जानें नवरात्रि के तीसरे दिन मॉं चंद्रघण्टा की पूजा का महत्व , पूजा विधि और उनसे जुड़े विशेष मंत्र !

शरद नवरात्रि 2019 का तीसरा व्रत आज, मंगलवार यानी 1अक्टूबर को रखा जाएगा। नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चंद्रघण्टा स्वरूप की पूजा करने का विधान है। जिसको लेकर माना जाता है कि जो भी जातक इस दिन मां चंद्रघण्टा की विधि-विधान अनुसार पूजा करता है उस जातक को मां की कृपा से जीवन में भरपूर साहस और वीरता की प्राप्ति होती है। साथ ही मां के आशीर्वाद से उसके जीवन के समस्त कष्ट और रोग दूर भी हो जाते हैं। आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं मॉं चंद्रघटा की आराधना का विशेष महत्व:-

नवरात्रि के तीसरे दिन होती है मॉं चंद्रघण्टा की आराधना 

नवरात्रि के तीसरे दिन मॉं चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है। मां के इस स्वरूप को लेकर मान्यता है कि मॉं चंद्रघण्टा के आशीर्वाद मात्र से ही व्यक्ति के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। क्योंकि मॉं का यह अनोखा रूप कल्याणकारी और परम शांतिदायक बताया गया है, जो साहस और वीरता का अहसास कराता है। 

मां चंद्रघण्टा का स्वरूप

  • हिन्दू मान्यताओं अनुसार माँ चंद्रघण्टा शेरनी की सवारी करती हैं और अपने तेज के चलते मां का शरीर स्वर्ण की भाँती चमकता है। 
  • मॉं चंद्रघण्टा की 10 भुजाएँ होती हैं। 
  • जिसमें मां चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमण्डलु धारण किये होती हैं तो, वहीं मां का पाँचवाँ हाथ वर मुद्रा में है। 
  • इसके अलावा मां की अन्य चार भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला सुशोभित होते हैं। 
  • देवी का अंतिम पाँचवाँ हाथ अभय मुद्रा में होता है। 
  • माना जाता है कि माता का अस्त्र-शस्त्र से पूर्ण ये क्षत्रिय रूप युद्ध के समय देखने को मिलता है।

पढ़ें: मॉं चंद्रघण्टा की महिमा व पौराणिक कथा 

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नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा विधि

माना जाता है कि देवी शक्ति के मॉं चंद्रघण्टा रूप की आराधना मात्र से ही जातक को आत्मिक और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है। नवरात्र के तीसरे दिन पूजा का विधान भी दूसरे दिन की तरह ही कुछ इस प्रकार है..

  • सर्वप्रथम मॉं चंद्रघण्टा की पूजा से पहले कलश देवता अर्थात भगवान गणेश का विधिवत तरीके से पूजन करें।
  • भगवान गणेश को फूल, अक्षत, रोली, चंदन, अर्पित कर उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान कराए व देवी को अर्पित किये जाने वाले प्रसाद को पहले भगवान गणेश को भी भोग लगाएँ। 
  • प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें। 
  • फिर कलेश देवता का पूजन करने के बाद नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा भी करें।
  • इन सबकी पूजा-अर्चना किये जाने के पश्चात ही मॉं चंद्रघण्टा का पूजन शुरू करें।
  • इसके लिए सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर मॉं चंद्रघण्टा का ध्यान करें।
  • इसके बाद मॉं चंद्रघण्टा का पंचोपचार करें और उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें।
  • इसके बाद मां की प्रतिमा के समक्ष घी अथवा कपूर जलाकर मॉं चंद्रघण्टा की आरती करें।
  • अब अंत में मां के मन्त्रों का उच्चारण करते हुए अंत में उनसे क्षमा प्रार्थना करें। 

मां चंद्रघण्टा से जुड़े विशेष मंत्र

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

धार्मिक मान्यताओं अनुसार नवरात्रि के तीसरे दिन का महत्व

जैसा हमने पहले ही बताया कि नवरात्रि में विशेष तौर से तीसरे दिन मॉं चंद्रघण्टा की पूजा-अर्चना किये जाने का विधान होता है। ऐसे में मान्यता है कि इस दिन मॉं के भक्तों का चंचल मन मणिपुर चक्र में प्रवेश करता है। जिसके परिणामस्वरूप मॉं चंद्रघण्टा की कृपा से ही जातक को अलौकिक दृश्य दिखाई देते हैं, जिससे उसे सभी दुखों के बावजूद भी आनंद की प्राप्ति होती है।

सिंदूर तृतीया

नवरात्रि के तीसरे दिन हिन्दू धर्म के अनुयायी सिंदूर तृतीया के तौर पर भी मनाते हैं। जिसे कई जगहों पर सौभाग्य तीज व गौरी तीज के नाम से भी जाना जाता है। सिंदूर तृतीया का पर्व मुख्य तौर से बंगाल और बिहार समेत कई राज्यों में महिलाओं द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि यह दिन मॉं चंद्रघण्टा के विवाहित रूप देवी पार्वती को दर्शाता है, जिसके चलते ही महिलाएं इस इन सिंदूर से एक दूसरे को शुभकामनाएं देती हैं।    

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि 2019 की शुभकामनाएं ! हम आशा करते हैं देवी शक्ति मॉं चंद्रघण्टा की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।

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