दुर्गा पूजा पर नवपत्रिका पूजन का महत्व और संपूर्ण पूजा विधि

शरद नवरात्रि में विशेष तौर से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा और बिहार समेत कुछ अन्य राज्यों में दुर्गा पूजा उत्सव धूमधाम से मनाए जाने का विधान है। इस महापर्व की विधिवत शुरुआत षष्ठी तिथि यानि नवरात्रि के छठे दिन घटस्थापना के साथ ही शुरु हो जाती है और नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन महासप्तमी दुर्गा पूजा उत्सव का पहला दिन मनाया जाता है। दुर्गा उत्सव के पहले दिन नवपत्रिका पूजन किया जाता है, जिसे कलाबाऊ पूजा भी कहते हैं। इस पूजन क्रिया के दौरान नौ तरह की पत्तियों को मिलाकर मां दुर्गा की पूजा की जाती है। ये सभी नौ पत्ते मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों का प्रतीक होते हैं। 

                    नवपत्रिका पूजा मुहूर्त

अक्टूबर 4, 2019 09:37:26 से सप्तमी आरम्भ
अक्टूबर 5, 2019 09:53:11 पर सप्तमी समाप्त

सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में नवपत्रिका पूजन का मुहूर्त और नियम !

नवपत्रिका के पूजन की विधि

  • दुर्गा पूजा उत्सव का महासप्तमी पूजन महास्नान के बाद ही शुरू किया जाता है, जिसे कोलाबोऊ स्नान भी कहते है। हिन्दू धर्म में इस महास्नान का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस स्नान को करने से भक्त पर दुर्गा जी की असीम कृपा बरसती है। 
  • स्नान के बाद दुर्गा पूजा के लिए लाई गईं सभी 9 पत्तियों (नवपत्रिका) को एक साथ बाँधा जाता है, और फिर इन पत्तियों को भी मां दुर्गा के नौ रूप मानकर पवित्र नदी में स्नान कराया जाता है। 
  • नवपत्रिका के साथ जातक को भी पवित्र नदी में विधि पूर्वक तरीके से स्नान करना होता है। हालांकि अगर नहीं में स्नान करना संभव न हो तो आप घर में भी स्नान कर इस नवपत्रिका से अपने उपर जल या गंगाजल का छिड़काव कर सकते हैं। 
  • इसके बाद नवपत्रिका को पहले पवित्र गंगा जल से स्नान कराया जाता है। 
  • इसके बाद उन्हें दूसरे स्नान के लिए वर्षा का पानी इस्तेमाल किया जाता है।
  • तीसरे स्नान के लिए सरस्वती नदी का जल प्रयोग किया जाता है। 
  • चौथे स्नान में समुद्र का जल, पांचवें में कमल के साथ तालाब के पानी में स्नान और अंतिम छठे स्नान के लिए झरने का जल इस्तेमाल करना बेहद पवित्र माना गया है। 
  • इसके बाद नवपत्रिका को सभी छः स्नान कराने के बाद जातक को अपनी पारंपरिक पोशाक पहननी होती है। इसके लिए विशेषतौर से बंगाल के लोग लाल बार्डर वाली सफ़ेद साड़ी पहनते हैं और उसी से इन नवपत्रिका को भी सजाया जाता है। 
  • इसके पश्चात नवपत्रिका को फूलों की माला पहनाकर एक पारंपरिक दुल्हन की तरह तैयार किया जाता है। 
  • स्नान और साज-सजावट के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जाती , जिसके लिए देवी दुर्गा की नवपत्रिका प्रतिमा को पूजा स्थान पर स्थापित किया जाता है। 
  • प्रतिमा की स्थापना से पूर्व पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई करते हुए उसपर गंगाजल का छिड़काव कर स्थान को शुद्ध किया जाता है और फिर स्थान पर फूलों से सजाया जाता है एवं वहां लाल वस्त्र बिछाया जाता है। 
  • बहुत से लोग किसी पवित्र नदी या घाट के किनारे ही इस नवपत्रिका के पूजा-विधान को करते हैं। 
  • देवी दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद षोडशोपचार पूजा आरंभ की जाती है, जिसके लिए देवी दुर्गा को 16 वस्तुओं से पूजा जाने का विधान है। 
  • इस दौरान नवपत्रिका को मां की प्रतिमा मानकर उसपर चंदन, फूल, कुमकुम आदि अर्पित किये जाते हैं। 
  • इसके बाद इन नवपत्रिका को भगवान गणेश जी की प्रतिमा के दाहिनी ओर रखा जाता है। 
  • अंत में सब मिलकर दुर्गा पूजा की महाआरती करते हैं और इसके बाद मां को भोग लगाते हुए प्रसाद वितरण होता है। 

पढ़ें: दुर्गा देवी की स्तुति और पाएँ माँ भगवती की कृपा और आशीर्वाद !

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को दुर्गा पूजा उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं!

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