मेष संक्रांति 2023: कई शुभ योगों में मनाई जाएगी मेष संक्रांति, नोट कर लें शुभ मुहूर्त!

मेष संक्रांति 2023: सनातन धर्म में सूर्य देव को विशेष स्थान प्राप्त है जो संसार को अपनी रोशनी से रोशन करते हैं। यह एक ऐसे देवता हैं जिनके दर्शन मनुष्य साक्षात करता है और धरती पर सूर्य प्राणियों के जीवन का आधार है। हिंदू धर्म में इन्हें पूज्य माना जाता है, तो वहीं ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को नवग्रहों के राजा का दर्जा प्राप्त है। ऐसे में, जब भी सूर्य देव अपनी राशि परिवर्तन करते हैं, तो इस गोचर को संक्रांति के नाम से जाना जाता है और इस घटना को बहुत ही शुभ माना जाता है। 

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सभी 12 राशियों में एक माह तक सूर्य बारी-बारी से रहते हैं और इस प्रकार इन्हें राशि चक्र को पूरा करने में एक साल का समय लगता है। अब सूर्य देव जल्द ही अपना राशि चक्र पूरा करते हुए मीन से मेष राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज का यह ख़ास ब्लॉग आपको मेष संक्रांति 2023 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, मुहूर्त और इस दिन बनने वाले शुभ योग आदि। इसके अलावा, उन उपायों के बारे में भी हम आपको बताएंगे जो मेष संक्रांति पर शुभ फलों की प्राप्ति के लिए आपको अवश्य करने चाहिए। अब आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं इस विशेष ब्लॉग की। 

मेष संक्रांति 2023: तिथि और समय

जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि सूर्य देव एक वर्ष में 12 बार राशि परिवर्तन करते हैं। इस प्रकार, एक साल में 12 संक्रांति होती हैं, लेकिन इन सभी में मेष संक्रांति को सबसे शुभ माना जाता है। आपको बता दें कि इस साल मेष संक्रांति का पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाएगा और इस दिन दोपहर 02 बजकर 42 मिनट पर सूर्य का मेष राशि में गोचर होगा। जब-जब सूर्य महाराज एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं,तो उस अवधि को सभी तरह के कार्यों को करने के लिए शुभ माना जाता है। 

मेष संक्रांति का मुहूर्त:

पुण्यकाल आरंभ: प्रातः 10:55 से शाम 06:46 मिनट तक,

महापुण्य काल आरंभ: दोपहर 01:04 से शाम 05:20 मिनट तक   

अब नज़र डालते हैं इस दिन बनने वाले शुभ योगों पर।

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मेष संक्रांति पर बन रहे हैं ये 3 बेहद शुभ योग   

हिंदू धर्म में यदि किसी पर्व या त्यौहार पर कोई शुभ योग बनता है, तो इससे उस पर्व के महत्व में कई गुना वृद्धि होती है। ऐसे में, मेष संक्रांति 2023 का पर्व भी 3 शुभ योगों में मनाया जाएगा। इस दिन सबसे पहले सिद्ध योग बनेगा जो कि सुबह 09 बजकर 37 मिनट तक रहेगा और इसके बाद, साध्य योग भी निर्मित होगा। हालांकि, मेष संक्रांति के दिन सबसे शुभ योग कहे जाने वाले सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण होगा और इसका आरंभ सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर होने जा रहा है। 

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मेष संक्रांति का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व

मेष संक्रांति का धार्मिक महत्व के साथ-साथ ज्योतिषीय महत्व भी है। इस अवसर पर सूर्य देव राशि चक्र की पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे मेष संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह हिंदू नव वर्ष की पहली संक्रांति होती है और सौर वर्ष का आरंभ भी इस दिन से होता है। ज्योतिष की दृष्टि से, इस दिन सूर्य देव मेष राशि में गोचर करते हैं जिसके शुभ-अशुभ प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ते हैं। 

वहीं, अगर इसके धार्मिक महत्व की बात करें तो, मेष संक्रांति 2023 का हिंदू धर्म में अपना विशेष महत्व है क्योंकि मेष संक्रांति वाले दिन ही खरमास का महीना समाप्त हो जाता है और एक बार फिर से शुभ एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। संक्रांति के पावन अवसर पर सूर्य देव और विष्णु जी की पूजा करना पुण्यकारी होता है। साथ ही, तीर्थ स्थान पर स्नान और दान करने से पाप कर्मों से छुटकारा मिलता है। मेष संक्रांति पर पितरों के लिए किया गया तर्पण आपको पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है और आपके पूर्वजों का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहता है। मुंडन, विवाह और गृह प्रवेश आदि के लिए भी इस दिन को श्रेष्ठ माना जाता है।

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मेष संक्रांति (14 अप्रैल 2023) का दिन क्यों है ख़ास?

मेष संक्रांति 2023 को देश भर में अत्यंत धूमधाम से मनाया जाएगा। इस पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि असम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथांदु, केरल में विशु, ओडिशा में पना संक्रांति, बिहार में सतुआनी, पंजाब में बैसाखी, पश्चिम बंगाल में पोइला बैसाख आदि। यह सभी त्यौहार 14 अप्रैल 2023 यानी कि मेष संक्रांति के दिन मनाए जाएंगे। इसके अलावा, इस दिन आंबेडकर जयंती भी है। 

मेष संक्रांति 2023 पर ज़रूर करें ये उपाय 

  • पितृ दोष की शांति के लिए मेष संक्रांति के दिन आम का टिकोरा, पंखा, बेल का फल, सत्तू, और मिट्टी के घड़े में जल भरकर किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। 
  • इस अवसर पर गंगा स्नान करें, यदि ऐसा संभव न हो तो नहाने के पानी में थोड़ा गंगा जल मिलकर नहाएं। ऐसा करने से आपको गंगा स्नान के समान पुण्य प्राप्त होगा।       
  • तांबे के लोटे में गुड़, लाल फूल, अक्षत (चावल) और रोली मिलाकर जल सूर्य देव को अर्घ्य दें। लेकिन ध्यान रखें कि अर्घ्य देते समय जल की छींटें आपके पैरों पर न आएं।    

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