कुंडली में छुपे हैं आत्महत्या के योग

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन से पूरा देश सन्न है। सुशांत की मौत के मामले में पुलिस ने कहा है कि पहली नजर में यह मौत आत्महत्या लगती है। सुशांत सिंह राजपूत एक सफल बॉलीवुड अभिनेता थे, जो न केवल 2005 से सक्रिय थे बल्कि 2008 से उनका फिल्मी करियर परवान चढ़ना हुआ तो चढ़ता ही गया।

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ऐसे में सभी के मन में एक सवाल है कि उन्होंने खुदकुशी क्यों की? ये बात जांच के बाद पता चलेगी लेकिन सच यही है कि कुंडली में कई बार ऐसे योग निर्मित होते हैं, जो व्यक्ति को आत्महत्या की तरफ ले जाते हैं।

डिप्रेशन एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जो एक इंसान को इस कदर पागल बनाने की क्षमता रखती है कि कई बार इंसान खुद को नुकसान पहुँचाने लगता है, और आत्महत्या तक कर बैठता है। जीवन में कोई भी ऐसी समस्या नहीं है जिसका समाधान ना हो, बस ज़रुरत है आशा की उस किरण का दामन थामे रहने और अन्धकार के ख़त्म होने तक हौसला बनाये रखने की। ऐसे में यदि आप या आपका कोई जानने वाला भी इस मुश्किल दौर से गुज़र रहा है और ज्योतिषीय मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप यहां क्लिक कर सकते हैं और हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से परामर्श ले सकते हैं।

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आत्महत्या सबसे बड़ा पाप है क्योंकि यह मानव जीवन को समाप्त कर देता है। वास्तव में मानव जीवन भगवान द्वारा हम पर किया गया सबसे बड़ा उपकार है, क्योंकि मनुष्य के रूप में रहकर हम विभिन्न जीवन मूल्यों को समझते हैं और अपने सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपने कर्मों को भोगते हैं और अच्छे बुरे फल प्राप्त करते हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी समय आता है, जब हम अपनी परिस्थितियों के आगे हार मान जाते हैं और हमारा मन अपने जीवन को समाप्त करने की ओर बढ़ जाता है। इसी स्थिति को आत्महत्या में प्रवृत्त होना कहा जाता है। 

इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे कि ज्योतिष के अनुसार कुंडली में ऐसे कौन से योग होते हैं, जो आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं। 

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आत्महत्या की प्रवृत्ति

कुछ लोग मानसिक रूप से काफी कमजोर होते हैं और जल्दी ही परिस्थितियों के आगे  घुटने टेक देते हैं। यदि आधुनिक समय में देखें तो आजकल के विद्यार्थी परीक्षा में कम अंक आने पर अथवा फेल हो जाने पर आत्महत्या की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं। इसके  अलावा प्रेम संबंधों में धोखा खाने पर, किसी व्यक्ति विशेष द्वारा अपमान अथवा धोखा देने पर या फिर कार्य व्यवसाय में मनोवांछित सफलता प्राप्त ना होने पर काफी परेशान हो जाते हैं। कुछ लोगों पर अत्यधिक कर्ज बढ़ जाता है, जिसको चुका पाने का उनको कोई मार्ग नहीं दिखाई देता और इसी वजह से वे मानसिक रूप से बिखर जाते हैं। इस स्थिति में उन्हें इन परेशानियों से बचने का एकमात्र दिखाई देता है, स्वयं का जीवन समाप्त कर देना और वे आत्महत्या करने की ओर अग्रसर हो जाते हैं। 

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आत्महत्या के ज्योतिषीय कारण

जन्म कुंडली में ऐसे अनेक संयोग होते हैं जो व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति को जन्म देने में सहायक होते हैं। उन योगों को जानकर कोई भी ज्योतिषी इस बात का अंदाजा लगा सकता है कि यह व्यक्ति कभी आत्महत्या की ओर भी प्रवृत्त हो सकता है।  इए उन संभावनाओं को ज्योतिष के आईने मे तलाशते हैं। 

ज्योतिष में चंद्रमा और आत्महत्या

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है।  ऐसे में यदि व्यक्ति का मन कमजोर है अर्थात चंद्रमा कमजोर है तो उसको मानसिक समस्याएं रह सकती हैं। ऐसा व्यक्ति मानसिक तौर पर बहुत कमजोर होता है तथा अत्यंत भावुक होता है। ऐसे में जरा जरा सी परेशानी उसके लिए बड़ी समस्या बनकर सामने आती हैं और उन से डर कर वह जल्दी ही डिप्रेशन (अवसाद) में आ सकता है और आत्महत्या की ओर प्रवृत्त हो सकता है। आप अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिपोर्ट की मदद से अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के साथ-साथ ज्योतिषीय परामर्श भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

ज्योतिष में बुध और आत्महत्या  

ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि का कारक माना जाता है और यह व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता को बताता है। ऐसे में बुध की स्थिति कुंडली में अनुकूल होना अत्यंत आवश्यक है। यदि बुध की स्थिति कुंडली में अत्यधिक प्रतिकूल है या बुध बहुत हद तक  पीड़ित अवस्था में मौजूद है तो व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता अधिक प्रभावित होने के कारण वह आत्महत्या जैसे कार्य करने का भी निर्णय ले सकता है। 

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ज्योतिष में सूर्य ग्रह का आत्महत्या से संबंध

मुख्य रूप से सूर्य का आत्महत्या से कोई संबंध नहीं होता लेकिन कुंडली में यदि सूर्य की स्थिति कमजोर हो तो व्यक्ति के अंतर्मन में कमजोरी होती है अर्थात व्यक्ति का आत्मबल काफी कम होता है। यही आत्मबल व्यक्ति को प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। सूर्य का पीड़ित या कमजोर होना आत्मबल की कमी के कारण व्यक्ति को परिस्थितियों के आगे हार मानने पर मजबूर कर देता है। सूर्य पर अत्यंत पाप प्रभाव होने से व्यक्ति के मान सम्मान की बार-बार हानि होती है और यह भी उसको अंदर तक तोड़ कर रख देती है, जिसकी वजह से वह आत्महत्या की ओर प्रवृत्त हो सकता है। 

ज्योतिष में शनि ग्रह और आत्महत्या

ज्योतिष जगत में शनि को दुख का कारक माना जाता है। यदि कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में न हो, तो व्यक्ति दुखी रह सकता है और अत्यधिक दुखी रहना उसके अंदर अवसाद को जन्म देता है। इसके अतिरिक्त अनुकूल शनि व्यक्ति को आशावादी बनाता है और व्यक्ति किसी भी परिस्थिति का डटकर सामना करने के लिए तैयार रहता है क्योंकि उसके अंदर अच्छा होने की आशा बनी रहती है। 

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ज्योतिष में  मंगल और राहु ग्रह का आत्महत्या से संबंध

वास्तव में मंगल और राहु ऐसे ग्रह हैं, जो व्यक्ति को किसी भी दुस्साहस तक ले जा सकते हैं। यही वजह है कि उपरोक्त ग्रहों का राहु अथवा मंगल के साथ होना उन ग्रहों को अधिक पीड़ित कर सकता है और व्यक्ति दुस्साहसी होकर तथा अत्यंत अवसाद ग्रस्त होकर आत्महत्या की प्रवृत्ति अपने अंतर्मन में महसूस करता है और इस दिशा में आगे बढ़ सकता है। ऐसे हालात में, आप खुद के अंदर नकारात्मक विचार आने से रोक सकते हैं, साथ ही अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिपोर्ट की मदद से और बेहद ही सरल कुछ उपायों का पालन करके अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नज़र बनाये रख सकते हैं।

ज्योतिष में कुंडली के विभिन्न भावों का आत्महत्या से संबंध

जन्म कुंडली के विभिन्न भाव हमारे जीवन की अनेक गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं।  कुंडली का चतुर्थ भाव हमारे सुख को दर्शाता है और यदि चतुर्थ भाव कुंडली में अधिक पीड़ित अवस्था में हो तो व्यक्ति के जीवन में सुख की कमी होती है जो उसे मानसिक रूप से अत्यधिक पीड़ित बनाती है। जो कार्य वह करता है उसमें उसे संतोष नहीं मिलता। 

कुंडली का पंचम भाव हमारी बुद्धि का भाव है और इसी के द्वारा हमारे जीवन में रुझानों को देखा जाता है। यदि कुंडली का यह भाव पीड़ित अवस्था में है या अत्यधिक पाप प्रभाव में हैं और इसका स्वामी भी पीड़ित अवस्था में है, तो व्यक्ति का रुझान स्वयं को कष्ट पहुंचाने की ओर भी हो सकता है।  

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कुंडली का अष्टम भाव हमारा आयु भाव है और इसके द्वारा मृत्यु का कारण पता चलता है। इसके अतिरिक्त इस भाव के द्वारा जीवन में होने वाले बड़े-बड़े परिवर्तनों को भी देखा जाता है। इस भाव के अध्ययन के द्वारा भी यह ज्ञात किया जा सकता है कि किसी व्यक्ति में क्या आत्महत्या की प्रवृत्ति जन्म दे सकती है। 

कुंडली में अन्य ग्रह स्थितियां और आत्महत्या का योग

कुंडली के कुछ विशेष योग ऐसे होते हैं जो आत्महत्या की प्रवृत्ति को जन्म देने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • कुंडली में चंद्रमा और राहु का प्रभाव होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से अत्यधिक कमजोर होता है और यदि यह संयोग अष्टम भाव में हो और  इन ग्रहों पर अन्य पापी ग्रहों का प्रभाव भी हो, तो व्यक्ति इस दिशा में आगे बढ़ सकता है। 
  • अष्टम भाव में बुध ग्रह की अन्य पापी ग्रहों के साथ युति होने पर भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 
  • कुंडली के लग्न और सप्तम भाव में ग्रह नीच अवस्था में हो तथा अष्टम भाव के स्वामी पर पाप ग्रहों का अधिक प्रभाव हो या फिर अष्टम भाव पाप कर्तरी योग में हो। 
  • चंद्रमा अपनी उच्च अथवा व नीच राशि में पापी ग्रहों द्वारा पीड़ित हो और कुंडली में मंगल केतु की मजबूत ज्योति हो। 
  • यदि 22वें द्रेष्कोण में सर्प, पाश, निगड़, अथवा आयुध का उदय हो तो। 

उपरोक्त स्थितियों के अतिरिक्त भी कई अन्य योग होते हैं, जो आत्महत्या की प्रवृत्ति को जन्म देने के लिए जिम्मेदार समझे जाते हैं।  

पढ़ें: तनाव, डिप्रेशन और इनसोमनिया से बचाएंगे यह ज्योतिषीय टिप्स!

आत्महत्या से बचने के उपाय

यदि आपकी कुंडली में भी कुछ ऐसे ही लोग हैं, जो आपको परेशान करते हैं और आपकी मानसिक चिंताओं को बढ़ा रहे हैं, तो आपको निम्नलिखित उपाय करने चाहियें:

  • कोई भी रत्न जिनमें विशेष तौर पर चंद्रमा का रत्न मोती और बुध का रत्न पन्ना बिना किसी ज्योतिषी से सलाह लिए धारण ना करें। 
  • प्रतिदिन नियम बनाएं और भरपूर मात्रा में पानी पियें।  
  • मानसिक तनाव से दूर रहने का प्रयास करें और स्वयं को अकेले में ना रखें। 
  • भरपूर शारीरिक परिश्रम करें, इससे जहां एक ओर आपको अच्छी नींद भी आएगी और आपका मन भी भटकने से बचेगा। 
  • भगवान शिव, भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा करें, इनसे आपको आत्मबल प्राप्त होगा।
  • शराब, धूम्रपान और नशीली वस्तुओं का सेवन करने से बचना चाहिए।

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