भगवान विष्णु की पूजा का नियम, जानें पालनहार की पूजा में किन बातों का रखना होता है ध्यान

जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में हर एक सुख की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख शांति आदि आने के साथ-साथ सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित किया गया है और प्रत्येक माह में आने वाली एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। 

अपने इस विशेष आर्टिकल में आज यह जानने की कोशिश करते हैं कि, भगवान विष्णु की पूजा में भोग अर्पित करते समय हमें किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

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पूजा में भोग का महत्व

हिंदू धर्म में किसी भी देवी देवता की पूजा में भोग लगाने की परंपरा सालों से चली आ रही है लेकिन ऐसा क्यों? पूजा में भोग क्यों चढ़ाया जाता है? दरअसल कहा जाता है कि, शास्त्रों में भोग लगाने की इस प्रक्रिया को अन्न में मौजूद किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव को कम करने की विधि बताया गया है। इसके अलावा इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है जिसके अनुसार कहा जाता है कि, भोजन से पहले मनुष्य के अंदर धैर्य और उसे शांत चित्त बनाने के लिए हिन्दू धर्म में भोग की परंपरा की शुरुआत हुई।

इसके अलावा भोग से जुड़ी और महत्वपूर्ण बातें जानने के लिए यह भी पढ़ें: जानिए भगवान को भोग लगाने की परंपरा क्यों शुरू हुई और क्या कहते हैं शंकराचार्य।

भगवान विष्णु के भोग के नियम

  • भगवान विष्णु का भोग लगाते समय तुलसी का उपयोग करना ना भूलें। हिंदू धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि भगवान विष्णु बिना तुलसी के भोग ग्रहण नहीं करते हैं। 
  • इसके अलावा जब भी भगवान विष्णु या किसी भी देवी देवता का भोग लगाएं तो इसमें सात्विक चीजों का प्रयोग करना चाहिए। यानी कि भोग में कभी भी लहसुन प्याज आदि का प्रयोग नहीं होना चाहिए। 
  • भगवान विष्णु के भोग में एक अन्य बात का विशेष ध्यान रखें कि, भगवान विष्णु को हमेशा सादे ही भोजन का भोग लगाया जाता है। यानी कि भगवान विष्णु को कभी भी तीखी और चटपटी चीजों का भोग न लगाएं। जितना मुमकिन हो मीठे पकवान का ही भगवान विष्णु को भोग अर्पित करें। 
  • अगली बात का ध्यान यह रखें कि, भोग को हमेशा पूजा स्थल या मंदिर में ही रखें। जब भी भगवान विष्णु को कोई भोग चढ़ाएं तो पहले कुछ समय के लिए उसे मंदिर में या पूजा स्थल पर ही लगाकर छोड़ दे। भगवान को इसके बाद प्रणाम करें और वहां से दूर हट जायें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, भोग के साथ एक लोटा जल भी अवश्य रख दें। 
  • भोग लगाने के बाद जब उसे उठाएं इसका एक हिस्सा गाय को अवश्य खिलाएं। गाय को खिलाने के बाद ही भोग प्रसाद के रूप में अन्य लोगों में बांटे। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा मिला है ऐसे में भोग का पहला हिस्सा गाय को खिलाने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं और साथ ही व्यक्ति को अपनी कुंडली में मौजूद पितृ दोष कैसे बड़े दोषों से भी मुक्ति मिलती है।

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