आमलकी एकादशी का व्रत इंसान के लिए मोक्ष के मार्ग खोलती है।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। आमलकी शब्द का अर्थ होता है आंवला। शास्त्रों में आंवला को एक ख़ास स्थान दिया गया है। कहा जाता है कि जिस वक़्त भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा जी को जन्म दिया था उसी समय उन्होंने आंवला के वृक्ष को भी जन्म दिया था। भगवान विष्णु ने उस समय से ही आंवले के वृक्ष को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। आंवले के वृक्ष के बारे में कहा जाता है कि इसके हर अंग में ईश्वर का वास होता है।
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जानें इस वर्ष कब है आमलकी एकादशी?
इस वर्ष आमलकी एकादशी का पर्व 6 मार्च, 2020 शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा। इसके अलावा इस एकादशी से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गयी तालिका में मौजूद है,
आमलकी एकादशी पारणा मुहूर्त | 06:39:29 से 09:00:37 तक 7, मार्च को |
अवधि | 2 घंटे 21 मिनट |
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आमलकी एकादशी पूजन विधि
- आमलकी एकादशी व्रत से एक दिन पहले यानि कि दशमी तिथि की रात को ही विष्णु भगवान और उनके व्रत का ध्यान करते हुए सोना चाहिए।
- अगले दिन यानि कि आमलकी एकादशी के दिन उठकर स्नान करें और फिर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति के समक्ष तिल, कुश, मुद्रा और जल वगैरह हाथ में लेकर संकल्प करें कि, ‘मैं इस व्रत के माध्यम से भगवान विष्णु की प्रसन्नता और मोक्ष की कामना करते हुए इस ख़ास व्रत को रखने का संकल्प लेता हूँ। मेरा ये व्रत सही ढंग से पूरा हो और भगवान विष्णु मेरी भक्ति से प्रसन्न होकर मुझे मनोवांछित फल प्रदान करें मेरी बस यही कामना है।’
- इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद आंवले के पेड़ की पूजा का विधान बताया गया है। इसके लिए पहले एक आंवला का पेड़ ढूढें, उसके चारों तरफ सफाई करें और फिर गोबर से उस जगह को साफ़ करें।
- इसके बाद आंवले के पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाएं और उस पर कलश की स्थापना करें। इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर का आवाह्न करें।
- कलश स्थापना के समय ध्यान रहे कि कलश में सुगंधी और पंच रत्न अवश्य रखें। उसके बाद इसके ऊपर पंच पल्लव रखकर दीप जलाएं।
- अब इस कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप लगाएं और उसे वस्त्र से सुसज्जित करें।
- अंत में इस कलश के ऊपर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम की तस्वीर स्थापित करें और विधिवत रूप से उनकी पूजा करें।
- रात में भगवत कथा करें और भजन-कीर्तन से भगवान को प्रसन्न करें।
- अगले दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें, इसके अलावा कलश भी (परशुराम की मूर्ति सहित) किसी ब्राह्मण को भेंट कर दें और उसके बाद ही भोजन ग्रहण कर के अपना व्रत पूरा करें।
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आमलकी एकादशी व्रत कथा
यूँ तो आमलकी एकादशी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं लेकिन इनमें से एक कथा के अनुसार बताया जाता है कि, “प्राचीन समय में चित्रसेन नाम का एक राजा हुआ करता था। चित्रसेन के राज्य के लोग एकादशी व्रत को बहुत मानते थे और इस दिन पूरी निष्ठा से सभी एकादशी का व्रत रखते भी थे। प्रजा की ही तरह खुद राजा भी आमलकी एकादशी में बहुत विश्वास रखते थे।
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एक समय राजा जब शिकार खेलने गए तो शिकार खेलते-खेलते वो बहुत दूर जंगल में निकल गए। राजा को सूनसान जंगल में अकेला देखकर कुछ डाकुओं ने उन्हें घेर लिया और अपने हथियारों से उनपर हमला कर दिया। डाकुओं की संख्या ज़्यादा थी और अंत में नतीजा ये हुआ कि राजा बेहोश होकर गिर पड़ा। लेकिन तभी कुछ हैरान कर देने वाला हुआ, राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति बाहर आयी जिसनें सभी डाकुओं को मारा और वापिस राजा में समा गयी।
काफी समय बीत जाने के बाद जब राजा को होश आया तब डाकुओं को ऐसी हालत में देखकर वो भी हैरान रह गया। तब उसे आश्चर्य हुआ कि आखिर ये सब किसने किया? तभी एक आकाशवाणी हुई, “हे राजन,ये सभी दुष्ट जन इसलिए मारे गए हैं क्योंकि तुमनें आमलकी एकादशी का व्रत किया था। इसी व्रत के प्रभाव से तुम्हारे शरीर से आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति का प्राकट्य हुआ जिन्होंने इन डाकुओं का संहार किया था। उन्होंने डाकुओं को मारकर पुनः तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर लिया है।”
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यह बात सुनकर राजा बहुत खुश हुआ और वापिस अपने राज्य लौटकर उन्होंने ये सारी बातें लोगों को कह सुनाई, तब से राजा और उसकी प्रजा का आमलकी एकादशी पर विश्वास और बढ़ गया। इस कथा का सार यही बताता है कि आमलकी एकादशी व्रत का फल सभी व्रतों में बेहद उत्तम है।
आमलकी एकादशी व्रत महत्व
हिन्दू धर्म में रखे जाने वाले सभी व्रतों का अपना एक अलग महत्व बताया गया है। ठीक उसी तरह आमलकी एकादशी का भी बहुत महत्व होता है, जैसे,
- पद्म पुराण के अनुसार कहा गया है कि आमलकी एकादशी का व्रत सैकड़ों तीर्थ दर्शन के पुण्य के बराबर होता है।
- आमलकी एकादशी, इस व्रत से समस्त यज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
- इस व्रत को करने से इंसान मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
- कहा गया है कि जो लोग आमलकी एकादशी का व्रत नहीं भी करते हैं उन्हें भी इस दिन भगवान विष्णु को आंवला चढ़ाना और फिर उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करना चाहिए।
- इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवले का सेवन बहुत शुभ होता है।
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शादी में आ रही है अड़चन तो आमलकी एकादशी के दिन ज़रूर करें ये छोटा सा उपाय
अगर किसी साधक की शादी में बार-बार अड़चन आ रही है तो उन्हें बेहद सरल सा उपाय बताया गया है जिसे आमलकी एकादशी के दिन करने से उनकी परेशानी दूर हो सकती है
- सबसे पहले एक पीला वस्त्र बिछाकर उसपर आंवलें रखिये।
- अब इस पर लाल सिन्दूर लगाएं, पेठा चढ़ाएं और धूप-दीप चढ़ाकर पूजा करें।
- ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस मंत्र का जाप करें।
- अब पीले कपड़े में लपेटकर आंवले को तिजोरी में रख दें।
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