गणेश जी के इस मंदिर में होती है उनके इंसानी स्वरूप की पूजा !

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य देवता का दर्जा दिया गया  है । बीते 2 सितंबर से देशभर में 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में देश भर के तमाम गणेश मंदिरों में भक्तों की अथाह भीड़ नजर आ रही है। आज हम आपको गणेश जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां उनके गजानन स्वरूप की नहीं बल्कि उनके इंसानी स्वरुप की पूजा की जाती है। तो देर किस बात की आइये जान लेते हैं कि आखिर गणेश जी के इंसानी स्वरूप वाला यह मंदिर कहां पर स्थित है और क्या है इसकी विशेषता !

 इस प्रसिद्ध मंदिर में होती है गणेश जी के इंसानी रूप की पूजा

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि तमिलनाडु के तिलतर्पण पूरी में स्थित आदि विनायक मंदिर में गणेश जी के इंसानी स्वरूप की पूजा की जाती है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य देवता का दर्जा दिया गया है और किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने से पहले उनका आशीर्वाद लेना आवश्यक समझा जाता है। आपको बता दें कि तमिलनाडु स्थित आदि विनायक मंदिर गणेश जी का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां उनके इंसानी रूप की पूजा की जाती है। यहां विशेष तौर पर गणेश चतुर्थी के मौके पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ देखी जासकती है। जहां एक तरफ देश के अन्य गणेश मंदिरों में गणेश जी के गजानन रूप की पूजा की जाती है वही आदि विनायक मंदिर दुनिया का मात्र एक ऐसा मंदिर है जहां गणेश जी के इंसानी स्वरूप की मूर्ति स्थापित है। 

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गणेश जी के दर्शन मात्र से पूरी हो जाती है सारी मनोकामनाएं

आपको जानकर हैरानी होगी कि तमिलनाडु के तिलतर्पण पूरी स्थित इस आदि विनायक मंदिर की महिमा अपरमपार है। यहां आने वाले भक्तों का ऐसा मानना है कि यहां स्थित गणेश जी के इंसानी स्वरूप की प्रतिमा के दर्शन मात्र से लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। गणेश चतुर्थी के मौके पर खासतौर से यहां आने वाले भक्तों की संख्या में काफी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। दस दिवसीय गणेश उत्सव के दौरान इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है, हजारों लाखों की संख्या में भक्त यहां आकर गणेश जी की पूजा अर्चना करते है और प्रसाद के रूप में मोदक एवं लड्डू का भोग चढ़ाते हैं। 

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 तिलतर्पण पूरी शहर की है खास विशेषता

बता दें कि जितनी अहमियत यहां स्थित आदि विनायक गणेश मंदिर की है उतना ही खास यह शहर भी है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह शहर विशेष रुप से पितरों को समर्पित है यहां खासतौर से पितृपक्ष के दौरान दूर-दूर से लोग आकर अपने पितरों को तिल चढ़ाते हैं। इसलिए भी इस शहर का नाम तिलतर्पण रखा गया। यहां पितृपक्ष के दौरान आकर पितरों का पिंडदान  और तर्पण की क्रिया करना खासा महत्वपूर्ण माना जाता है। साफ शब्दों में कहे तो तिल तर्पण शहर विशेष रुप से गणेश जी के इंसानी स्वरूप की प्रतिमा और पिंडदान के लिए मशहूर है।

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