अहोई अष्टमी व्रत: हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। सनातन धर्म में संतान सुख पाने और संतान की लंबी आयु की कामना के लिए मांएं अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली के पर्व से आठ दिन पहले अहोई अष्टमी का व्रत पड़ता है। करवा चौथ की तरह इस व्रत को भी निर्जल रखने का विधान है।
अहोई अष्टमी व्रत तिथि एवं मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष के आठवें दिन को अहोई अष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस बार अहोई अष्टमी का व्रत रविवार के दिन 05 नवंबर, 2023 को पड़ रहा है।
अहोई अष्टमी व्रत का मुहूर्त निन्म प्रकार से है:
अष्टमी तिथि आरंभ: 05 नवंबर की मध्यरात्रि 01 बजकर 02 मिनट से
अष्टमी तिथि समापन: 06 नवंबर की मध्यरात्रि 03 बजकर 21 मिनट तक
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: शाम 05 बजकर 33 मिनट से 06 बजकर 52 मिनट तक
पूजन की समयावधि: 01 घंटा 18 मिनट
तारे निकलने का समय: शाम 05 बजकर 58 मिनट
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अहोई अष्टमी पर बन रहा है शुभ योग
अहोई अष्टमी के दिन दोपहर 01 बजकर 35 मिनट तक शुभ योग बन रहा और इस योग की शुरुआत 04 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 01 मिनट पर होगी। वैदिक ज्योतिष में कुल 27 योग हैं जिसमें से शुभ योग 23वें स्थान पर आता है। यह योग मांगलिक कार्यों के लिए बेहद शुभ होता है। इस योग में शुरू किए गए कार्यों से समृद्धि और आर्थिक संपन्नता मिलती है।
सभी प्रकार की धार्मिक और शुभ कार्यों के लिए इस योग को अच्छा माना जाता है। इस योग के ईष्ट देवता भगवान विष्णु हैं एवं यह योग व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि, संपन्नता, सफलता और ज्ञान प्रदान करता है।
शुभ योग में भगवान गणेश की पूजा करने और विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करने से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। इसके साथ ही, इस योग में हनुमान जी की पूजा करने और हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। शुभ योग में शिव पूजन एवं रुद्राभिषेक का भी बहुत महत्व है।
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अहोई अष्टमी पर राधा स्नान का समय
अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने का भी बहुत महत्व है। जिन विवाहित स्त्रियों को संतान प्राप्ति या गर्भधारण में समस्या आ रही है, उन्हें अहोई अष्टमी के दिन राधा रानी का आशीर्वाद पाने के लिए राधा कुंड में स्नान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से संतान प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
राधा कुंड में स्नान का समय 05 नवंबर, 2023 की रात 11 बजकर 37 मिनट से 06 नवंबर, 2023 को मध्यरात्रि 12 बजकर 29 मिनट तक। राधा कुंड में स्नान की अवधि 52 मिनट की होगी।
अहोई अष्टमी व्रत की पूजन विधि
अहोई अष्टमी के दिन आप निम्न विधि से पूजन एवं व्रत कर सकती हैं:
- सबसे पहले अहोई अष्टमी वाले दिन स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद अहोई माता के सामने खड़े होकर व्रत का संकल्प लें।
- अब गेरु से अहोई माता का चित्र बनाएं या फिर आप बाज़ार से भी अहोई माता का चित्र ले सकती हैं।
- सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर अहोई पूजन आरंभ करें।
- पूजन में जल से भरा एक कलश, सफेद धातु या चांदी की अहोई के साथ फूल, दूध, हलवा, उबले हुए चावल और घी का दीपक रखें।
- सबसे पहले अहोई माता को रोली से तिलक लगाएं और उन्हें फूल अर्पित करें। पूजा के आरंभ में घी का दीपक जलाएं।
- अब अहोई माता को दूध और उबले हुए चावल चढ़ाएं।
- गेहूं के सात दाने और दक्षिणा के लिए कुछ पैसे अपने हाथ में लें और अहोई माता की कथा सुनें।
- गेहूं के दाने और दक्षिणा अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद लें। अब चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करें।
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अहोई अष्टमी की व्रत कथा
माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। अहोई अष्टमी व्रत की कथा है – एक बार एक गांव में एक साहूकार अपने सात बेटों के साथ रहता था। दीपावली के त्योहार के लिए घर की पुताई करनी थी इसलिए साहूकार की पत्नी खदान से मिट्टी लेने चली गई। साहूकार की पत्नी कुदाल से मिट्टी खोद रही थी कि तभी उसकी कुदाल ने साही के बच्चे को चोटिल कर दिया और उस बच्चे की वहीं मृत्यु हो गई। यह सब देखकर साहूकार की पत्नी बहुत दुखी हुई और पश्चाताप की भावना के साथ अपने घर वापिस आ गई।
इस घटना के कुछ समय बाद साहूकार के सातों बेटों की मृत्यु हो गई। दुख से विचलित साहूकार की पत्नी ने अपने पड़ोस की एक बुजुर्ग महिला को अपनी कुदाल से साही के बच्चे के मरने की घटना के बारे में बताया। साहूकार की पत्नी की बात सुनकर वृद्ध महिला ने कहा कि ये बात मुझे बताकर तुमने अपने आधे पाप से मुक्ति पा ली है। इसके साथ ही वृद्ध महिला ने उसे अहोई माता के साथ साही और उसके बच्चों का चित्र बनाकर उसकी पूजा करने की बात भी कही।
वृद्ध महिला की बात मानकर साहूकार की पत्नी ने कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को व्रत रखा और पूरे विधि-विधान से पूजन किया। वो हर साल सच्चे मन से इस व्रत को करती थी। अहोई माता उससे प्रसन्न हुईं और उसे अपने सातों पुत्र फिर से वापिस मिल गए। बस, तभी से संतान की लंबी उम्र के लिए अहोई माता का व्रत रखने का विधान शुरू हो गया।
अहोई माता कौन हैं
अहोई माता को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। संतान की रक्षा करने और उसे उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने वाली देवी के रूप में अहोई माता की पूजा की जाती है। अहोई माता के आशीर्वाद से उनके भक्तों को सुखी और स्वस्थ जीवन मिलता है।
निसंतान महिलाएं भी रखती हैं यह व्रत
कुछ निसंतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए भी अहोई माता का व्रत करती हैं। इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर ही करती हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि अहोई अष्टमी का व्रत सिर्फ वे महिलाएं ही रख सकती हैं, जिनकी संतान हैं बल्कि इस व्रत को अहोई माता का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए हर कोई रख सकता है।
अहोई अष्टमी के दिन करें ये उपाय
- अगर आपका बच्चा पढ़ाई में कमज़ोर है या करियर में उसे तरक्की नहीं मिल पा रही है, तो आप अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता को दूध, उबले हुए चावल और लाल रंग के फूल अर्पित करें। इसके बाद हाथ में लाल फूल लेकर अपने बच्चे के सुनहरे भविष्य के लिए प्रार्थना करें। अब बच्चे को यह फूल संभालकर रखने के लिए कहें और उसे अपने हाथों से दूध और चावल खिलाएं।
- यदि आपके बच्चे को अपने परिवार में कोई समस्या आ रही है, तो अहोई अष्टमी पर अहोई माता को चांदी की चेन अर्पित करने के साथ-साथ गुड़ का भोग लगाएं। इसके साथ ही “ॐ ह्रीं उमाये नम:” मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद अपने बच्चे को गुड़ खिलाएं और अहोई माता से उसके सुखी जीवन की प्रार्थना करें।
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