वर लक्ष्मी व्रत: इस व्रत को रखने से मिलते हैं अनेकों लाभ, जानें शुभ मुहूर्त

देवी वर लक्ष्‍मी महालक्ष्‍मी का ही एक स्वरूप होती हैं।

माँ लक्ष्मी, जिन्हें हिन्दू धर्म में धन-समृद्धि की देवी कहा जाता है उनके एक ख़ास व्रत को रखने से संतान सुख से लेकर धन प्राप्ति जैसी मनोकामनाएं भी अवश्य पूरी हो जाती हैं। इस व्रत को वर लक्ष्मी व्रत के नाम से जाना जाता है। 

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इस व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि देवी वरलक्ष्मी का रूप अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देने वाला होता है और वो अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को अवश्य ही पूरा करती है। यही वजह है जिसके चलते देवी के इस रूप को ‘वर’ और ‘लक्ष्मी’ के नाम से भी जाना जाता है। आगे जानें किस विधि से वरलक्ष्मी की पूजा करना होगा शुभ? साथ ही जानें शुभ मुहूर्त एवं व्रत कथा। 

वर लक्ष्मी व्रत  31 जुलाई 2020, शुक्रवार 
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त

06:59 AM से 09:17 AM 

(अवधि 02 घण्टे 17 मिनट्स)

वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त

01:53 PM से 04:11 PM

(अवधि 02 घण्टे 19 मिनट्स)

कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त

07:57 PM से 09:25 PM

(अवधि 01 घण्टा 27 मिनट्स)

वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त

12:25 AM से 02:21 AM, अगस्त 01

(अवधि 01 घण्टा 56 मिनट्स)

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वरलक्ष्मी व्रत महत्व 

वरलक्ष्मी व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष के दौरान एक हफ्ता पहले शुक्रवार के दिन मनाया जाता है। इस व्रत के बारे में सबसे ख़ास बात यही मानी जाती है कि इसे जो कोई भी इंसान सच्चे मन से रखता है उसके घर की दरिद्रता अवश्य ही खत्म हो जाती है। 

  • इसके अलावा इस व्रत को रखने से घर में सुख-शांति और संपत्ति बनी रहती है। 
  • अगर संतान प्राप्ति की चाह हो तो भी इस व्रत को रखने की सलाह दी जाती है। 
  • जो कोई भी इंसान इस व्रत को रखता है उसे सुख, संपत्ति, और वैभव की प्राप्ति होती है। 
  • मान्यता है कि जो कोई भी इंसान इस व्रत को रखता है उसे अष्टलक्ष्मी पूजन जितना फल मिलता है। 
  • यूँ तो ये व्रत महिलाएं ही रखती हैं लेकिन अगर इस व्रत को पति-पत्नी साथ में रखते हैं तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।  

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वर लक्ष्मी व्रत पूजन विधि 

  • वर लक्ष्मी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ़-सफाई करने के बाद स्नान आदि कर लेना चाहिए। 
  • इसके बाद पूजा वाली जगह को गंगाजल से साफ़ करें। 
  • पूजा के दौरान व्रत का संकल्प लें। 
  • इसके बाद माँ वरलक्ष्मी को नए वस्त्र पहनाएं और उन्हें गहनें और कुमकुम से सजाएं।
  • इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की मूर्ति साथ में स्थापित करें। 
  • पूजा वाली जगह पर थोड़ा सा सिन्दूर छिड़कें। 
  • एक कलश में जल भरें और इसके बाद कलश के चारों तरफ चंदन लगाएं। 
  • माँ लक्ष्मी की आरती से पूजा को संपन्न करें।

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वर लक्ष्मी व्रत से मिलने वाले लाभ

  • घर में सुख संपदा में बढ़ोतरी। 
  • संतान प्राप्ति, ये व्रत मुख्य तौर पर संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है।
  • आय में बढ़ोतरी, इस व्रत से इंसान के जीवन में आर्थिक मजबूती आती है। 
  • पति की दीर्घायु। 
  • इंसान की यश और प्रतिष्ठा में वृद्धि।

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वर लक्ष्मी व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें 

  • इस व्रत में श्री सूक्त का पाठ अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करना बेहद फलदायी होता है। 
  • इस पूजा में माता लक्ष्मी के सामने चौबीस घंटे जलने वाला घी का अखंड ज्योत जलायें। 
  • इस दिन श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए। 
  • जिन जातकों को संतान प्राप्ति की चाह हो उन्हें इस दिन संतान गोपाल और हरिवंश पुराण की पूजा करने का विधान बताया गया है।

धन-धान्य और समृद्धि की देवी कही जाने वाली माँ लक्ष्मी से जुड़ा वर लक्ष्मी का ये व्रत सबसे बड़े व्रत में से एक माना गया है। यह व्रत श्रावण माह के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन मनाया जाता है। देवी वर लक्ष्‍मी महालक्ष्‍मी का ही एक स्वरूप होती हैं।

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वर लक्ष्मी व्रत कथा 

प्राचीन समय की बात है। एक गांव में चारुमती नाम की एक महिला रहती थी। चारुमती माता की बहुत बड़ी भक्त थी। ऐसे में वो प्रत्येक शुक्रवार को माता का पूजन अवश्य किया करती थी। एक बार चारुमती की भक्ति से प्रसन्न होकर रात्रि में माता उसके सपने में आयी और उसे वरलक्ष्मी व्रत के बारे में विस्तार से बताया। माता की परम भक्त चारुमती ने ये व्रत पूरी निष्ठा के साथ रखने का संकल्प भी लिया। 

चारुमती ने इस व्रत के बारे में अपनी सहेलियों को भी बताया। इसके बाद उन सभी ने मिलकर विधिवत कलश की स्थापना की और उसकी परिक्रमा भी की। व्रत के बाद सभी स्त्रियों ने माँ लक्ष्मी से अपने अपने मन की मुरादें भी मांगी जो पूर्ण भी हो गयीं। इस व्रत के प्रभाव से उन सभी को धन, धान्य और संतान की प्राप्ति हुई और तभी से मनोवांछित फल प्रदान करने वाले इस व्रत की शुरुआत हो गयी। इस व्रत के बारे में यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती जी ने भी यह व्रत किया था। 

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