शरद नवरात्रि अष्टमी और महानवमी पूजन आज

नवरात्रि में अष्टमी तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा-अर्चना किये जाने का विधान है। हिन्दू धर्म से संबंधित लगभग हर समुदायों के लोग नवरात्रि में अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करते हैं। जिसके लिए हर परिवार में ये पूजन अपनी कुल परंपराओं के अनुसार ही होता है। नवरात्रि के अष्टमी पूजन पर कई लोग अलग-अलग प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान और अपनी कुल परंपराओं के अनुसार मुंडन, अन्नप्राशन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य भी सम्पन्न कराते हैं। शारदीय नवरात्रि 2019 में अष्टमी पूजन कल यानि 6 अक्टूबर, रविवार को किया जा रहा है। 

ये ध्यान देने योग्य है कि हेमाद्रि निर्णयामृतके वाक्य से ये माना जाता है कि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में मूल नक्षत्र से युक्त अष्टमी महानवमी कही जायेगी। इसलिए इस बार 6 अक्टूबर, रविवार को महानवमी का उत्तम संयोग पड़ेगा। ये महानवमी शास्त्रों के अनुसार त्रिलोक मे दुर्लभ बताई गई है। 

अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2019 में शरद नवरात्रि की अष्टमी तिथि 5 अक्टूबर को 09:53:11 के बाद से ही प्रारम्भ होगी और 6 अक्टूबर को दोपहर 10:56:51 तक उपस्थित रहेगी। इस कारण अष्टमी की पूजा  6 अक्टूबर को करनी चाहिए।

नवरात्रि अष्टमी पूजा मुहूर्त

अक्टूबर 5, 2019  09:53:11 से अष्टमी आरम्भ
अक्टूबर 6, 2019 10:56:51 पर अष्टमी समाप्त

सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में महा अष्टमी पूजा का मुहूर्त

अष्टमी पर मां महागौरी की आराधना

जैसा हमने पहले ही बताया कि हर वर्ष नवरात्रि में अष्टमी तिथि पर मॉं भगवती के आठवें स्वरूप महागौरी पूजन और आराधना करने का विधान है। महागौरी का ये नाम दो शब्दों के जुड़ से बना है, जिसमें ‘महा’ का अर्थ है महान या बड़ा और ‘गौरी’ का अर्थ होता है गोरी, अर्थात मां दुर्गा के इस स्वरूप का रंग गोरा होने के कारण ही उन्हें महागौरी कहा गया है। जिसको लेकर मान्यता है कि इनकी आराधना मात्र से ही जातक का सोम चक्र जाग्रत होता है और इसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाले हर प्रकार के संकटों से मुक्ति भी मिलती है। मां की कृपा से उसके समस्त दुःख-दर्द शून्य हो जाते हैं। इसलिए ही शास्त्रों में देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को ऐश्वर्य और अन्नपूर्णा भी कहा गया है। इनके आशीर्वाद से जीवन में आर्थिक तंगी कभी नहीं आती है और जीवन सदैव समृद्ध रहता हैं।  

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देवी महागौरी का ज्योतिषीय महत्व 

हिन्दू धर्म में तो महागौरी का उल्लेख आपको सुनने को मिल ही जाएगा लेकिन वैदिक ज्योतिष में भी इन्हे मुख्य दर्जा प्राप्त होता है। ज्योतिष विज्ञान की मानें तो माता महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती है। इसलिए ही कहा गया है कि जो भी जातक इनकी पूजा करता है उसे मां महागौरी का आशीर्वाद तो प्राप्त होता ही है। साथ ही उस जातक की कुंडली में मौजूद हर प्रकार का राहु ग्रह का बुरा प्रभाव भी शून्य या फिर खत्म हो जाता है। 

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देवी महागौरी का स्वरूप 

हिन्दू शास्त्रों में भी आपको कई जगहों पर महागौरी के सुन्दर स्वरूप का वर्णन सुनने को मिल जाएगा। मान्यताओं अनुसार कहा गया है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए सालों तक कठोर तप किया था। इस तप के चलते ही उनका शरीर काला हो गया था। जिसके बाद उनकी आराधना और तप से खुश होकर जब भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए थे तो माना जाता है कि भगवान शिव ने मां पार्वती को गंगा जल से स्नान कराया था। तब से ही देवी का रंग जल की भाँती साफ़ और गोरा हो गया और इसी के बाद उनका नाम महागौरी पड़ा। 

  • अगर देवी महागौरी के स्वरूप की बात की जाए तो उनके मस्तक पर चंद्र का मुकुट होता है। 
  • मां की मणिकांत यानि मणि के समान क्रांति वाली चार भुजाएं हैं। 
  • इन भुजाओं में मां के दो हाथों में क्रमश: त्रिशूल व डमरू सुशोभित होते हैं।  
  • मां का तीसरा हाथ वर मुद्रा में और चौथा हाथ अभय मुद्रा में होते है। 
  • देवी महागौरी के कानों में रत्न जड़ित भव्य कुंडल चमक रहे होते हैं। 
  • मां बैल की सवारी करती है। 
  • इन्हे भोग में हलवा सबसे ज्यादा प्रिय होता है। 

पढ़ें: माता महागौरी की महिमा व पौराणिक कथा। 

देवी महागौरी से जुड़े मंत्र

ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

नवरात्रि की नवमी तिथि 

शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि के साथ ही कल यानी 7 अक्टूबर को नवरात्रि का समापन होगा। नवमी पर देशभर के दुर्गा पंडालों और हिन्दू परिवारों के घरों में माँ दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना किये जाने का विधान है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौवें रूप माँ सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। ऐसे में इस अवसर पर जगह-जगह भंडारों और कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है। तो चलिए अब जानते हैं नवरात्रि 2019 की नवमी तिथि का महत्व, पारण का मुहूर्त और 8 अक्टूबर, मंगलवार के दिन होने वाले दुर्गा विसर्जन का समय।

नवमी पूजन का शुभ मुहूर्त 

अक्टूबर 6, 2019 10:56:51 से नवमी आरम्भ
अक्टूबर 7, 2019 12:40:09 पर नवमी समाप्त

शारदीय नवरात्रि पारण मुहूर्त

7 अक्टूबर 2019,सोमवार 12:40:09 के बाद से

दुर्गा विसर्जन मुहूर्त

8 अक्टूबर 2019, मंगलवार 06:17:33 से 08:37:59 तक
अवधि  2 घंटे 20 मिनट

सूचना: उपरोक्त समय नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में पारण मुहूर्त और दुर्गा विसर्जन का समय

शरद नवरात्रि में कल यानि 7 अक्टूबर 2019 को नवमी पूजन किया जाएगा। जिसके चलते इसी दिन मुहूर्त अनुसार नवमी तिथि पर होने वाले धार्मिक कर्म किये जाएंगे। नवरात्रि में नवमी पर मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप का पूजन किया जाता है। 

नवरात्रि पारण 

हिन्दू शास्त्रों की मानें तो शरद नवरात्रि की पारण दशमी तिथि को ही किया जाना शुभ होता है। पारण मुहुर्त में नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि व्रत को पूरे विधि-विधान से खोला जाता है। इस दौरान नवरात्रि पारण के बाद ही भक्त ब्राह्मणों को फल, उपहार, वस्त्र, दान-दक्षिणा आदि देते हुए उनका आशीर्वाद लेते हैं। इसके साथ ही कन्या पूजन का विधान भी होता है।

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माँ सिद्धिदात्री की आराधना का दिन 

माँ दुर्गा का नौवाँ और अंतिम रूप माँ सिद्धिदात्री है, जिनका शाब्दिक अर्थ होता है सिद्धि प्रदान करने वाली देवी। ऐसे में अपने नाम की तरह ही देवी दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला होता है। इसलिए ही कहा गया है कि यदि कोई साधक पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से माँ के इस रूप की पूजा-आराधना करता है तो मां उस व्यक्ति की हर साधनाएं सिद्ध करती हैं। इसके साथ ही माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति को मां की कृपा की प्राप्ति होती है उसे मोक्ष भी प्राप्त हो जाता है। 

पंचांग अनुसार शरद नवरात्रि की नवमी तिथि को दुर्गा महानवमी पूजा भी किये जाने का विधान है। जिस दौरान विशेष हवन कर, हिन्दू धर्म के सभी देवी-देवताओं के लिए आहुति दी जाती है।

माता सिद्धिदात्री का स्वरूप

  • अगर माँ सिद्धिदात्री के स्वरूप की बात की जाए तो मां अपने इस रूप में कमल पर विराजमान हैं। 
  • मां शेर की सवारी करती हैं। 
  • इनकी चार भुजाएँ हैं जिनमें दाहिने दोनों हाथों में क्रमशः गदा और चक्र सुशोभित होते हैं। 
  • वहीं दोनों बाएँ हाथ में मां क्रमशः शंख और कमल का फूल धारण किये हुए होती हैं। 
  • देवी का यह स्वरूप भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति कराने वाला होता है। 

पढ़ें: दुर्गा देवी की स्तुति और पाएँ माँ भगवती की कृपा और आशीर्वाद !

नवरात्रि के नौवे दिन से जुड़े मंत्र

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

अवश्य पढ़ें: माँ सिद्धिदात्री की महिमा व पौराणिक कथा।

नवरात्रि में अष्टमी पर कन्या पूजन का महत्व और उनकी पूजा विधि 

अष्टमी व नवमी पर कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्या पूजा या कुमारी पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन हर हिन्दू परिवार विशेष रूप से कन्याओं की पूजा करता है। जिसके लिए 2 से लेकर 10 वर्ष तक की आयु वाली कन्याओं को अपने घर निमंत्रित कर उनका पूजन और उन्हें भोजन व दक्षिणा दिए जाने का विधान है। आइये जानते है नवरात्रि में कन्या पूजन के लाभ और उनके मन्त्र:- 

  • कुमारी- वे कन्याएँ जिनकी आयु दो वर्ष की होती हैं। उनका पूजन करने से परिवार के सभी दुःख और दरिद्रता का नाश होता है। इसके लिए ‘कौमाटर्यै नमः’ मन्त्र का जाप करना लाभकारी रहता है। 
  • त्रिमूर्ति- वे कन्याएँ जिनकी उम्र 3 वर्ष होती है। इनकी पूजा करने से दांपत्य जीवन में संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके लिए ‘त्रिमूर्तये नमः’ मन्त्र का जाप करना लाभकारी रहता है। 
  • कल्याणी- वे कन्याएँ जिनकी आयु 4 वर्ष तक होती है, उनका पूजन करने से विद्या-ज्ञान और सुख-समृद्धि मिलती है। इसके लिए ‘कल्याण्यै नमः’ मन्त्र का जाप करना लाभकारी रहता है। 
  • रोहिणी- वे कन्याएँ जिनकी उम्र 5 तक होती है। इनकी पूजा से हर प्रकार के रोगों का नाश होता है। इसके लिए ‘रोहिण्य नमः’ मन्त्र का जाप करना लाभकारी रहता है। 
  • कालिका- वे कन्याएं जिनकी आयु 6 वर्ष होती है, उनकी पूजा से व्यक्ति के शत्रुओं और विरोधियों का नाश होता है। इसके लिए ‘कालिकायै नमः’ मन्त्र का जाप करना लाभकारी रहता है।  
  • चण्डिका- वे कन्याएँ जिनकी आयु 7 वर्ष होती है। इनके पूजन से धन और वैभव की प्राप्ति होती है। इसके लिए ‘चण्डिकार्य नमः’ मन्त्र का जाप करना लाभकारी रहता है। 
  • शाम्भवी- वे कन्याएँ जिनकी आयु 8 वर्ष होती है, उनके पूजन से हर क्षेत्र में विजय और सफलता मिलती है। इसके लिए ‘शम्भव्यै नमः’ मन्त्र का जाप करना लाभकारी रहता है। 
  • दुर्गा- 9 वर्ष की उम्र की कन्याओं का पूजन दुर्गा के रूप में किया जाता है। इनकी पूजा के प्रभाव से हर प्रकार के परलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसके लिए ‘दुर्गायै नमः’ मन्त्र का जाप करना लाभकारी रहता है। 
  • सुभद्रा- 10 वर्ष की आयु वाली कन्याओं को सुभद्रा के रूप में पूजा जाता है। इनके पूजन से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इसके लिए ‘सुभद्रायै नमः’ मन्त्र का जाप करना लाभकारी रहता है। 

अष्टमी व नवमी पर कन्या पूजन की संपूर्ण विधि 

हिन्दू मान्यता अनुसार ये कन्याएँ मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक होती हैं, जिसका मुहूर्त अनुसार सही विधि-विधान से पूजन करने पर मॉं दुर्गा प्रसन्न होती हैं और परिणाम स्वरूप पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन अपनी कुल परंपरा अनुसार कन्या पूजन किया जाता है, लेकिन शास्त्रों में अष्टमी व नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। कन्या पूजन की विधि इस प्रकार है:-

  1. इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि अष्टमी व नवमी पूजन के लिए घर पर बुलाई जाने वाली सभी 9 कन्याओं की आयु 2 से 10 वर्ष के बीच ही होनी चाहिए।  
  2. इसके बाद सभी नौ देवी रूपी कन्याओं का पूजन उनकी आयु के अनुसार ऊपर दिए गए मंत्र से ही करें। 
  3. उनका पूजन कर उन्हें वस्त्र भेट करें और उनके पैर धोएं। इस दौरान कन्याओं को लाल रंग के वस्त्र ही देने चाहिए। 
  4. उसके बाद उन्हें चंदन कुमकुम का तिलक कर उपरोक्त मंत्र से उन्हें नमस्कार करें। 
  5. फिर श्रद्धानुसार उन्हें भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर उन्हें ख़ुशी-ख़ुशी विदा करें। भोजन में मुख्य रूप से पूरी, चने, हलवा अवश्य शामिल करें।

(नोट: यदि नौ कन्या पूजन करना संभव न हो तो इस स्थिति में दो कन्याओं का भी पूजन करने का विधान है।)

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को महा अष्टमी पर्व 2019 की शुभकामनाएं ! हम आशा करते हैं कि देवी दुर्गा का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे।

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