अंगारकी संकष्टी चतुर्थी आज : जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त !

हिन्दू धर्म में गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। हाल ही में गणेश उत्सव की समाप्ति के बाद आज 17 सितंबर को अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है। ये व्रत मुख्य रूप से गणेश जी के लिए रखा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार हर माह आने वाली संकष्टी चतुर्थी की तरह ही अंगारकी संकष्टी चतुर्थी को भी ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। चूँकि इस बार ये चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। आज हम आपको इस दिन का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताने जा रहे हैं। 

अंगारकी चतुर्थी का महत्व

हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार आज के दिन व्रत रखना बेहद लाभकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन व्रत रखने से पूरे वर्ष में आने वाले चतुर्थी का लाभ मिलता है। इसके साथ ही साथ अंगारकी चतुर्थी का व्रत रखने से विशेष रूप से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है। इसके अलावा शास्त्रों में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि आज के दिन व्रत रखने से मुख्य रूप से परिवार में सुख शांति बरक़रार रहती है और जीवन में प्रगति के मार्ग प्रसस्थ होते हैं। वैसे तो संकष्टी चतुर्थी महीने में दो बार आती है लेकिन मंगलवार के दिन पड़ने वाले चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है और इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखकर विधि पूर्वक उनकी पूजा अर्चना की जाती है। 

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आज इस प्रकार से करें गणेश जी की पूजा अर्चना 

  • यदि आप आज व्रत रखते हैं तो सबसे पहले स्वयं सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद साफ़ वस्त्र धारण करें। 
  • अब पूजा स्थल की साफ़ सफाई कर लें और पूर्व दिशा में आसान बिछाकर बैठें। 
  • इसके बाद “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। 
  • यदि आप किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत रख रहे हैं तो पूजा के दौरान लाल वस्त्र पहन कर बैठें और गणेश जी को लाल के रंग का चंदन जरूर अर्पित करें। 
  • बता दें कि यदि आप आज व्रत विशेष रूप से केवल अपने मन की शांति और संतान की उन्नति के लिए रख रहें हैं तो पीले रंग का वस्त्र धारण करें और गणेश जी को सफ़ेद चंदन अर्पित करें। 
  • आज गणेश पूजन के दौरान आपको कुछ ख़ास सावधानियां भी बरतनी की आवश्यकता भी पड़ सकती है। 
  • आज गणेश पूजन के दौरान भूलकर भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग ना करें। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि गणेश जी को तुलसी के पत्ते चढ़ाना वर्जित माना जाता है। 
  • गणेश जी को चढ़ाया जाने वाला फूल पवित्र और ताज़ी होनी चाहिए। 
  • इसके अलावा गणेश पूजन के दौरान उन्हें दूर्वा अवश्य चढ़ाएं। 
  • इसके साथ ही साथ गणेश जी को खासतौर से प्रसाद के रूप में मोदक और मोतीचूर के लड्डू चढ़ाएं जा सकते हैं। 

आज गणेश पूजन के दौरान निम्न मंत्रों का जाप अवश्य करें 

बता दें कि अंगारकी चतुर्थी के दिन गणेश पूजन के दौरान उनके ख़ास मंत्रों का जाप भी आवश्यक माना जाता है। इस दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना ख़ासा अहम माना जाता है। 

“खर्वं स्थूलतनुं गजेंन्द्रवदनं लंबोदरं सुंदरं

प्रस्यन्दन्मधुगंधलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्

दंताघातविदारितारिरूधिरै: सिंदूर शोभाकरं

वंदे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम” 

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