नवरात्रि के पहले दिन पर माता के जिस स्वरुप की पूजा की जाती है उसे माँ शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। अपने इस नवरात्रि विशेष ब्लॉग में आज हम जानेंगे नवरात्रि के पहले दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण, रोचक और जानने योग्य बातें।
माँ शैलपुत्री का स्वरूप
माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। माता शैलपुत्री के एक हाथ में त्रिशूल और एक में कमल पुष्प है। माता का वाहन नंदी बैल है। यह वृषभ वाहिनी शिवा स्वरूप हैं। माता शैलपुत्री समस्त जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं। श्वेत वस्त्र धारण करने वाली दिव्य स्वरुपा माँ शैलपुत्री को हम सादर प्रणाम करते हैं।
मान्यता है कि, नवरात्रि के दौरान माँ शैलपुत्री की आराधना करने से आकस्मिक आपदाओं से मुक्ति मिलती है।
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नवरात्रि 2022: कलश स्थापना का मुहूर्त
प्रातः 7:30 से 9:00 बजे तक
एवं अभिजीत मुहूर्त 11:35 से 12:25 तक है
कैसे करें माँ शैलपुत्री की पूजा?
ध्यान मंत्र
-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
- प्रातः काल स्नान करने के पश्चात राशि अनुसार या श्वेत वस्त्र धारण करके लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछा लें और उस पर केसर से अष्टदल कमल बनाकर माता शैलपुत्री या माँ दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें और एक कलश स्थापित करें।
- उसके पश्चात माता का ध्यान करें।
- आवाहन करें। जल से देवी-देवताओं को स्नान करवाएं एवं पंचामृत से स्नान के पश्चात शुद्ध जल से स्नान करा लें।
- फिर माता को श्वेत वस्त्र चढ़ाएं।
- चंदन लगाएं, श्वेत पुष्प चढ़ाएं, धूप दीप अर्पित करें, और माता को मिष्ठान में यानी कि भोग में खीर, कंदमूल, ऋतु फल, सफेद मिष्ठान, आदि का भोग लगाएं।
- मनोकामना पूर्ति हेतु माता को श्रीफल एवं यथाशक्ति दक्षिणा चढ़ाएं।
- कपूर से माता की आरती करें।
- पूजा करते समय ॐ शैलपुत्री नमः इस मंत्र का जाप करते रहें।
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माँ शैलपुत्री की पूजा से मिलने वाला फल
माँ शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल एवं कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। एवं पारिवारिक कलह की शांति होती है।
प्रार्थना
दुर्गादेवी समागच्छ सान्निध्य मिह कल्पय ।
रम्भा रूपेया में नित्यम् शान्तिं कुरु नमोस्तुते ॥
पूजा के समय क्या करें और क्या ना करें
- साधना के समय, पूजा के समय जातक को सादगी के साथ माता की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
- साधक को साज श्रृंगार और कुविचारों से बचना चाहिए।
- निर्मल मन से पूजा करनी चाहिए।
- कुष्माँड का भक्षण ना करें।
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राशि अनुसार इस नवरात्रि प्रथम दिवस की पूजा से फल प्राप्ति
मेष राशि: मेष राशि के जातकों को 11 बजकर 2 मिनट के पश्चात पूजा प्रारंभ करना उत्तम रहेगा। इस दिन लाल वस्त्र धारण करके पूजा करें एवं गुलाबी चंदन धारण करें।
फल: मेष राशि वालों को पूजा से धन प्राप्ति होगी।
वृषभ राशि: वृषभ राशि वाले जातकों को प्रातः काल 11:02 से पूर्व शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। इस दिन श्वेत वस्त्र धारण करें एवं श्वेत चंदन और तिलक में अक्षत आदि लगाएं।
फल: इस दिन पूजा करने से वृष राशि के जातकों को अनेकों प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे।
मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक इस दिन किसी भी मुहूर्त में पूजा आरंभ कर सकते हैं। प्रेम रंग अथवा पीले रंग के वस्त्र धारण करें एवं पीला चंदन लगाएं।
फल: मनोवांछित फल प्राप्त होगा। 11:02 के बाद पूजा करने से अनेकों प्रकार के फल प्राप्त होंगे।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातक नवरात्रि के पहले दिन पर संपूर्ण दिन में किसी भी शुभ मुहूर्त पर पूजा कर सकते हैं। कर्क राशि वालों को चमकदार श्वेत वस्त्र धारण करके पूजा प्रारंभ करनी चाहिए एवं श्वेत चंदन धारण करने की सलाह दी जाती है।
फल: 11 बजकर 2 मिनट से पूर्व पूजा करने से धर्म प्राप्ति होगी एवं धार्मिक कार्यों में मन लगेगा। 11:02 के पश्चात पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों को 11 बजकर 2 मिनट के पश्चात पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। इस दिन लाल गुलाबी वस्त्र पहनकर पूजा करें और लाल चंदन लगाएं।
फल: सिंह राशि के जातकों को पूजा करने से भाग्य का साथ मिलेगा एवं धर्म प्राप्ति होगी।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातकों को इस दिन सुबह 11:02 से पूर्व पूजा शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करनी चाहिए। केसरिया रंग के वस्त्र पहनें और नीला तिलक धारण करें।
फल: कन्या राशि के जातकों को इस दिन पूजा करने से अपने कार्य क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर प्राप्त होंगे, वह राज्य सेवा में कार्यरत लोगों को पदोन्नति प्राप्त हो सकती है।
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तुला राशि: तुला राशि वाले जातक संपूर्ण दिन में कभी भी शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा कर सकते हैं। इस दिन सुनहरे रंग के वस्त्र धारण करें एवं कुमकुम का तिलक करके पूजा करें।
फल: तुला राशि वाले जातक 11 बजकर 2 मिनट से पूर्व शुभ मुहूर्त में पूजा करते हैं तो होगी धन प्राप्ति एवं 11:02 के पश्चात पूजा करने पर राज्य सम्मानित आदि की प्राप्ति होगी।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक शुभ मुहूर्त अनुसार पूरे दिनमें कभी भी पूजा कर सकते हैं। लाल वस्त्र धारण करें एवं केसर तिलक धारण करके पूजा करें।
फल: वृश्चिक राशि वाले जातकों को 11 बजकर 2 मिनट से पूर्व पूजन करने से विद्या एवं ज्ञान की प्राप्ति होगी और 11:02 के पश्चात शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन प्राप्ति के योग बनेंगे।
धनु राशि: धनु राशि के जातकों को 11 बजकर 2 मिनट के पश्चात शुभ मुहूर्त में पूजा करना ही उत्तम होगा। आप पीले रंग के रेशमी वस्त्र एवं अष्टगंध का तिलक धारण करके पूजा करें।
फल: विद्यार्थी के लिए उत्तम विद्या या उच्च विद्या के योग बनेंगे वह ज्ञान प्राप्ति के उच्च माध्यमिक फल प्राप्त होंगे।
मकर राशि: मकर राशि के जातकों को शुभ मुहूर्त में 11:02 से पूर्व ही पूजा प्रारंभ करना उत्तम रहेगा। मकर राशि के जातकों को गेरुआ रंग के वस्त्र एवं चंदन का तिलक धारण करके पूजा करना उत्तम होगा।
फल: मकर राशि के जातकों को पूजा करने से धन संपत्ति की प्राप्ति होगी।
कुंभ राशि: कुम्भ राशि के जातकों को शुभ मुहूर्त के अनुसार दिन में कभी भी पूजा कर सकते हैं। सुनहले या क्रीम रंग के वस्त्र एवं रक्त चंदन धारण करके पूजा करें।
फल: प्रातः काल के शुभ मुहूर्त अनुसार पूजा करने से मन की शांति प्राप्त होगी एवं 11:02 के पश्चात पूजा करने से धन धान्य की प्राप्ति होगी।
मीन राशि: मीन राशि के जातकों के लिए इस पूरे ही दिन में पूजन करना उत्तम रहेगा। मीन राशि के जातकों को श्वेत वस्त्र एवं श्वेत चंदन लगाकर पूजा करना उत्तम होगा।
फल: 11:02 से पूर्व पूजा प्रारंभ करने से धन ऐश्वर्य प्राप्त होगा एवं 11 बजकर 2 मिनट के पश्चात पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होगी।
अपनी रक्षा हेतु एवं रोगों से अपनी रक्षा हेतु नवरात्रि में करें यह प्रयोग
- अपने शरीर के बराबर सिर से पैर तक नाप कर रक्षा सूत्र (मौली कलावा) ले लें और पीली सरसों, दही, सुपारी, और हल्दी इन सब चीजों को मिलाकर एक कटोरी में कलश या माता के सामने संपूर्ण नवरात्रि रखें।
- पूर्णाहुति के बाद इस रक्षा सूत्र को धारण करें।
- इसे धारण करने से हर प्रकार के शत्रुओं रोगों का भय से माता शैलपुत्री रक्षा करती हैं।
नोट: शुभ मुहूर्त काशी के अनुसार दिए गए हैं एवं सूर्योदय कालीन तिथि के अनुसार ही सारे मुहूर्त एवं समय दिए गए हैं।
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