तारामंडल में स्थित समस्त 27 नक्षत्रों में से रेवती नक्षत्र को अंतिम नक्षत्र माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रेवती नक्षत्र कुल 32 तारों के समूह से मिलकर बनता है। जिसे ज्योतिषाचार्य धन-सम्पदा, आर्थिक जीवन, संपत्ति, एक अच्छा सुखी जीवन के साथ जोड़कर देखते हैं।
इसके अलावा वैदिक ज्योतिष में रेवती नक्षत्र की राशि मीन होती है और मीन राशि के ग्रह स्वामी गुरु बृहस्पति को माना जाता है। वहीं रेवती नक्षत्र के स्वामी ग्रह बुध को बताया गया है। अतः रेवती नक्षत्र में बुध ग्रह की उपासना करना सभी जातकों के लिए अनुकूल सिद्ध होता है।
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मंगल के रेवती नक्षत्र में प्रवेश की अवधि
इसी क्रम में आज हम बात करेंगे लाल ग्रह मंगल की जिन्होंने बीते 8 जून, की रात्रि 7 बजकर 59 मिनट पर रेवती नक्षत्र में प्रवेश किया। अब मंगल इस नक्षत्र में आने वाली 27 जून की सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक रहेंगे। मंगल देव इस समयकाल के दौरान मीन राशि में ही विराजमान रहेंगे। ऐसे में मंगल का रेवती नक्षत्र में होना और इस नक्षत्र के विभिन्न चरणों में प्रवेश करना जहाँ कुछ जातकों के लिए अनुकूल, तो वहीं कुछ जातकों के लिए थोड़ा प्रतिकूल रहने वाला है।
तो चलिए अब बिना देर किये एस्ट्रोसेज के विशेषज्ञ ज्योतिषी की मदद से समझते हैं कि आखिर मंगल का बुध के रेवती नक्षत्र में प्रवेश का कैसा रहेगा प्रभाव, फल और इस नक्षत्र परिवर्तन के कारगर उपाय:-
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रेवती नक्षत्र में मंगल के प्रवेश से जुड़े कुछ अहम बिंदु
- पंचांग अनुसार मंगल 8 जून से 27 जून तक रेवती नक्षत्र में रहेंगे।
- राशि की बात करें तो मंगल रेवती नक्षत्र में होते हुए मीन राशि में ही विराजमान होंगे और इस राशि के ग्रह स्वामी गुरु बृहस्पति होते हैं।
- ज्योतिष में रेवती नक्षत्र की राशि भी मीन ही होती हैं और रेवती नक्षत्र के ग्रह स्वामी बुध देव को माना जाता है।
- ग्रह मैत्री चक्र के अनुसार मंगल और गुरु बृहस्पति के बीच मित्रता का भाव होता है। जबकि मंगल का बुध से शत्रुता का भाव होता है।
- इस समय अवधि के दौरान मंगल अपने शत्रु बुध के नक्षत्र में होते हुए, अपने मित्र ग्रह गुरु की राशि में उपस्थित होंगे।
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मंगल रेवती नक्षत्र फल
- ज्योतिष नियमनुसार चूँकि रेवती नक्षत्र बुध का नक्षत्र होता है और मंगल-बुध के बीच शत्रुता होती है। इसलिए इस दौरान मंगल का ये नक्षत्र परिवर्तन कई जातकों को मंगल और बुध से जुड़े सकारत्मक फल मिलने में कुछ कमी लेकर आएगा।
- इससे मंगल और बुध कई जातकों को सामान्य से कम अनुकूल फल देते हुए, उन्हें वैवाहिक जीवन, शिक्षा और रक्त संबंधी कुछ स्वास्थ्य कष्ट दे सकते हैं।
- हालांकि गुरुदेव एक शुभ ग्रह होने के चलते क्रूर ग्रह मंगल और सम ग्रह बुध के बीच मध्यस्थता करने में भी सफल रहने वाले हैं। जिसके परिणामस्वरूप जातकों को गुरु ग्रह से संबंधित कई सकारात्मक परिणाम मिलने में मदद मिलेगी।
- साथ ही गुरु देव और मंगल एक-दूसरे के मित्र ग्रह होने के चलते भी, उनका ये प्रभाव कई विवाह योग्य जातकों को विवाह के लिए सुन्दर प्रस्ताव देने के योग भी बनाएगा।
- इसके अलावा कई जातक रचनात्मक कार्य, जीवनसाथी, संतान, ज्ञान, आदि से जुड़े उत्तम फल प्राप्त करने में भी सक्षम रहने वाले हैं।
- ये नक्षत्र परिवर्तन कई जातकों का रुझान धर्म की ओर भी बढ़ाने वाला है।
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ज्योतिष में रेवती नक्षत्र: विभिन्न चरण व उनमें मंगल की समय अवधि
चूँकि रेवती नक्षत्र के स्वामी ग्रह बुध होते हैं। इसलिए खासतौर से इस नक्षत्र में जन्मे जातक सुंदर, तेजवान, चतुर, बुद्धिमान, धन-धान्य, उच्च शिक्षित व मधुरभाषी हो सकते हैं। हर नक्षत्र की तरह ही रेवती नक्षत्र के भी चार चरण होते हैं, जिसमें मंगल एक-एक कर प्रवेश करते हुए हर चरण में अपना अलग-अलग प्रभाव दिखाएंगे। मंगल के रेवती नक्षत्र के सभी चार चरणों की समयावधि कुछ इस प्रकार है:-
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- मंगल का रेवती में प्रथम चरण:
मंगल रेवती के प्रथम चरण में 8 जून 2022 की रात्रि 7 बजकर 59 मिनट से लेकर 13 जून 2022 की सुबह 08 बजकर 45 मिनट तक रहेंगे। रेवती नक्षत्र के पहले चरण के स्वामी ग्रह गुरु होते हैं। ऐसे में रेवती नक्षत्र के स्वामी बुध और रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी गुरु के बीच शत्रुता होती है और मंगल और बुध भी एक-दूसरे से शत्रुता का भाव रखते हैं। जिसके कारण इस दौरान सबसे अधिक मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि के जातकों को जहां गुरु की दशा अत्यंत शुभ फल देगी, वहीं बुध की दशा माध्यम फल देने वाली सिद्ध होगी। हालांकि मंगल-गुरु की मित्रता इस दौरान जातकों को गुरु की कृपा देते हुए उन्हें उचित मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, ज्ञान, आदि की प्राप्ति करने में भी सफल बनाएगी। परंतु बुध का प्रभाव इस दौरान जातकों को स्वास्थ्य कष्ट व शिक्षा में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- मंगल का रेवती में द्वितीय चरण:
मंगल रेवती नक्षत्र के द्वितीय यानी दूसरे चरण में 13 जून 2022 की सुबह 08 बजकर 46 मिनट से लेकर 17 जून की रात्रि 11 बजकर 17 मिनट तक रहेंगे। रेवती नक्षत्र के इस चरण के स्वामी ग्रह शनि होते हैं। ज्योतिष नियमानुसार शनि और गुरु एक-दूसरे से शत्रुता का भाव रखते हैं, जबकि बुध की भी गुरु से शत्रुता होती है। इसके फलस्वरूप इस दौरान गुरु और शनि की दशा जहाँ जातकों के लिए माध्यम फलदायक सिद्ध होगी, वहीं बुध की दशा अत्यंत शुभ फल देने वाली है। साथ ही गुरु-मंगल का भी शुभ प्रभाव जातकों को अपने दांपत्य जीवन में और शिक्षा से जुड़े अनुकूल फल देगा। साथ ही वे भौतिक इच्छाओं की पूर्ति करने भी सफल रहेंगे।
- मंगल का रेवती में तृतीय चरण:
मंगल रेवती के तृतीय यानी तीसरे चरण में 17 जून की रात्रि 11 बजकर 18 मिनट से लेकर 22 जून की दोपहर 02 बजकर 01 मिनट तक रहेंगे। ऐसे में रेवती नक्षत्र के इस चरण में जन्मा जातक कोर्ट कचेहरी के मकदमे अथवा वाद-विवाद में सदैव जीत हांसिल करता है। इसके अलावा ज्योतिष में रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण के स्वामी भी शनि देव ही होते हैं, इस कारण इस चरण के दौरान विशेषरूप से मेष, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र और प्रेम जीवन में थोड़ा सावधान रहने की सलाह दी जाती है।
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- मंगल का रेवती में चतुर्थ चरण:
मंगल रेवती के चतुर्थ यानी चौथे चरण में 22 जून की दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से लेकर 27 जून की सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक रहेंगे। ये रेवती नक्षत्र का अंतिम चरण होता है और इस चरण में जन्मे जातक सदैव गृह कलेश में ही उलझे रहने वाले व मानिसक तनाव से परेशान रहते हैं। इसके अलावा वैदिक ज्योतिष में रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण के स्वामी भी गुरु ग्रह को ही माना जाता है और रेवती नक्षत्र की राशि भी स्वयं गुरु देव ही होते हैं। इसलिए ये चरण सबसे अधिक धनु और मीन राशि वाले जातकों के लिए अनुकूलता लेकर आएगा। जबकि गुरु की नक्षत्र स्वामी बुध से परस्पर शत्रुता होने के कारण इस दौरान कई जातकों को बुध से जुड़े परिणामों में बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
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मंगल के रेवती नक्षत्र में प्रवेश के दौरान किये जाने वाले उपाय
ज्योतिचार्य मंगल के रेवती नक्षत्र में प्रवेश के दौरान जातकों को इस नक्षत्र परिवर्तन से अनुकूल फल प्राप्त करने के लिए और अपने जीवन में आ रही हर प्रकार की समस्याओं से निजात दिलाने हेतु कुछ उपाय करने की सलाह देते हैं। इन सरल उपायों को करके कोई भी जातक न केवल जल्द इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव को दूर कर सकेगा, बल्कि इस दौरान अपनी कुंडली में मंगल ग्रह के शुभ फलों को भी बढ़ा सकेगा। रेवती नक्षत्र और मंगल ग्रह संबंधित उपाय कुछ इस प्रकार है:-
- जातक को रेवती नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ क्षं ऊँ ऐं” और मंगल ग्रह के बीज मंत्र “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
- नियमित रूप से हनुमान जी और देवी दुर्गा की उपासना करना भी आपके लिए अनुकूल रहेगा।
- करियर में तरक्की और निजी जीवन में खुशहाली के लिए लगातार 27 बुधवार दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- गरीब व ज़रूरतमंद में लाल दाल और मीठी बूंदी का प्रसाद दान करें।
- आपको हल्के नीले, हरे और लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
- छोटी कन्या का आशीर्वाद लेना भी आपके लिए अनुकूल रहेगा।
नोट: अगर इन उपायों को करने के बाद भी यदि किसी जातक को मंगल के इस नक्षत्र परिवर्तन के दौरान सकारात्मक बदलाव नही मिलें तो, वह एस्ट्रोसेज के वेरिफ़िएड और प्रमाणित ज्योतिचार्यों से कॉल या चैट पर व्यक्तिगत कुंडली के आधार पर समाधान प्राप्त कर सकता है।
रेवती नक्षत्र और मंगल ग्रह का वैदिक मंत्र
- रेवती नक्षत्र का वैदिक मंत्र कुछ इस प्रकार है-
ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन।
स्तोतारस्तेइहस्मसि। ॐ पूषणे नम:।
- मंगल ग्रह का वैदिक मंत्र कुछ इस प्रकार है-
ॐ ॐ भौमाय- अंगुष्ठाभ्यां नम:।
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