भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है। ऐसा इसलिये है कि उनका व्यवहार सरल है भगवान शिव अपने भक्तों की एक पुकार पर ही पिघल जाते हैं। शायद यही वजह है कि हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी भगवान शिव में आस्था रखते हैं और उनको पूजते हैं। आपने भगवान शिव के कई मंदिरों के बारे मे सुना होगा और कई मंदिरों के दर्शन किये होंगे लेकिन आज हम आपको ऐसे एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम एक राजा के नाम पर है। इस मंदिर का नाम है विश्वेश्वर महादेव मंदिर। इस मंदिर से जुड़ी कथा आपको बहुत रोचक लगेगी।
विश्वेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
इस कथा के अनुसार बहुत समय पहले विदर्भ नगर में विदुरथ नाम का एक राजा था। राजा विदुरथ को शिकार का शौक था। एक रोज अपने सेवकों के साथ वो जंगल में शिकार के लिये गया, उसी वन में एक ब्राह्माण मृगछाल पहनकर भगवान का ध्यान कर रहा था। राजा ने गलतफहमी में उस ब्राह्माण को मृग समझकर उसपर तीर चला दिया। राजा के तीर से ब्राह्माण की मृत्यु हो गई। ब्रह्मा हत्या की वजह से राजा को 11 अलग-अलग योनियों में जन्म लेना पड़ा। ग्यारहवीं योनि में वह चांडाल बनकर पैदा हुआ। चांडाल के जन्म में एक बार वह एक ब्राह्माण के घर में चोरी करने के इरादे से घुसा लेकिन लोगों द्वारा उसे पकड़ लिया गया। लोगों ने उसे एक पेड़ पर लटका दिया। इस पेड़ पर लटके हुए वह चांडाल मरते दम तक शुलेश्वर के उत्तर क्षेत्र में स्थित एक शिवलिंग के दर्शन करता रहा और उसके दर्शन करते हुए ही उसकी मृत्यु हो गई। शिवलिंग को श्रद्धापूर्वक देखने के कारण मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई जहां उसने सुख भोगा। इसके बाद उसका फिर से पृथ्वी पर जन्म हुआ और वो विदर्भ नगरी का राजा विश्वेश बना। राजा विश्वेश को अपने पहले के जन्म की याद थी।
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इसके बाद राजा ने उस शिवलिंग जिसे वह मृत्यु के दौरान देखता रहा था, पर जाकर विधि विधान से पूजा कि। यह शिवलिंग अवंतिका नगरी में स्थित था। राजा की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिये और मनचाहा वर मांगने को कहा। राजा ने कहा कि हे प्रभो इस संसार में सबकी उन्नति हो किसी का भी पतन न हो और आपका नाम विश्वश्वर के नाम से जगत में प्रसिद्ध हो। भगवान शिव ने उसके इस वरदान को माना और तब से ही वह शिवलिंग विश्वेश्वर महादेव के नाम से जाने जाने लगे।
आज भी विश्वेश्वर महादेव में कई श्रद्धालु शिवलिंग के दर्शन करने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि विश्वश्वर महादेव के दर्शन मात्र से ही सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं। भगवान शिव की कृपा से मन को शांति मिलती है और बिगड़े काम भी बन जाते हैं। यदि आप विश्वश्वर महादेव के दर्शन करने जाते हैं तो दर्शन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
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