25 मार्च आमलकी एकादशी, पौराणिक कथा से जानें आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई थी

फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस वर्ष यह तिथि 25 मार्च गुरुवार को पड़ रही है। हिंदू धर्म में हर एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। एकादशी का यह दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है लेकिन, आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के वृक्ष की पूजा का विधान बताया गया है। 

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कैसे हुई आंवले के पेड़ की उत्पत्ति? 

विष्णु पुराण में आंवले के पेड़ से संबंधित कथा के अनुसार बताया जाता है कि, एक समय की बात है जब भगवान विष्णु के मुख से एक बिंदु प्रकट हुई और पृथ्वी पर गिर गई। यह बिंदु चंद्रमा के समान प्रतीत हो रही थी। बताया जाता है कि इसी बिंदु से आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई थी। क्योंकि आंवले के पेड़ की उत्पत्ति स्वयं भगवान विष्णु के मुख से हुई थी इसलिए आंवले के वृक्ष को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। 

सिर्फ आंवले के वृक्ष को ही नहीं बल्कि इस पेड़ के फल यानी आंवले को भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और कहा जाता है कि, इसके सेवन मात्र से व्यक्ति के बड़े-बड़े रोग, कष्ट और बीमारियों से व्यक्ति को छुटकारा प्राप्त होता है। आंवले का फल भगवान विष्णु को भी बेहद प्रिय है। ऐसे में आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त दुःख और कष्ट दूर होते हैं और जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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आमलकी एकादशी के शुभ मुहूर्त की बात करें तो, 

12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक

आमलकी एकादशी पारणा मुहूर्त :06:18:53 से 08:46:12 तक 26, मार्च को

अवधि : 2 घंटे 27 मिनट

और अशुभ मुहूर्त की बात करें तो, 

10 बजकर 25 मिनट से 11 बजकर 14 मिनट तक, 

15 बजकर 18 मिनट 59 सेकंड से 16 बजकर 07 मिनट 59 सेकंड तक

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शादी में आ रही है अड़चन तो आमलकी एकादशी के दिन ज़रूर करें ये छोटा सा उपाय

अगर आपके विवाह में बार-बार अड़चन आ रही है, बात बनते-बनते बिगड़ जाती है या फिर आपको अपने प्रेमी से विवाह करना हो तो आपको बेहद सरल सा उपाय बता रहे हैं जिसे आमलकी एकादशी के दिन करने से आपकी यह परेशानी दूर हो सकती है

  • सबसे पहले एक साफ़ और पीला वस्त्र बिछाकर उसपर आंवलें रख लीजिये
  • अब इस साफ़ आंवले पर लाल सिन्दूर लगाएं, पेठा चढ़ाएं और धूप-दीप चढ़ाकर पूजा-अर्चना करें।
  • इसके बाद इस मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप करें, मंत्र:‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’।।
  • पूजा के बाद इस पीले कपड़े में लपेटकर आंवले को तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी अवश्य होगी।

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