तंगी से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही आप अपने और अपने भाई के जीवन में सुख समृद्धि में इजाफा भी कर सकते हैं।
- भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए यमराज के नाम का दीपक अवश्य जलाएं और इसे घर के मुख्य द्वार की दहलीज पर रख दें। ऐसा करने से भाई के जीवन से हर तरह के विघ्न दूर होंगे।
- जब भाई को तिलक लगाएँ तो इस समय ‘गंगा पूजा यमुना को, यामी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुने नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े” ऐसे वचन बोलें। ऐसा करने से भाइयों की उम्र लंबी होगी और जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।
- अगर आपके भाई के जीवन में आर्थिक संकट बढ़ गया है तो भाई दूज के दिन पांच गोमती चक्र पर केसर और चंदन से श्री ह्री श्री लिख लें। इसके बाद इसे तिजोरी, अलमारी या फिर धन रखने वाली जगह पर रख दें।
- इसके अलावा भाई दूज के दिन अगर यमुना स्नान कर लिया जाए तो इसे बेहद उत्तम माना जाता है। इस दिन अगर भाई बहन यमुना स्नान करें तो इससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
भाई दूज एक हिंदुत्व त्यौहार है जो भाई-बहन के खूबसूरत रिश्ते को दर्शाता है। यह त्योहार दिवाली के दो दिन बाद अर्थात कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
2024 में भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर रविवार को मनाया जाएगा।
इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उनकी आरती करती हैं और मिठाई खिलाती हैं। बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का वचन भी देते हैं।
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं जो सुरक्षा और दीर्घायु का प्रतीक होता है। यह भाई की भलाई और समृद्धि के लिए प्रेम और प्रार्थना का भी एक संकेत है।
भाई दूज का यह खूबसूरत त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। यह त्योहार दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है और एक बार यह होली के बाद मनाया जाता है।