कल रखा जाएगा कजरी तीज व्रत, जानें पूजा विधि और तीज का महत्व

यूँ तो भारत को पर्वों का देश कहा जाता है, जहाँ वर्ष भर तरह-तरह के त्यौहार मनाए व व्रत रखें जाते हैं, उन्ही में से एक है कजरी तीज जो भारतवर्ष में मनाया जाने वाला अकेला ऐसा पर्व है जो पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता लाता है। इस पर्व को देश के हर राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जिसमें से मुख्य रूप से यह त्यौहार उत्तर भारत के कई राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और बिहार में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। जहाँ इसे कई जगह पर बड़ी तीज के रूप में भी जाना जाता है तो वहीं कुछ राज्यों में इसे सातुड़ी तीज के रूप में मनाया जाता है।

माता पार्वती को समर्पित होती है कजरी तीज

हर वर्ष तीज को लेकर महिलाओं में ख़ासी उत्सुकता दिखाई देती है। जिस कारण तीज पर्व का महत्व महिलाओं में विशेष रूप से होता है, क्योंकि इस दिन सभी विवाहित स्त्रियाँ अपने शादीशुदा जीवन में सुख-समृद्धि पाने और अपने जीवनसाथी की दीर्घायु के लिए भगवान शिव संग माता पार्वती की पूजा करती है। इसलिए भी कजरी तीज पर महिलाएँ माता पार्वती को समर्पित तीज का एक विशेष व्रत रखती हैं। इस दिन सभी विवाहित महिलाएं पूर्ण श्रृंगार करती हैं, जबकि अविवाहित महिलाएँ भी अच्छे वर और जल्द विवाह की कामना हेतु माता पार्वती के प्रति श्रद्धा-भाव व्यक्त करते हुए इस दिन व्रत रखती हैं। ये तीज आमतौर पर कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व से लगभग 5 दिन पूर्व मनाई जाती है, जो हर वर्ष मुख्य तीजों में से हरियाली तीज और हरितालिका तीज के मध्य पड़ती है। इस दिन महिलाओं व्रत और श्रृंगार कर तीज के लोक गीत जाते हुए इसे एक परंपरा की भाँती मनाती है।

कजरी तीज 2019 का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग की माने तो कजरी तीज का व्रत हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली तृतीया तिथि को रखा जाता है। ऐसे में इस वर्ष 2019 में कजरी तीज का पर्व कल यानी रविवार, 18 अगस्त 2019 को देशभर में मनाया जाना है। इस दिन महिलाएँ मां पार्वती के प्रति समर्पित कठोर निर्जल व्रत रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को खोलती है।

कजरी तीज का मुहूर्त

17 अगस्त, 2019 को 22:50:07 से तृतीया आरम्भ

19 अगस्त, 2019 को 01:15:15 पर तृतीया समाप्त

नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में कजरी तीज मुहूर्त

कजरी तीज का धार्मिक महत्व

जैसा हमने पहले ही बताया कि कजरी तीज मुख्य रूप से दांपत्य जीवन में मधुर संबंधों पर आधारित पर्व है। ऐसे में इस पर्व को लेकर ये पौराणिक मान्यता है कि, यही वो पवित्र तिथि थी जब माता पार्वती ने सालों तक अपने कठोर तप से भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। तभी से मान्यता अनुसार सभी शादीशुदा महिलाएं अपने दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति हेतु व अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जल रहकर इस दिन मां पार्वती के लिए व्रत करती हैं। इसके साथ ही इस दिन अविवाहित कन्याएं भी भगवान शिव की भाँती वर पाने और जल्द विवाह की कामना से इस व्रत को रखती हैं।

कजरी तीज की संपूर्ण पूजा विधि

माना जाता है कि यदि कोई भी महिला कजरी तीज का ये पावन व्रत पूर्ण विधि-विधान से करती है तो इससे मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और उसे इस व्रत से अनुकूल फलों की प्राप्ति कराती हैं। इस व्रत को करने से व्रती महिला को मां पार्वती का आशीर्वाद तो प्राप्त होता ही है, साथ ही सुहागिन महिलाओं को अपने उत्तम दांपत्य में सुख की प्राप्ति भी होती है। आइए जाने इस व्रत की संपूर्ण पूजा विधि:-

  • महिलाएँ इस व्रत को निर्जला रहकर करती है। हालांकि गर्भवती महिलाएं और बीमार महिलाएँ इस दिन फलाहार कर सकती हैं।
  • सबसे पहले व्रती स्त्री को प्रातःकाल जल्दी उठकर, स्नान आदि कर शुद्ध होना चाहिए।
  • इसके बाद घर की पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रेत या फिर गोबर से एक छोटा सा तालाब बनाना चाहिए।
  • उसमें नीम की पतली-पतली टहनी रोप कर किसी ओढनी या चुन्नी से ढक दें।
  • इसके बाद बनाए गए तालाब के पास भगवान गणेश जी और माता पार्वती की छोटी सी मिट्टी की मूर्ति बनाएँ।
  • बनाई गई मूर्ति के साथ फिर कलश (मिट्ठी या तांबे का) रखकर, उस पर मौली बाँधकर स्वास्तिक बनाएँ और कलश पर थोड़े से चावल, जौ, सत्तू और एक सिक्का रखें।
  • इसके बाद भगवान गणेश और माता पार्वती को फूल, फल, सत्तू, कुमकुम, अक्षत, मौली, नैवेद्य, आदि अर्पित सामग्री करें।
  • भगवान गणेश और माता पारवती की पूजा के बाद तीज माता की पूजा करें। इस दिन कुछ लोग नीमड़ी माता की पूजा भी करते हैं।
  • इसके बाद तालाब में थोड़ा सा दूध और शुद्ध जल डालें।
  • इसके बाद विवाहित महिलाएँ शृंगार का सामान जैसे कुमकुम, काजल और मेहंदी को मिलाकर 7 बिंदी की तरह आकृति और
  • कुंवारी कन्याएं भी इसी प्रकार 16 आकृतियां तालाब के बराबर में बनाएँ।
  • इसके बाद वहां एक दीपक जलाकर सभी स्त्रियां मिलकर तीज माता की कथा सुनें अथवा दूसरों को भी सुनाए।
  • इसके बाद तालाब के जल में माता को अर्पित की गई सामग्री और अपने गहने तथा दीपक के प्रतिबिंब के दर्शन करें।
  • इसके बाद तीज के लोक गीत गाएँ।
  • इस दौरान महिलाएँ तीज माता से खुशहाली की प्रार्थना करते हुए तालाब की तीन परिक्रमा करें।
  • इसके बाद आटे की सात लोईयाँ बनाकर उसमें गाय का देसी घी और गुड़ रखें, तथा वह सब किसी गाय को खिलायें।
  • इस दिन विशेष तौर पर गेहूं, चना, जौ, चावल, आदि के सत्तू में घी और मेवा आदि से ही अलग-अलग व्यंजन बनाने चाहिए।
  • इसके बाद महिलाओं को निर्जला रहकर रात्रि में चंद्रमा के दर्शन करके उसको अक्षत, रोली, दूध, जल और नैवेद्य अर्पित करके अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत खोलना चाहिए।
  • वहीं कई जगह पति द्वारा जल पी कर भी व्रत खुलने की परंपरा है।

कजरी तीज मनाने का सही तरीका

देश के अलग-अलग राज्यों में कजरी तीज को विभिन्न प्रकारों से मनाया जाता है। जहाँ कई जगहों पर इस दिन नीम की टहनी की पूजा करने का विधान है तो वहीं कई जगहों पर इस दिन विशेष रूप से भगवान महादेव के साथ माता पार्वती की पूजा करनी की परंपरा है। इस दिन विशेष रूप से महिलाएँ श्रृंगार कर अपने हाथों पर सुंदर-सुन्दर मेंहदी लगाती है क्योंकि ऐसा करना इस दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन संध्या काल में मंदिर जाना और फिर चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलने की परंपरा भी की जाती है। इस दिन महिलाओं द्वारा सुहाग से संबंधित लाल और हरे वस्त्र पहनना शुभ होता है, इसके अलावा इस दिन विशेष तौर से काले तथा नीले कपड़े पहनने से बचना चाहिए। कई जगहों पर कजरी तीज के दिन माता पार्वती की प्रतिमा का जुलूस निकालकर घुमाया जाता है, जिस दौरान महिलाएं नृत्य करते हुए लोक गीत जाती हैं।

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