क्या आप जानते हैं कांवड़ यात्रा में शामिल होने के इन नियमों के बारे में?

सावन के महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। बीते 17 जुलाई से सावन माह के शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा भी आरंभ हो चुकी है। आज सावन के पहले सोमवार के दिन शिव जी को काँवड़िये सावन का पहला जलाभिषेक करेंगे। आज हम आपको कांवड़ यात्रा से जुड़े प्रमुख नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका पालन हर कांवड़िये को जरूर करना चाहिए। आईये जानते हैं कांवड़ यात्रा से जुड़े इन विभिन्न नियमों के बारे में।

कांवड़ यात्रा के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान

कांवड़ यात्रा के दौरान सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद, स्वच्छ गंगाजल को किसी पात्र में भर लें। जलाभिषेक के लिए आप जल को तांबे, चांदी या पीतल के बर्तन में भर सकते हैं। प्लास्टिक, एल्युमीनियम और स्टील के बर्तनों में जल भरकर ले जाना वर्जित माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो गंगाजल आप शिव जी के जलाभिषेक के लिए भर रहे हैं उसे शिव जी पर अर्पित करने से पहले किसी भी स्थिति में जमीन पर नहीं रखना चाहिए। कांवड़ यात्रा का आरंभ हमेशा सूर्योदय के साथ करनी चाहिए और इसे सूर्यास्त के बाद स्थगित कर देनी चाहिए। इस यात्रा के दौरान विशेष रूप से विभिन्न शिव मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए।

कांवड़ यात्रा के दौरान निम्लिखित मंत्रों का जाप जरूर करें

चूँकि कांवड़ यात्रा का संबंध शिव जी से है इसलिए इस पवित्र यात्रा के दौरान विभिन्न शिव मंत्रों का जाप करना ख़ासा अहमियत रखता है। लिहाजा कांवड़ यात्रा के दौरान आप निम्न शिव मंत्रों का जाप कर अपनी यात्रा को और भी ज्यादा लाभप्रद बना सकते हैं।

  • नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
  • जय-जय शंकर हर-हर शंकर
  • हरी ॐ निरंजन राम हरी ॐ भोले
  • जय शिव जय शिव ओंकारा
  • जय महाकाल जय शिव शंकर

कांवड़ यात्रा के दौरान इन कामों को करने से जरूर बचें

  • कांवड़ यात्रा के दौरान जहाँ तक हो सके किसी भी विवाद में पड़ने से बचें।
  • मन में यात्रा के दौरान किसी के लिए भी बुरी भावना ना आने दें।
  • किसी अन्य के द्वारा दिए गए भोजन और जल का ग्रहण करें से बचें।
  • यात्रा के दौरान बेतुकी बातों में अपना समय बर्बाद ना करें शिव भक्ति में समय व्यतीत करें।
  • कांवड़ यात्रा के दौरान नाख़ून और बाल काटना वर्जित माना जाता है।
  • इस दौरान नशीली वस्तुओं का सेवन ना करें।
  • स्त्री पुरुष दोनों ही कांवड़ यात्रा के दौरान बर्ह्मचर्य का पालन जरूर करें।

शिव भक्त अपने मनोकामना की पूर्ती के लिए हर साल कांवड़ यात्रा पर जाते हैं। विशेष रूप से लोग आर्थिक लाभ, संतान प्राप्ति या अन्य किसी ख़ास मनोकामना की पूर्ती के लिए कांवड़ यात्रा का संकल्प लेते हैं। कांवड़ यात्रा हर साल सावन महीने में ही संपन्न किया जाता है। इस दौरान विभिन्न शिव धामों के लिए कांवड़िये कांवड़ में जल भरकर भोले बाबा को चढ़ाने के लिए निकल पड़ते हैं।

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