आज 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। हर साल गणपति विसर्जन के दिन ही इस पर्व को मनाया जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन विशेष रूप से अनंत भगवान् की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन खासतौर से विष्णु जी के अनंत रूप के लिए व्रत रखा जाता है और उनकी पूजा अर्चना की जाती है। अनंत चतुर्दशी के अवसर पर पूजा के बाद सभी स्त्री पुरुष अपने अपने हाथों पर अनंत धागा बांधते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विशेष रूप से अनंत सूत्र बाँधने से व्यक्ति के जीवन के सभी दुखों और समस्याओं का अंत होता है। आज हम आपको मुख्य तौर से अनंत चतुर्दशी के दिन का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताने जा रहे हैं।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
सबसे पहले आपको बता दें कि अनंत भगवान को विष्णु जी का ही एक रूप माना जाता है। इसलिए इस दिन का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन अनंत भगवान् की पूजा अर्चना कर और व्रत रखना ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। पूजा अर्चना के बाद लोग अनंत रक्षा सूत्र बांधते हैं जिसे कम से कम चौदह दिनों तक हाथ पर बाँध कर जरूर रखना चाहिए। बता दें कि इस दिन बांधें जाने वाले रक्षा सूत्र में मुख्य रूप से चौदह गाँठे होती है जो विष्णु जी के चौदह विभिन्न अवतारों का प्रतीक माना जाता है। अनंत रक्षा सूत्र की चौदह गाँठें मुख्य रूप से तप, सत्य, जन, मह, स्वर्ग, भुवः, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल के कारक माने जाते हैं। इन्हें भगवान् विष्णु द्वारा बनाये गए उनके चौदह लोकों के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी रक्षा के लिए उन्होनें चौदह अवतार लिए थे। ऐसा माना जाता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान् विष्णु के अनंत रूप की पूजा अर्चना कर भक्त अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी बेहद ख़ास माना जाता है। पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन में सुख समृद्धि बनाये रखने के लिए इस दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन का महत्व इसलिए भी बेहद ख़ास है क्योंकि दस दिवसीय गणेश उत्सव का समापन भी इस दिन ही किया जाता है।
इस प्रकार से करें अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान् अनंत की पूजा
- सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और अनंत चतुर्दशी व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद पूजा स्थल पर एक कलश की स्थापना करें।
- विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें और कलश के ऊपर आठ दलों वाले कमल के फूल रखें।
- अब रेशम के धागे या कुश को केसर और हल्दी मिश्रित कच्चे दूध में भिगोकर रखें।
- इस धागे में चौदह गांठें लगाएं, वैसे तो आजकल अनंत रक्षा सूत्र आपको बाजार में बना बनाया भी मिल सकता है।
- “अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।।अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।” मंत्र का जाप करते हुए रक्षा सूत्र बांधें और श्रद्धाभाव के साथ भगवान् अनंत की पूजा अर्चना करें।
- रक्षासूत्र बाँधने के बाद विष्णु जी की षोडशोपचार विधि से पूजा पाठ करें। इस पूजा के दौरान परिवार के सभी लोगों का उपस्थित रहना अनिवार्य माना जाता है।
- इस दिन पूजा के बाद विशेष रूप से ब्राह्मण भोजन करवाना खासा महत्वपूर्ण माना जाता है।
अनंत पूजा का शुभ मुहूर्त
चूँकि अनंत चतुर्दशी की पूजा मुख्य रूप से चतुर्दशी मुहूर्त में ही की जाती है इसलिए इस दिन शुभ मुहूर्त का होना मायने रखता है।
चतुर्दशी तिथि आरंभ: 12 सितंबर, सुबह 5 बजकर 6 मिनट पर
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 13 सितंबर, सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर