अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति लेंगे आपसे विदा, जानें विसर्जन की पूजा विधि !

जैसा की आप सभी जानते हैं, 2 सितंबर को गणेश चतुर्थी के पर्व के साथ ही दस दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। बता दें कि दस दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार के दौरान विशेष रूप से लोगों में काफी हर्ष और उल्लास की भावना रहती है। गणेश उत्सव के दौरान बड़े-बड़े पंडाल बनाकर गणेश जी की भव्य मूर्तियां स्थापित की जाती है और दस दिनों तक विधि पूर्वक उनकी पूजा अर्चना की जाती है। गणपति विसर्जन हर साल अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। इस साल 12 सितंबर को गणपति आपसे विदा लेंगें। आइये जानते हैं गणपति विसर्जन के दिन किस प्रकार से करें बप्पा की पूजा अर्चना।

गणपति विसर्जन 2019

हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल गणेश चतुर्थी के दसवें दिन गणपति की मूर्ति विसर्जित की जाती है। इस दिन लोग हवन आदि करके भगवान् श्री गणेश से क्षमा प्रार्थना करते हैं की वो उनकी भूल चूक माफ़ करें और साथ ही साथ उनसे अगले साल फिर आने की याचना करते हैं। गणपति विसर्जन प्रत्येक साल अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से विष्णु जी के अनंत अवतार की पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें रक्षा धागा अर्पित कर उसे अपनी बाजू पर बांधते हैं। इस दिन प्रमुख रूप से दस दिनों तक स्थापित गणेश जी की मूर्ति की विधि पूर्वक पूजा अर्चना के बाद उनका विसर्जन किया जाता है। गणेश विसर्जन मुख्य रूप से महाराष्ट्र में काफी धूम धाम के साथ किया जाता है। श्रद्धालु इस दिन विशेष रूप से धूम धड़ाके के साथ गणपति की मूर्ति विसर्जन के लिए ले जाते हैं। 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह आठ बजे से गणपति विसर्जन की पूजा विधि शुरू की जा सकती है। 

गणपति विसर्जन पूजा विधि 

दस दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव के आखिरी दिन जब गणपति को विसर्जन के लिए लेकर जाते हैं तो श्रद्धालु नम आँखों से बप्पा को विदा करते हैं। असीम आस्था और विश्वास का पर्व गणेश चतुर्थी गणपति गजानन की विशेष रूप से पूजा अर्चना और उनकी वंदना के साथ संपन्न किया जाता है। इस दिन विसर्जन से पहले गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना का विधान है। आइये जानते हैं गणपति विसर्जन के दिन किस प्रकार से की जाए गणपति की पूजा अर्चना। 

  • गणेश विसर्जन के दिन विशेष रूप से सबसे पहले सुबह स्नान आदि से निवृत होने के बाद विधि पूर्वक गणेश जी की पूजा करें। 
  • विसर्जन के दिन भी गणेश जी की पूजा षोडशोपचार विधि से ही संपन्न करें। इस दिन खासतौर से गणेश पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सभी पूजन समाग्रियों का उपयोग करें। 
  • पूजा संपन्न करने के बाद हवन की शुरुआत करें और विधि पूर्वक गणेश जी के 108 बीज मंत्रों का जाप करते हुए आहुति प्रदान करें। 
  • हवन के दौरान गणेश जी के अन्य मंत्रों का जाप कर भी आहुति दिया जा सकता है। 
  • हवन समाप्त होने के बाद विशेष रूप से गणेश चालीसा का पाठ करना भी लाभकारी माना जाता है। 
  • इसके बाद आखिर में गणेश जी की भव्य आरती करें। 
  • गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जन के लिए किसी तालाब या नदी तट पर लेकर जाए और विसर्जन से पहले भी एक बार गणपति की आरती करें। 

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