खुल गए हैं बद्रीनाथ का कपाट: जानें बद्रीनाथ मंदिर के बारे में ये रोचक बातें !

इस वर्ष 18 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए हैं। ऐसा लगातार दूसरे साल हो रहा है जब कोरोना वायरस के चलते बद्रीनाथ के कपाट खुले तो हैं लेकिन यहां पर आम श्रद्धालुओं के आने की मनाही है। ऐसे में इस वर्ष भी हमें घर बैठे ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने होंगे। इस वर्ष भी पिछले साल की ही तरह मंदिर में केवल पुजारी ही मौजूद होंगे जो समय-समय पर पूजा पाठ करेंगे।

हिन्दू धर्म के पवित्र चार धामों में बद्रीनाथ धाम का नाम भी शामिल है। बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण रूप की पूजा की जाती है। इस मंदिर का जिक्र विष्णु पुराण,महाभारत और स्कंद पुराण में भी मिलता है।

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ब्रह्म मुहूर्त में खोले गए बद्रीनाथ धाम के कपाट

कोरोना महामारी के चलते सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए इस वर्ष भक्त तो भगवान बद्रीनाथ के साक्षात दर्शन नहीं कर पाएंगे हालांकि मंदिर का कपाट पूरी रीति-रिवाजों, परंपराओं के साथ खोला गया है। इस दौरान पुष्य नक्षत्र और वृषभ लग्न में मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे।

समय की बात करें तो मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त पर 4:15 पर बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए और यह अगले 6 महीने तक खुले रहने वाले हैं और इस दौरान लगातार रोजाना यहां पर बद्रीनारायण  जी की पूजा अर्चना और आरती होती रहेगी। बद्रीनाथ धाम के खुलने के बाद अब उत्तराखंड में मौजूद सभी चारों धामों के कपाट खुल गए हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि, बद्रीनाथ के कपाट खुलने के बाद ही भैरवनाथ के कपाट खोले जाते हैं जो इस साल मंगलवार के दिन खोल दिए गए हैं। भैरव नाथ का मंदिर केदारनाथ से 3 किलोमीटर दूर स्थित है और भैरवनाथ को केदारनाथ का क्षेत्र रक्षक माना जाता है। 

जानकारी: इस वर्ष यमुनोत्री के कपाट 14 मई को खोले गए थे, गंगोत्री के 15 मई को, केदारनाथ के 17 मई को, और इसके बाद बदरीनाथ के कपाट 18 मई को खोल दिए गए हैं

कैसे तय की जाती है मंदिरों के कपाट खोलने की यह तारीख?

दरअसल बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तारीख बसंत पंचमी को तय की जाती है। इसके लिए टिहरी महाराज की जन्म कुंडली देखी जाती है उसके बाद राज्य ज्योतिष और मंदिर के अधिकारी कपाट खुलने की तारीख तय करते हैं। ऐसे ही केदारनाथ मंदिर खुलने की तिथि शिवरात्रि को उखीमठ में निश्चित की जाती है।

बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी रोचक बातें

  • बद्रीनाथ मंदिर में बद्री नारायण की पूजा होती है और इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। बद्रीनाथ धाम में बद्रीनारायण की 1 मीटर लंबी शालिग्राम से बनी हुई मूर्ति स्थापित है जिसके बारे में कहा जाता है कि, आठवीं शताब्दी में शंकराचार्य ने इस मूर्ति को स्थापित किया था।
  • बद्रीनाथ मंदिर का उल्लेख विष्णु पुराण, महाभारत, स्कन्द पुराण जैसे महत्वपूर्ण और प्राचीन शास्त्रों में वर्णित है। स्कंद पुराण में बद्रीनाथ मंदिर का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि, “बहुनि सन्ति तीर्थानि दिव्य भूमि रसातले। बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यतिः॥”, जिसका सरल शब्दों में अर्थ होता है कि, ‘तीनों ही जगहों अर्थात स्वर्ग, पृथ्वी और नर्क में यूं तो कई तीर्थ स्थान है लेकिन इनमें से ना ही कोई स्थान बद्रीनाथ जैसा है, ना था, और ना ही कभी होगा।
  • बद्रीनाथ के बारे में ऐसा कहा जाता है कि, एक समय में भगवान विष्णु अपने लिए ध्यान और योग करने के लिए एक उचित जगह ढूंढ रहे थे और तभी उन्हें अलकनंदा के पास यह जगह बेहद ही अच्छी लगी। नीलकंठ पर्वत के पास भगवान विष्णु ने बाल रूप में अवतार लिया और यहां पर खेलने लगे। इस दौरान उनका रोना सुनकर मां पार्वती का हृदय द्रवित हो उठा और उन्होंने बालक को चुप कराने के लिए उसे मनाने का प्रयास किया। तब बालक ने ध्यान करने के लिए माता पार्वती से यह स्थान मांग लिया। कहा जाता है तभी से यह पवित्र स्थान बद्रीनाथ के रूप में प्रसिद्ध हो गया है।

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