महाभारत काल के अहम पात्र अश्वत्थामा का नाम आपने सुना होगा। ऐसा कहा जाता है कि अश्वत्थामा आज भी जीवित है। एक श्राप के कारण वह दर-दर भटक रहा है। लेकिन क्या यह बात वाक़ई में सच है या फिर लोगों के द्वारा फैलाई जाने वाली महज़ एक अफवाह है। इस रहस्य को जानने से पहले अश्वत्थामा के बारे में जानना बेहद ज़रुरी है।
कौन है अश्वत्थामा?
अश्वत्थामा गुरु दोणाचार्य का पुत्र है। कहा जाता है कि भगवान शिव के आशीर्वाद से द्रोणाचार्य और उनकी पत्नी कृपि के यहाँ एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। यह बालक कोई और नहीं बल्कि अश्वत्थामा ही थे। जन्म के समय अश्वत्थामा घोड़े की तरह मिनमिनाने लगे थे और इसलिए इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। इनके बचपन से एक और दिलचस्प किस्सा जुड़ा है। पैदा होते समय अश्वत्थामा के माथे पर एक अमूल्य मणि विद्यमान थी।
अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण ने क्यों दिया था श्राप?
महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा कौरवों की ओर से पांडवों के विरुद्ध युद्ध लड़ रहे थे। द्रोणाचार्य ने अपने पराक्रम और शौर्य से पाण्डवों की सेना को तितर-बितर कर दिया था। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के साथ मिलकर गुरु द्रोण को मारने की योजना बनायी। युद्ध के दौरान पांडवों ने द्रोणाचार्य के सामने यह अफ़वाह फैलायी कि “अश्वत्थामा मारा गया।” अपने पुत्र की मौत का समाचार सुनकर द्रोणाचार्य शोक में डूब गए और फिर अपने शस्त्रों को एक किनारे रख दिया। इस अवसर का लाभ उठाते हुए द्रोपदी के भाई द्युष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का वध कर दिया।
अपने पिता की छल से हुई हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए अश्वत्थामा ने पाण्डव पुत्रों की सोते समय हत्या कर दी थी। उनके इस कूकृत्य की सभी ने निंदा की। ऐसा कहा जाता है कि द्रौपदी ने अर्जुन की प्रार्थना पर गुरु पुत्र को प्राण दान दे दिया था लेकिन सजा के तौर पर उसकी मणि छीन ली गई और उसके बाल काट लिए गए। उन दिनों बाल काट लेने का मतलब मृत्युदंड के समान माना जाता था। अश्वत्थामा के इसी पाप के कारण भगवान श्रीकृष्ण ने उसे युगों-युगों तक कष्ट भोगने और भटकने का श्राप दे दिया था।
अश्वत्थामा से जुड़ा तथ्य
पाण्डव पुत्रों की हत्या के बाद जब अश्वत्थामा भागा तब भीम ने उसका पीछा किया और अष्टभा क्षेत्र जो वर्तमान में गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा के पास स्थित है। यहाँ दोनों के बीच युद्घ हुआ। यहाँ भीम की गदा जमीन से टकराने के कारण एक कुण्ड बन गया है। पास ही में अश्वत्थाम कुंड भी है। यहां लोग मानते हैं कि आज भी रात के समय अश्वत्थामा मार्ग से भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाता है।
क्या आज भी जिंदा है अश्वत्थामा?
लोगों का विश्वास है कि मध्य प्रदेश में महू ज़िला से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित विंध्यांचल की पहाड़ियों पर खोदरा महादेव विराजमान हैं। माना जाता है कि यह अश्वत्थामा की तपस्थली है और आज भी अश्वत्थामा यहाँ आते हैं। इसके अलावा उड़ीसा, उत्तराखंड के जंगलों में आज भी अश्वत्थामा को देखे जानें की चर्चाएं होती हैं। उसके स्वरूप के बारे में लोग कहते हैं कि उसके शरीर पर हमेशा घाव बने हैं, जिनसे ख़ून निकलता रहता है। तो क्या यह बात सच है कि पिछले पाँच हज़ार सालों से अश्वत्थामा आज तक भटक रहा है।