हिंदू धर्म में अनेकों व्रत और पूजा की जाती है। बात जब पूजा की हो तो साफ सफाई, ताजे भोजन के भोग इत्यादि का विशेष ध्यान रखा जाता है लेकिन आज हम आपको हिंदू धर्म के एक ऐसे व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। कहा जाता है इस दिन बासी भोजन का भोग लगाने से ही माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। दरअसल हम जिस व्रत की बात कर रहे हैं उसका नाम है शीतला अष्टमी व्रत। जानकारी के लिए बता दें कि, शीतला अष्टमी का व्रत हर साल होली के 8 दिन बाद मनाया जाता है।
ऐसे में इस वर्ष शीतला अष्टमी या बसोड़ा का व्रत और पूजन 4 अप्रैल के दिन किया जाएगा।
शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त 2021
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त – 06 बजकर 08 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट
अवधि – 12 घंटे 33 मिनट।
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 04, 2021 को 04 बजकर 12 मिनट (सुबह)
अष्टमी तिथि समाप्त – अप्रैल 05, 2021 को 02 बजकर 59 मिनट (सुबह)।
शीतला अष्टमी व्रत के बारे में कहा जाता है कि, इस दिन का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में शीतलता प्राप्त होती है। साथ ही जो कोई भी व्यक्ति शीतला अष्टमी या बसोड़ा के दिन व्रत और पूजन आदि करता है उसके सभी कष्ट दूर होते हैं, जीवन में दुख परेशानियां दूर होती है और साथ ही शीतला माता के आशीर्वाद से ऐसे व्यक्तियों को चेचक, खसरा और आंखों से जुड़ी समस्या ठीक होने का वरदान प्राप्त होता है।
जीवन की दुविधा दूर करने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष को किए जाने वाले शीतला व्रत या बसोड़ा के दिन भक्त मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाते हैं। बासी भोजन की वजह से ही इस व्रत का नाम बसोड़ा पड़ा जिसका अर्थ होता है बासी भोजन ( जिसे कई जगहों पर बसियौरा भी कहते हैं)। इस दिन का भोजन या भोग एक दिन पहले ही तैयार कर लिया जाता है और फिर अष्टमी के दिन यानी शीतला अष्टमी के दिन माता को इसका चढ़ाया जाता है। कहा जाता है इस दिन के बाद से व्यक्ति को बासी भोजन खाने से बचना चाहिए।
इन लोगों को नहीं करनी चाहिए शीतला अष्टमी या बसोड़ा की पूजा
शीतला अष्टमी या बसोड़ा का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में मां शीतला का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही ऐसे व्यक्तियों के सभी तरह के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। हालांकि इस पूजा के बारे में कहा जाता है कि, कुछ लोगों को यह पूजा भूल से भी नहीं करनी चाहिए। आमतौर पर शीतला अष्टमी का व्रत माताएं अपने बच्चों की सलामती और लंबी उम्र के लिए करती है। साथ ही इस व्रत को महिलाएं अपने घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए भी करती है लेकिन जिन व्यक्तियों के घर में चेचक की बीमारी से कोई पीड़ित है उन्हें यह व्रत और पूजा नहीं करनी चाहिए।
आशा करते हैं इस लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आप सभी का धन्यवाद।