अपरा एकादशी व्रत दिलाता है अनगिनत लाभ, जानें पूजा विधि और महत्व!

अपरा एकादशी व्रत से मिलता है अपार धन और समाज में यश।

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। अपरा एकादशी का पर्व 18 मई, 2020 सोमवार के दिन मनाया जायेगा। अपरा एकादशी को अजला और अपरा नामों से भी जानते हैं। इस एकादशी के दिन भगवान त्रिविक्रम यानि भगवान विष्णु की तुलसी, चंदन, कपूर व गंगाजल से पूजा करनी चाहिए। 

कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को कीर्ति, पुण्य, धन की प्राप्ति और इनमें वृद्धि होती है। वहीं मनुष्य ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों मुक्ति पाता है। अपरा का अर्थ होता है अपार, इसीलिए पुराणों के अनुसार इस दिन व्रत करने से अपार धन-दौलत और यश की प्राप्ति होती है। हम सभी कोरोना के चलते मानसिक, शारीरिक और आर्थिक जीवन को लेकर परेशान हैं। व्यक्ति को वर्तमान जीवन में चली आ रही आर्थिक परेशानियों से राहत पाने के लिए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए।

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अपरा एकादशी पूजा मुहूर्त 

इस साल अपरा एकादशी का पर्व 18 मई, सोमवार के दिन मनाया जायेगा। अपरा एकादशी का व्रत रखने वाले लोग 19 मई, मंगलवार को पारणा करेंगे। पारणा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 08 बजकर 11 मिनट तक है। व्रत खोलने की कुल अवधि लगभग 2 घंटे 43 मिनट की है। 

अपरा एकादशी व्रत का महत्व

पुराणों में अपरा एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो फल गंगा नदी के तट पर पितरों को पिंडदान करने, कुंभ में केदारनाथ के दर्शन या फिर बद्रीनाथ के दर्शन, सूर्यग्रहण में स्वर्णदान करने से मिलता होता है, वही फल अपरा एकादशी का व्रत करने से भी प्राप्त होता है। यह व्रत अपार धन और समाज में यश देने वाली है। जो भी मनुष्य इस व्रत को करते हैं, वह संसार में प्रसिद्ध हो जाता है।

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अपरा एकादशी व्रत पूजा विधि

मान्यता है कि अपरा एकादशी का व्रत करने से लोग पापों से मुक्ति पाकर भवसागर से तर जाते हैं। चलिए बताते हैं आपको इस व्रत की पूजा विधि:

  • अपरा एकादशी का व्रत रखने वाले को एक दिन पूर्व यानि दशमी के दिन से ही नियमों का पालन करना चाहिए। जातक को दशमी के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए और रात में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए।
  • एकादशी के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ़ वस्त्र पहन लें और हाथ में जल व फूल लेकर व्रत का संकल्प करें।  
  • अब पूर्व दिशा की तरफ एक साफ़ स्थान या लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित करें और धूप-दीप जलाएं। 
  • उसके बाद सच्चे मन से भगवान विष्ण की पूजा करनी चाहिए। पूजा में तुलसी, चंदन, पान, सुपारी, लौंग, गंगाजल और फल का प्रसाद आदि अर्पित करें।
  • व्रती पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय में अपरा एकादशी की व्रत कथा सुनें और फलाहार करें। 
  • इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को छल-कपट, बुराई और झूठ नहीं बोलना चाहिए।
  • घर में एकादशी वाले दिन लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं। साथ ही एकादशी के दिन चावल खाने की भी मनाही होती है।
  • अपरा एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। मान्यता है कि एकादशी पर जो व्यक्ति विष्णुसहस्रनाम का पाठ करता है, उस पर सदैव भगवान विष्णु की विशेष कृपा रहती है।
  • द्वादशी के दिन ऊपर बताए गए पारणा मुहूर्त से पहले उठकर भगवान की पूरे विधि-विधान से पूजा करें  और बताए गए पारणा मुहूर्त में अपना व्रत खोलें। 

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ज़रूर सुने अपरा एकादशी व्रत की कथा

अपरा एकादशी की कथा कुछ इस प्रकार है कि प्राचीन काल में महीध्वज नाम का एक बहुत ही दयालु और धर्मात्मा राजा था। राजा सभी से बहुत से स्नेह रखता था, लेकिन उसका छोटा भाई वज्रध्वज अपने बड़े भाई के प्रति मन में द्वेष की भावना रखता था। एक दिन अवसर देखकर वज्रध्वज ने अपने बड़े भाई यानि राजा की हत्या कर दी और उसके शव को जंगल में एक पीपल के वृक्ष के नीचे गाड़ दिया। 

अकाल मृत्यु हो जाने की वजह से राजा की आत्मा भूत बनकर उसी पीपल के पेड़ पर रहने लगी और उस राह से गुजरने वाले हर इंसान को राजा की आत्मा परेशान करती थी। एक दिन एक ऋषि उसी रास्ते से गुजर रहे थे। तब उन्होंने उस प्रेत को देखा और अपने तपोबल से उसके प्रेत बन जाने का कारण जाना। जब ऋषि को उस आत्मा की बीती ज़िंदगी के विषय में पता चला तो उन्होंने राजा की प्रेतात्मा को पीपल के पेड़ से नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया। 

साथ ही ऋषि ने राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं अपरा एकादशी का व्रत भी रखा और द्वादशी के दिन व्रत पूरा हो जाने पर व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया। अपरा एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा की आत्मा को प्रेतयोनि से मुक्ति मिली और वह स्वर्ग चला गया।

आशा करते हैं इस लेख में  दी गयी जानकारी आपको पसंद आयी होगी। 

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