अक्षय तृतीया का पर्व सनातन धर्म में बेहद ही खास माना गया है। प्रत्येक वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग और त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। भगवान विष्णु के दो अवतार हयग्रीव और भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन से सनातन धर्म के चार प्रमुख धामों की यात्रा भी शुरू हो जाती है।
जीवन से जुड़ी हर छोटी बड़ी समस्या का समाधान जानने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट
अक्षय तृतीया के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले पुण्य कर्मों से मिलने वाले फल का क्षय कभी भी नहीं होता और जातकों को इसका लाभ युग-युगांतर तक मिलता रहता है। इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदने और माता लक्ष्मी व श्री हरि विष्णु की पूजा करने वाले जातकों को जीवन में कभी भी धन का अभाव नहीं होता है। ऐसे में आज हम इस लेख में आपको अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि की जानकारी देंगे।
अक्षय तृतीया दिन, तिथि और मुहूर्त
तिथि : 14 मई 2021
दिन : शुक्रवार
मुहूर्त : 05:40:13 से 12:17:35 तक
अवधि : 06 घंटे 37 मिनट
ये भी पढ़ें : अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण दान का सबसे बेहतर विकल्प क्या है, जान लीजिये
आइये अब आपको अक्षय तृतीया के दिन की जाने वाली पूजा की विधि बताते हैं।
अक्षय तृतीया पूजा विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर के साफ पीले वस्त्र धारण करें। चूंकि भगवान विष्णु भी पीले वस्त्र ही धारण करते हैं। ऐसे में अगर आप भी पीले वस्त्र धारण करेंगे तो आप पर उनकी विशेष कृपा होगी।
- घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करने के बाद यदि सक्षम हों तो व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, पीले फूलों की माला या पीले फूल अर्पित करें।
- इसके बाद शुद्ध घी का एक दीपक प्रज्वलित करें और भगवान विष्णु को धूप-दीप आदि दिखाएं। तत्पश्चात एक पीले रंग के आसन को बिछा कर भगवान विष्णु के सामने बैठ जाएं और विष्णुसहस्त्रानाम और विष्णु चालीसा का पाठ करें। इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें।
- कोशिश रहे कि इस दिन आप व्रत रखें लेकिन यदि ऐसा मुमकिन न हो पाये तो आप पीला मीठा हलवा, केला और पीले मीठे चावल खा सकते हैं।
- इस दिन भगवान विष्णु को ककड़ी, गेहूं का सत्तू और भिंगे हुए पीले चने के दाल का भोग लगाया जाता है।
- इस दिन अनाज दान करना बेहद शुभ माना गया है इसलिए यदि संभव हो तो ऐसा जरूर करें। साथ ही गरीबों को भोजन करवाने से भी इस दिन विशेष फल की प्राप्ति होती है।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभ चिंतकों के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद!