हाल ही में अमेरिका से आई एक खबर ने भारत को विश्व भर में ख़ास बना दिया। दरअसल अमेरिकी संसद ने भारत को नाटो देशों के समान दर्जा देने वाले एक ख़ास विधेयक को मंजूरी दे दी है। ऐसे में अब ख़ास तौर से दोनों देशों के रक्षा संबंधों के मामले में अमेरिका भारत के साथ नाटो के अपने अन्य सहयोगी देशों, इजरायल और साउथ कोरिया की तर्ज पर ही सभी प्रकार की डील करेगा।
अमेरिकी संसद ने विधेयक को दी मंजूरी
बता दें कि वित्त वर्ष 2020 के लिए नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन ऐक्ट (NAA) को अमेरिकी सेनेट ने पिछले सप्ताह मंजूरी दी थी। अब इस विधेयक में संशोधन के प्रस्ताव को अमेरिकी संसद द्वारा हरी झंडी दिखा दी है। सेनेटर जॉन कॉर्निन और मार्क वॉर्नर की ओर से पेश किए गए इस विधेयक में साफ़ तौर से ये कहा गया था कि हिंद महासागर में भारत के साथ मानवीय सहयोग, आतंक के खिलाफ संघर्ष, काउंटर-पाइरेसी और मैरीटाइम सिक्योरिटी पर काम करने की अभी जरूरत है।
इस दर्जे से भारत और अमेरिका के संबंधों में आएगा नया बदलाव
विधेयक पारित होने के तुरंत बाद हिंदू अमेरिकी फ़ाउंडेशन ने विधेयक पारित करने पर सेनेटर कॉर्निन और वॉर्नर का अभिनंदन किया। इसी मामले पर हिंदू अमेरिकी फ़ाउंडेशन के एमडी समीर कालरा ने बयान दिया कि, ‘भारत को गैर-नाटो देश के दर्जे से ऊपर लाना बेहद महत्वपूर्ण है। यह भारत और अमेरिका के बीच अभूतपूर्व संबंधों की शुरुआत है।’
ग़ौरतलब है कि हिंदू अमेरिका फ़ाउंडेशन की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में शेरमैन ने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण फैसला है कि हमने अमेरिका और भारत के बीच के संबंधों के महत्व को समझा है।
साल 2016 अमेरिका ने भारत को दिया था बड़ा रक्षा साझीदार का दर्जा
याद रहे कि अमेरिका ने भारत को मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद साल 2016 में बड़ा रक्षा साझेदार माना था। इस रक्षा साझेदार के दर्जे का अर्थ है कि भारत उससे अधिक अडवांस और महत्वपूर्ण तकनीक वाले हथियारों की ख़रीद कर सकता है। ऐसे में अब नाटो देशों जैसा दर्जा हासिल करने के बाद भारत भी अमेरिका के क़रीबी देशों की तरह ही अब उससे आधुनिक हथियारों और तकनीक की ख़रीद कर सकता है।