दो दिनों तक चलने वाले कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव की शुरुआत आज से हो चुकी है। इस त्यौहार को लेकर अक्सर लोगों के मन में ये दुविधा रहती है की वो व्रत किस दिन रखें और पूजा के लिए कृष्ण जी की किस मूर्ति का प्रयोग करें। आज हम आपकी इसी दुविधा को दूर कर रहे हैं, यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं व्रत रखने की सही तारीख़, उसके लाभ, महत्व और पूजन के लिए सही मूर्ति के चुनाव के बारे में। तो देर किस बात की आइये जान लेते हैं आज के दिन से जुड़ी इन सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में।
जन्माष्टमी व्रत रखने का सही दिन और लाभ
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कृष्ण जन्मोत्सव का व्रत आज यानि कि 23 अगस्त को आठ बजकर नौ मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा। इस व्रत को रखने वाले सभी व्रती अगले दिन 24 अगस्त को सुबह आठ बजकर 32 मिनट पर व्रत खोल सकते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत के लिए सही तिथि का होना बेहद आवश्यक माना जाता है। बता दें कि कृष्ण जी का जन्म रोहिणी नक्षत्र के अष्टमी तिथि को हुआ था। इस हिसाब से आज 23 अगस्त को ही ये दोनों योग साथ में बन रहे हैं, लिहाजा आज के दिन ही व्रत रखना उचित माना जाता है। जहाँ तक तक इस दिन रखें जाने वाले व्रत के लाभ की बात करें तो, ऐसी मान्यता है कि आज के दिन व्रत रखने से व्यक्ति की हर इच्छा पूरी हो सकती है। परिवार के सुख समृद्धि में वृद्धि के साथ ही संतान सुखों की प्राप्ति हो सकती है। यदि किसी की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो तो आज के दिन कृष्ण जी का व्रत रख और उनकी पूजा अर्चना कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
आज पूजा के लिए कृष्ण जी की इस मूर्ति का करें चयन
आज के दिन कृष्ण जी की मूर्ति की स्थापना करने से पहले इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि आप किस उद्देश्य के लिए उनकी मूर्ति स्थापित कर रहे हैं। वैसे तो आज के दिन अमूमन लोग कृष्ण जी के बाल स्वरुप की मूर्ति स्थापित करते हैं, लेकिन आप अपनी मनोकामना के अनुसार उनकी अन्य मूर्ति भी स्थापित कर सकते हैं। यदि आप नवविवाहित हैं तो वैवाहिक जीवन में प्रेम और सुख शांति बनाये रखने के लिए आज के दिन पूजा के लिए राधा कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। संतान प्राप्ति के लिए पालने में बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित करना लाभकारी माना जाता है। यदि आप अन्य किसी मनोकामना की पूर्ती के लिए व्रत रख रहें हैं तो खासतौर से हाथों में बाँसुरी लिए कृष्ण जी के बंशी वाले स्वरुप की मूर्ति स्थापित करें।
जन्माष्टमी व्रत और पूजा का शुभ मुहूर्त
व्रत प्रारंभ: 23 अगस्त सुबह 8 बजकर 9 मिनट पर
व्रत पारण : 24 अगस्त सुबह 8 बजकर 32
निशीथ पूजा मुहूर्त : 24:01:33 से 24:45:46 तक