फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 25 मार्च गुरुवार के दिन आमलकी एकादशी है। आमलकी एकादशी को बहुत सी जगहों पर आंवला एकादशी भी कहा जाता है। एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट और परेशानियां दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 25 मार्च को पड़ने वाली आमलकी एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं।
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इस विशेष आर्टिकल में जानते हैं आमलकी एकादशी पर पड़ने वाले शुभ योगों की समस्त जानकारी और साथ ही इस दिन का शुभ और अशुभ मुहूर्त। आमलकी एकादशी पर दो शुभ योग बन रहे हैं। पहला शुभ योग सुकर्मा योग है जो 24 मार्च को सुबह 11 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा और 25 मार्च को 10 बजकर 03 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा दूसरा शुभ योग है धृति योग जो 25 मार्च को 10 बजकर 03 मिनट से शुरू हो जाएगा और यह योग 26 मार्च को सुबह 7 बजकर 46 मिनट तक रहने वाला है।
आमलकी एकादशी के शुभ मुहूर्त की बात करें तो,
12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक
आमलकी एकादशी पारणा मुहूर्त :06:18:53 से 08:46:12 तक 26, मार्च को
अवधि : 2 घंटे 27 मिनट
और अशुभ मुहूर्त की बात करें तो,
10 बजकर 25 मिनट से 11 बजकर 14 मिनट तक, 15 बजकर 18 मिनट 59 सेकंड से 16 बजकर 07 मिनट 59 सेकंड तक
आमलकी एकादशी की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जो कोई भी व्यक्ति इस दिन का व्रत करता है उसके सभी पाप दूर होते हैं। यदि आपके मन में भी यह सवाल है कि, आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा का इतना महत्व क्यों है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें की कि, दरअसल इसी दिन सृष्टि के आरंभ में आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई थी।
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एकादशी तिथि पर इन बातों का रखें विशेष ध्यान
एकादशी व्रत की जब बात होती है तो कुछ शब्दों का काफी प्रयोग किया जाता है। इन शब्दों का अर्थ व्यक्ति को अवश्य पता होना चाहिए और साथ ही इसके अनुसार ही एकादशी व्रत किया जाना फलदाई माना गया है।
- पारण: एकादशी व्रत के समापन को पारण कहते हैं। बात करें एकादशी व्रत के पारण की तो अगले दिन सूर्योदय के बाद एकादशी व्रत का पारण किया जाता है। यानी की एकादशी तिथि के दिन किए जाने वाले व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना बेहद जरूरी होता है। मान्यता के अनुसार यदि द्वादशी तिथि के अंदर अंदर पारणा किया जाए तो ऐसा करना पाप करने के समान होता है।
- हरि वासर: एकादशी व्रत का पारण कभी भी हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। अब सवाल उठता है कि, हरि वासर क्या होता है? तो जानकारी के लिए बता दें कि, हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई समय को कहा जाता है। व्रत खोलने के लिए सबसे सही समय होता है सुबह का समय। यदि आपने एकादशी का व्रत किया भी किया है तो आप को मध्याह्न के द्वारा व्रत खोलने से बचना चाहिए। कोशिश करें कि, सुबह-सुबह अपना व्रत खोलें। पर यदि किन्हीं कारणवश आप प्रातः काल व्रत नहीं खोल सके तो मध्याह्न के बाद पारण करने की सलाह दी जाती है।
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एकादशी 2021 तारीखें
गुरुवार, 25 मार्च आमलकी एकादशी
बुधवार, 07 अप्रैल पापमोचिनी एकादशी
शुक्रवार, 23 अप्रैल कामदा एकादशी
शुक्रवार, 07 मई वरुथिनी एकादशी
रविवार, 23 मई मोहिनी एकादशी
रविवार, 06 जून अपरा एकादशी
सोमवार, 21 जून निर्जला एकादशी
सोमवार, 05 जुलाई योगिनी एकादशी
मंगलवार, 20 जुलाई देवशयनी एकादशी
बुधवार, 04 अगस्त कामिका एकादशी
बुधवार, 18 अगस्त श्रावण पुत्रदा एकादशी
शुक्रवार, 03 सितंबर अजा एकादशी
शुक्रवार, 17 सितंबर परिवर्तिनी एकादशी
शनिवार, 02 अक्टूबर इन्दिरा एकादशी
शनिवार, 16 अक्टूबर पापांकुशा एकादशी
सोमवार, 01 नवंबर रमा एकादशी
रविवार, 14 नवंबर देवुत्थान एकादशी
मंगलवार, 30 नवंबर उत्पन्ना एकादशी
मंगलवार, 14 दिसंबर मोक्षदा एकादशी
गुरुवार, 30 दिसंबर सफला एकादशी
आशा करते हैं इस लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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