हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 26 मई, 2022 को पड़ रही है। भारत में इसे अजला/अचला और अपरा नामों से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन का व्रत करने से कीर्ति, पुण्य और धन की वृद्धि होती है। साथ ही मनुष्य को ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों से छुटकारा भी मिल जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा तुलसी, चंदन, कपूर और गंगाजल के साथ विधिवत करनी चाहिए।
अपरा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत करने वाले मनुष्य को उस फल की प्राप्ति होती है, जो गंगा के तट पर पिंडदान करने से प्राप्त होता है। साथ ही कुंभ में केदारनाथ या बदरीनाथ के दर्शन और सूर्य ग्रहण के समय स्वर्णदान करने से जो फल मिलता है, वही फल इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से मिलता है इसलिए इस दिन लोग ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और पूरे विधिविधान के साथ इसका व्रत करते हैं।
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अपरा एकादशी की तिथि व समय
दिनांक: 26 मई, 2022
दिन: गुरुवार
हिंदी महीना: ज्येष्ठ
तिथि: एकादशी
पारण मुहूर्त: 27 मई, 2022 की सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक
एकादशी तिथि आरंभ: 25 मई, 2022 की सुबह 10 बजकर 34 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 26 मई की सुबह 10 बजकर 55 मिनट तक
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अपरा एकादशी व्रत पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
- घर के मंदिर में दीपक जलाएं।
- इसके बाद भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें।
- फिर भगवान को फूल और तुलसी दल अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान को सात्विक चीज़ों का भोग लगाएं। लेकिन याद रहे कि भोग में तुलसी अवश्य इस्तेमाल करें क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान तुलसी के बिना भोग नहीं ग्रहण करते हैं।
- इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें तथा विष्णु सहस्रनाम का जाप करें। ऐसा इसलिए चूंकि कहा जाता है कि विष्णु सहस्रनाम का जाप करने वाले मनुष्य पर भगवान की विशेष कृपा होती है।
- इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें।
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अपरा एकादशी के दिन ध्यान रखने योग्य बातें
- एकादशी के एक दिन पहले यानी कि दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
- दशमी की रात भगवान का स्मरण करते हुए सोना चाहिए।
- व्रत वाले दिन किसी के साथ छल नहीं चाहिए।
- किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए।
- किसी की बुराई या निंदा नहीं करनी चाहिए।
- ब्राह्मणों या बड़े-बुजुर्गों का अनादर नहीं करना चाहिए।
- किसी से भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
- इस दिन चोरी और लोभ से भी बचना चाहिए।
- प्याज़, लहसुन जैसे तामसिक भोजन से बचें।
- एकादशी के दिन चावल का सेवन करना पूर्ण रूप से वर्जित माना गया है इसलिए भूलकर भी चावल का सेवन न करें।
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अपरा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में महीध्वज नाम का एक धर्मात्मा राजा था। उसका एक छोटा भाई था, जिसका नाम था वज्रध्वज और वह उस राजा के प्रति द्वेष भावना रखता था। एक दिन वज्रध्वज ने मौका पाकर राजा की हत्या कर दी और उसकी लाश को जंगल में ले जाकर पीपल के पेड़ के नीचे दफना दिया। अकाल मृत्यु होने की वजह से राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल में रहने लगी। फिर वह प्रेत आत्मा वहां से गुज़रने वाले प्रत्येक व्यक्ति को परेशान करने लगी।
लोगों के अंदर उसका डर बैठने लगा। एक दिन उसी रास्ते से एक ऋषि गुज़र रहे थे तो उन्होंने उस प्रेत आत्मा को देखा और अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने के पीछे का कारण पता किया। उसके बाद ऋषि ने अपनी शक्तियों के बल पर उस प्रेत आत्मा को पीपल के पेड़ से नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया। उस आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने ख़ुद अपरा एकादशी का विधिवत व्रत किया और द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने के बाद मिला हुआ पुण्य उस प्रेत को दे दिया।
उसी व्रत के प्रभाव से राजा की प्रेत आत्मा को प्रेत योनि से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई और उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति हुई।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का दिव्य आशीर्वाद पाने लिए करें ये उपाय
- अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और पूरे घर की अच्छे से साफ़-सफाई करें और फिर नहाने के बाद भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करें एवं उनका ध्यान करें। ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
- शास्त्रों के अनुसार, पीपल के पेड़ में देवताओं का वास होता है, इसलिए अपरा एकादशी के दिन पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं। इससे मनुष्य पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
- अपरा एकादशी के दिन शाम के वक़्त घर के प्रत्येक हिस्से में दीपक जलाएं। इससे घर में समृद्धि आती है तथा धन की कमी नहीं रहती है।
- भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए अपरा एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में गाय के दूध से भगवान का अभिषेक करें।
अपरा एकादशी 2022 को बन रहा है आयुष्मान योग
जैसा कि आप जानते हैं कि हिन्दू संस्कृति में ‘आयुष्मान भवः’ लंबी आयु के लिए बोला जाता है। यहां इसका तात्पर्य यह है कि आयुष्मान योग में किए गए सभी कार्य लंबे समय तक फलदायी रहते हैं या उनका प्रभाव बहुत लंबे समय तक देखने को मिलता है। कहा जाता है कि इस योग में किया गया कार्य जीवन भर सुख देता है।
आयुष्मान योग की अवधि
आयुष्मान योग 25 मई, 2022 की रात 10 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगा और 26 मई, 2022 की रात 10 बजकर 13 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
अपरा एकादशी को मीन राशि में हो रहा है चंद्रमा का गोचर
ज्योतिष के अनुसार, मीन राशि में चंद्र के प्रभाव के कारण मनुष्य अक्सर अपनी ही दुनिया में खोया रहता है। इस कारण से ये अपना बहुमूल्य समय दूसरी चीज़ों में व्यर्थ कर देते हैं। हालांकि इन लोगों का सेंस ऑफ़ ह्यूमर काफ़ी अच्छा होता है लेकिन बहुत ज़्यादा प्रभावशाली नहीं होता है। ऐसे लोग दूसरों के लिए पूरी तरह से समर्पित होते हैं।
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