भगवान गणेश जी की महिमा के बारे में सभी जानते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश को याद करने से सारे विघ्न दूर हो जाते हैं। भाद्रपद माह में गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक भगवान गणेश की पूजा भक्तों द्वारा की जाती है। साल 2019 में 2 सितंबर को गणेश चतुर्थी थी और 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन किया जाएगा। गणपति विसर्जन से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान भक्तों द्वारा यदि भगवान गणेश के 108 नामों का उच्चारण किया जाता है तो इससे व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो जाती हैं। भगवान गणेश के 108 नामों के बाद प्रतिमा विसर्जन करना शुभ माना गया है।
भगवान गणेश के 108 नाम
- बालगणपति : सबसे प्रिय बालक
- बुद्धिनाथ : बुद्धि के भगवान
- भालचन्द्र : जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो
- एकदन्त : एक दांत वाले
- एकाक्षर : एकल अक्षर
- धूम्रवर्ण : धुंए को उड़ाने वाला
- गजवक्र : हाथी की सूंड वाला
- गजानन : हाथी के मुख वाले भगवान
- गजनान : हाथी के मुख वाले भगवान
- गजकर्ण : हाथी की तरह आंखें वाला
- गणपति : सभी गणों के मालिक
- गणाध्यक्ष : सभी गणों के मालिक
- गजवक्त्र : जिसका हाथी की तरह मुँह है
- गौरीसुत : माता गौरी के पुत्र
- लम्बकर्ण : बड़े कान वाले
- लम्बोदर : बड़े पेट वाले
- मूषकवाहन : जिसका सारथी चूहा
- महागणपति : देवो के देव
- महेश्वर : ब्रह्मांड के भगवान
- मंगलमूर्त्ति : शुभ कार्य के देव
- महाबल : बलशाली
- सिद्धिदाता : इच्छाओं और अवसरों के स्वामी
- प्रथमेश्वर : सब के बीच प्रथम आने वाले
- शूपकर्ण : बड़े कान वाले
- शुभम : सभी शुभ कार्यों के प्रभु
- निदीश्वरम : धन और निधि के दाता
- सिद्दिविनायक : सफलता के स्वामी
- सुरेश्वरम : देवों के देव
- अवनीश : पूरे विश्व के प्रभु
- अखूरथ : जिसका सारथी मूषक है
- अलम्पता : अनन्त देव
- अमित : अतुलनीय प्रभु
- अनन्तचिदरुपम : अनंत और व्यक्ति चेतना
- वक्रतुण्ड : घुमावदार सूंड
- अविघ्न : बाधाओं को हरने वाले
- भीम : विशाल
- भूपति : धरती के मालिक
- भुवनपति : देवों के देव
- बुद्धिप्रिय : ज्ञान के दाता
- बुद्धिविधाता : बुद्धि के मालिक
- चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले
- देवादेव : सभी भगवान में सर्वोपरी
- देवांतकनाशकारी : बुराइयों और असुरों के विनाशक
- देवव्रत : सबकी तपस्या स्वीकार करने वाले
- देवेन्द्राशिक : सभी देवताओं की रक्षा करने वाले
- धार्मिक : दान देने वाला
- दूर्जा : अपराजित देव
- द्वैमातुर : दो माताओं वाले
- एकदंष्ट्र : एक दांत वाले
- ईशानपुत्र : भगवान शिव के बेटे
- गदाधर : जिसका हथियार गदा है
- गणाध्यक्षिण : सभी पिंडों के नेता
- गुणिन : जो सभी गुणों के ज्ञानी
- हरिद्र : स्वर्ण के रंग वाला
- हेरम्ब : माँ का प्रिय पुत्र
- कपिल : पीले भूरे रंग वाला
- कवीश : कवियों के स्वामी
- कीर्त्ति : यश के स्वामी
- कृपाकर : कृपा करने वाले
- कृष्णपिंगाश : पीली भूरि आंख वाले
- क्षेमंकरी : माफी प्रदान करने वाला
- क्षिप्रा : आराधना के योग्य
- मनोमय : दिल जीतने वाले
- मृत्युंजय : मौत को हरने वाले
- मूढ़ाकरम : जिनमें खुशी का वास होता है
- मुक्तिदायी : शाश्वत आनंद के दाता
- नादप्रतिष्ठित : जिसे संगीत से प्यार हो
- नमस्थेतु : सभी बुराइयों और पापों पर विजय प्राप्त करने वाले
- नन्दन : भगवान शिव का बेटा
- सिद्धांथ : सफलता और उपलब्धियों की गुरु
- पीताम्बर : पीले वस्त्र धारण करने वाला
- रुद्रप्रिय : भगवान शिव के चहीते
- पुरुष : अद्भुत व्यक्तित्व
- रक्त : लाल रंग के शरीर वाला
- प्रमोद : आनंद
- सर्वदेवात्मन : सभी स्वर्गीय प्रसाद के स्वीकर्ता
- सर्वसिद्धांत : कौशल और बुद्धि के दाता
- सर्वात्मन : ब्रह्मांड की रक्षा करने वाला
- ओमकार : ओम के आकार वाला
- शशिवर्णम : जिसका रंग चंद्रमा को भाता हो
- शुभगुणकानन : जो सभी गुण के गुरु हैं
- श्वेता : जो सफेद रंग के रूप में शुद्ध है
- सिद्धिप्रिय : इच्छापूर्ति वाले
- स्कन्दपूर्वज : भगवान कार्तिकेय के भाई
- सुमुख : शुभ मुख वाले
- स्वरुप : सौंदर्य के प्रेमी
- उमापुत्र : पार्वती के बेटे
- उद्दण्ड : शरारती
- तरुण : जिसकी कोई आयु न हो
- वीरगणपति : वीर प्रभु
- वरप्रद : इच्छाओं और अवसरों के अनुदाता
- वरदविनायक : सफलता के स्वामी
- वरगणपति : अवसरों के स्वामी
- विद्यावारिधि : बुद्धि की देव
- विघ्नहर : बाधाओं को दूर करने वाले
- विघ्नहर्त्ता : बुद्धि की देव
- विघ्नविनाशन : बाधाओं का अंत करने वाले
- विघ्नराज : सभी बाधाओं के मालिक
- विघ्नराजेन्द्र : सभी बाधाओं के भगवान
- विघ्नविनाशाय : सभी बाधाओं का नाश करने वाला
- विघ्नेश्वर : सभी बाधाओं के हरने वाले भगवान
- विकट : अत्यंत विशाल
- योगाधिप : ध्यान के प्रभु
- विश्वमुख : ब्रह्मांड के गुरु
- विश्वराजा : संसार के स्वामी
- यशस्कर : प्रसिद्धि और भाग्य के स्वामी
- यशस्विन : सबसे प्यारे और लोकप्रिय देव
- विनायक : सब का भगवान
अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन का शुभ समय
शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी का दिन एक शुभ दिन माना जाता है। इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है। हालांकि विसर्जन के लिये विद्वानों द्वारा एक समय तय किया जाता है। इस साल 12 सितंबर को गणपति विसर्जन के लिये शुभ समय सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और दिन के 1:30 बजे से 3 बजे तक है।