ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली अमावस्या को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और वट सावित्री का व्रत रखती हैं। देश के कई प्रमुख हिस्सों में बड़मावस का नाम कम लोकप्रिय है और लोग इसे वट सावित्री के रूप में ही मनाते हैं। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने का भी बहुत महत्व है। आगे जानिए कि इस साल बड़मावस कब पड़ रही है।
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कब पड़ रही है बड़मावस
अमावस्या तिथि की शुरुआत 05 जून को शाम 07 बजकर 57 मिनट पर होगी और इसका समापन 06 जून को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगा। इस प्रकार 06 जून, 2024 को बड़मावस मनाई जाएगी।
सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए इस दिन वट सावित्री का व्रत भी रखती हैं। पुराणों के अनुसार इसी दिन देवी सावित्री ने अपने पत्नीधर्म के दम पर यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे। इसके अलावा इस दिन को लेकर एक मान्यता यह भी है कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि देव का जन्म भी हुआ था। अत: बड़मावस के दिन वट और पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि देव भी प्रसन्न होते हैं।
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सनातन धर्म में बड़मावस को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इस दिन पितरों की शांति के लिए पूजा करता है, तो उसकी पूजा जरूर सफल होती है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों और तालाबों में स्नान करने से मनुष्य को अपने सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है और इस दिन दान करने से पुण्य बढ़ जाते हैं।
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बड़मावस पर क्यों होती है बरगद के पेड़ की पूजा
पौराणिक कथाओं के अनुसार बड़मावस के दिन सावित्री के पति सत्यवान को बरगद के पेड़ के नीचे ही दोबारा जीवनदान मिला था इसलिए इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित स्त्रियां वट सावित्री का व्रत रखती हैं और सावित्री एवं उनके पति सत्यवान की पूजा के साथ-साथ बरगद के वृक्ष की भी पूजा करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों के पति की आयु लंबी होती है।
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बड़मावस की पूजा कैसे करें
जानिए कि बड़मावस के दिन पूजन करने की क्या विधि है:
- अगर आपके आसपास कोई बरगद का पेड़ नहीं है, तो आप एक छोटे गमले में बरगद के पेड़ की जड़ लगाकर उसकी पूजा करें।
- बायना के लिए आप एक कटोरी में चने भिगो दें और इसमें कुछ पैसे भी डाल दें।
- अब एक छोटे से कलश में पानी भर कर रखें।
- इसके बाद रोली, मौली, अक्षत, गुड़, फल, भीगे हुए चने और कुछ पैसे रख लें।
- एक कच्चा सफेद सूती धागा रखें, धूप, दीपक और माचिस रख लें।
- अब आप बरगद के पेड़ पर जल, मौली, रोली, गुड़, भीगे हुए चने और फल चढ़ाएं।
- इसके बाद धूप दें और दीपक जलाएं और पैसे अर्पित करें।
- फिर अपने माथे पर तिलक लगाएं। अब बरगद के पेड़ की एक पत्ती लें और उसे मोड़कर उस पर मौली का धागा बांध दें। आपने गले में कोई चेन पहनी है, तो इसे उस पर बांध लें।
- वृक्ष की सात या ग्यारह बार परिक्रमा करते हुए उस पर मौली या सूती धागा बांधें।
- अब आप बड़मावस की कथा सुनें या पढ़ें और इस दौरान भीगे चने अपने हाथ में रखें। कथा समाप्त होने पर चने को कलश के जल में डाल दें।
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बड़मावस के लिए उपाय
अमावस्या तिथि पर कुछ ज्योतिषीय उपायों की सहायता से आप अपने जीवन के कष्टों को दूर कर सकते हैं, ये उपाय निम्न हैं:
- इस दिन आप अपने बड़े-बुजुर्गो का अपमान न करें।
- अमावस्या पर दान करने का भी बहुत महत्व है। गरीबों और जरूरमंद लोगों को चावल, गुड़ और दूध का दान करें।
- अमावस्या के दिन शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए।
- इस दिन पशु-पक्षियों को दाना खिलाएं। इस उपाय को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
FAQ
उत्तर. ज्येष्ठ माह में आने वाले कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर बड़मावस पड़ती है।
उत्तर. साल 2024 में बड़मावस 06 जून को पड़ रही है
उत्तर. इस वृक्ष के नीचे ही सावित्री के पति को जीवनदान मिला था।
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