बच्चे के मुख से सबसे पहला शब्द जो निकलता है – वो है ‘माँ’। यानि बच्चे को तभी से माँ की ममता का अहसास होने लगता है। माँयें भी अपनी संतानों के लिए सबकुछ न्यौछावर करने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। माँ के लिए उसकी संतान ही उसकी सबसे बड़ी दौलत है। तभी तो माँयें अपनी संतानों के लिए व्रत रखती हैं उनकी सफलता, उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं। इसके अलावा भी उनके लिए कई तरह के जतन करती हैं।
अहोई अष्टमी का व्रत एक माँ के लिए अपने पुत्र के प्रति प्यार-स्नेह और समर्पण को दर्शाता है। अहोई अष्टमी व्रत हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को माँ अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना के लिए रखती हैं। एक माँ सदैव अपने पुत्र के सुखी और स्वस्थ्य जीवन के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी व्रत
हिन्दू पंचांग के मुताबिक अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। इस वर्ष यह तिथि 21 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन शुभ मुहूत् पर अहोई माता की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यदि पूरी श्रद्धा से माता की पूजा की जाए तो संतान को दीर्घायु और बुद्धि प्राप्त होती है।
अहोई अष्टमी पूजा का मुहूर्त
चूँकि हिन्दू धर्म के सभी शुभ कार्य, पूजा अथवा सभी प्रकार के धार्मिक कांड को एक विशेष मुहूर्त में किया जाता है। इसलिए अहोई अष्टमी की पूजा के लिए भी पंचांग में विशेष मुहूर्त दिया गया है। हिन्दू पंचाग के अनुसार आज सायं 05:46 से 07:02 बजे तक अहोई अष्टमी की पूजा की जाती है। विधान के अनुसार जो माताएँ आज के दिन व्रत रखती हैं वे तारों और चंद्र दर्शन के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।
अहोई अष्टमी की व्रत एवं पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- पूजा के समय पुत्र की लंबी आयु और उसके सुखमय जीवन की कामना करें।
- इसके पश्चात् अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प लिया जाता है।
- माँ पार्वती की आराधना करें।
- अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर उनके चित्र के साथ ही साही और उसके सात पुत्रों की तस्वीर बनाएँ।
- माता जी के सामने चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़ा आदि रखकर अष्टोई अष्टमी की व्रत कथा सुनें या सुनाएँ।
- सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं। इसमें उपयोग किया जाने वाला करवा भी वही होना चाहिए, जिसे करवा चौथ में इस्तेमाल किया गया हो।
- शाम में इन चित्रों की पूजा करें।
- लोटे के पानी से शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दें।
- अहोई पूजा में चाँदी की अहोई बनाने का विधान है, जिसे स्याहु (साही) कहते हैं।
- स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से करें।
आज के दिन ज़रुर पढ़ें/सुनें अहोई अष्टमी की व्रत कथा
ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन अहोई अष्टमी की व्रत कथा ज़रुर सुननी या फिर पढ़नी चाहिए। तभी व्रत रखने वाली माता की कामना पूर्ण होती है। इस कथा में अहोई माता का जिक्र है। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप अहोई अष्टमी पूजा के नियम तथा व्रत कथा को विस्तार से पढ़ सकते हैं।