बीते कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल की ममता सरकार किसी ना किसी वजह से ख़बरों में बनी ही रही है। इस बार ममता सरकार के ख़बरों में आने की वजह थोड़ी अलग है, राजनीतिक गहमा गहमी के बीच बंगाल सरकार ने स्कूलों में बच्चियों के साथ आये दिन होने वाली छेड़छाड़ की घटना से निजात दिलाने के लिए जो फैसला लिया है उसे बेहद हास्यास्पद और बचकाना बताया जा रहा है। पश्चिम बंगाल सरकार के इस फैसले ने लोगों के दिलों में सरकार के प्रति असंतोष का भाव पैदा कर दिया है।
स्कूलों में छेड़खानी रोकने के लिए बंगाल सरकार का अजीब फैसला
आपको बता दें की बंगाल के मालदा जिले के एक सरकारी स्कूल में आये दिन बच्चियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ की घटना को रोकने के लिए बेहद अजीब फ़रमान जारी किया है। सरकारी फैसले के अनुसार बच्चियों की सुरक्षा को देखते हुए सरकार ने हफ्ते के छह दिनों में से तीन दिन लड़कियों के आने के लिए और तीन दिन लड़कों के स्कूल आने के लिए निर्देश दिए हैं। हालाँकि सरकार के फैसले को वहां के स्थानीय प्रशासन ने बेहद अजीब बताते हुए उसे वापस लेने की मांग की है।
स्कूल के प्रधानाध्यापक का बेतुका बयान
पश्चिम बंगाल सरकार के ऐसे बेतुके फैसले को सही बताते हुए बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर स्थित गिरिजा सुंदरी विद्या मंदिर के प्रधानाध्यापक ने ये बयान दिया है की “बीते दिनों स्कूल में लड़कियों के साथ दर्जन भर से ज्यादा छेड़खानी की घटनाएं सामने आयी हैं जिसे देखते हुए ऐसे फैसले लिए गए हैं।“ स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बताया की इस फैसले के बाद लड़कियां सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को स्कूल आएँगी जबकि लड़के मंगलवार, बृहस्पतिवार और शनिवार को स्कूल आएंगे।
शिक्षा मंत्री ने इस मामले में दिए जांच के आदेश
बता दें कि स्कूल प्रशासन और सरकार के लिए इस फैसले को बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने मानने से इंकार कर दिया है। उन्होंने ऐसे फैसले को अमान्य बताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा की इस तरह के फैसले के किसी भी हाल में समर्थन नहीं किया जा सकता है। पार्थ चटर्जी ने मीडिया से बात करते हुए कहा है की उन्होंने आला अधिकारियों से इस मामले की तफ़्तीश करने का आदेश दिया है और साथ ही स्कूल प्रशासन एवं सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।