शिवाजी महाराज की कुंडली में ही छुपा है उनकी सफलता का राज़

भारत की धरती पर यूँ तो कई वीर सपूतों ने जन्म लिया है, लेकिन इन सब में जो दर्जा छत्रपति शिवाजी महाराज को दिया गया है वो शायद ही किसी और को कभी मिले। वीर सपूत शिवाजी महाराज को कुछ लोग हिन्दू हृदय सम्राट के रूप में जानते हैं, तो कुछ लोग उन्हें मराठाओं का गौरव मानते हैं। 19 फरवरी 1630 को जन्मे शिवाजी महाराज ना ही सिर्फ एक महान शासक थे बल्कि उनकी छवि एक दयालु योद्धा की भी थी। अब उन्हें दयालु योद्धा क्यों कहते थे या लोग आज भी क्यों उनके गुणगान करते नहीं थकते हैं, ये जानने के लिए पढ़िए शिवाजी महाराज से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

शिवाजी की कुंडली विश्लेषण 

इंसान की जन्म कुंडली उसके बारे में कई ऐसे राज़ खोलने का दम रखती है जिससे कई बार हम आप अनजान रहते हैं। ऐसे में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के मौके पर हम उनकी कुंडली का ऐसा विश्लेषण लाएं हैं, जिसे जानकर आपको भी यकीन हो जायेगा कि शिवाजी की कुण्डली में ही उनकी बुलंदियों का राज छुपा था।download

नाम: छत्रपति शिवाजी
जन्म तिथि: Feb 19, 1630
जन्म समय: 18:26:0
जन्म स्थान: 73 E 53, 18 N 32

  • छत्रपति शिवाजी महाराज का सिंह लग्न होने की वजह से ये बात तो साफ़ है कि वो एक कुशल, सच्चे और निष्ठावान शासक थे। 
  • शिवाजी की कुंडली में सूर्य के सातवें घर में विराजमान होने की स्थिति भी इस तरफ साफ़ इशारा करती है कि, वो एक बेहतरीन शासक होने के साथ-साथ करिश्माई लीडर और साथ-साथ भव्य व्यक्तित्व के धनि भी थे। 
  • शिवाजी की कुंडली में चन्द्रमा दसवें घर में उच्च की राशि में मौजूद हैं और ये इस बात की तरफ  इशारा करती है कि शिवाजी ने अपनी माँ से बहुत सारी खूबियाँ पायी थीं, साथ ही ये बात इस तरफ भी इशारा करती है कि शिवाजी काफी बलशाली भी थे और उनकी अंतर्दष्टि भी काफी सुदृढ़ थी, जिससे एक दूरदर्शी शासक के रुप में भी उन्हें काफी प्रशंसा मिली। 
  • शिवाजी की कुंडली के छठे घर के स्वामी शनि की अपनी उच्च राशि में मौजूदगी बताती है कि, शिवाजी एक ऐसे इंसान थे जो खुद को किसी काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित करते थे तो उसे पूर्ण करके ही मानते थे। इसके अलावा वो एक निडर, साहसी और लोगों के नेता के रूप में भी अपनी सशक्त छवि बनाने में कामयाब रहे थे।  
  • 5 ग्रह वायु तत्व राशियों में हैं (मिथुन में मंगल, तुला में शनि, कुंभ राशि में बुध-बृहस्पति-और-सूर्य) यह स्थिति इस बात की तरफ इशारा करती है कि वो हमेशा कुछ नया करने वाले शासक भी थे। 
  • इसके अलावा शिवाजी की कुंडली में आठवें घर में उच्च के शुक्र की मौजूदगी इस बात की तरफ इशारा करती है कि, उनकी ग्रहण करने की क्षमता काफी अच्छी थी, और साथ ही उनकी बोलने की शैली भी ऐसी थी कि वो बेहद आसानी से लोगों को अपना अनुयायी बना लेते थे। 
  •  कुण्डली में मंगल और शनि दोनों की मौजूदगी इंसान को बेहद शक्तिशाली और बाहुबली बनाती है और ये बात शिवाजी के जीवन से सिद्ध होती है। 

इसके अलावा आइये जानते हैं शिवाजी से जुड़ी कुछ अन्य दिलचस्प बातें : 

धर्म निरपेक्ष शासक : छत्रपति शिवाजी महाराज शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे। शिवाजी का जन्म पुणे के पास शिवनेरी नामक स्थान पर हुआ था। शिवाजी की सबसे बड़ी पहचान थी कि वो एक धर्म निरपेक्ष शासक हुआ करते थे, और वो सभी धर्मों का एक समान रूप से ही आदर किया करते थे। उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन बिलकुल भी नहीं पसंद था। यहाँ तक की उनकी सेना के प्रमुख पदों पर मुस्लिम सैनिक ही तैनात थे। 

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एक कुशल  सैन्य रणनीतिकार : शिवाजी के बारे में कहा जाता है कि बाकी सारी अच्छाइयों के साथ-साथ इनकी सबसे बड़ी ख़ासियत ये भी थी कि वो एक कुशल सैन्य रणनीतिकार करते थे। अपनी इसी खासियत के दम पर उन्होंने अपने सैनिकों की संख्या 2 हज़ार से बढ़कर 10 हज़ार कर ली थी। 

वीर योद्धा भी थे महाराज शिवाजी : शिवाजी की वीरता के किस्से हमनें अपने स्कूल के दिनों से सुने हैं। बता दें कि शिवाजी महाराज की सेना पहली ऐसी सेना थी जिसमें गुरिल्ला युद्ध का जमकर इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा बात अगर जमीनी युद्ध की करें तो इसमें तो शिवाजी का कोई मुकाबला ही नहीं था। शिवाजी, एक मज़बूत पेशेवर सेना तैयार करने वाले पहले शासक थे। 

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सभी धर्मों का करते थे सम्मान :शिवाजी महाराज की जो बात उन्हें सबसे अलग बनाती थी वो यह कि वो अपने धर्म के साथ-साथ बाकी सभी धर्मों का भी उतना ही सम्मान किया करते थे। उनका उद्देश्य संस्कृत और हिंदू राजनीतिक परंपराओं का विस्तार करना था।  

मुगलों के दुश्मन : 1657 तक शिवाजी महाराज ने मुगलों के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ता बनाये रखने की भरपूर कोशिश की थी। यहाँ तक की उन्होंने इसलिए औरंगज़ेब की बेझिझक मदद भी की थी, लेकिन दोनों के बीच मार्च 1657 के बीच विवाद होना शुरू हो गया जिसके चलते दोनों के बीच ऐसी कई लड़ाईयां हुईं जिनका कोई हल नहीं निकला। 

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इसके अलावा भी शिवाजी के जीवन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो बताते हैं कि शिवाजी कैसे बचपन से ही शेरदिल और जाबांज हुआ करते थे। ऐसा ही एक किस्सा है जिसके अनुसार बताया गया है कि, कैसे शिवाजी अपनी उम्र के बच्चों के साथ उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेलते थे, और जब वह बड़े हुए तो उनका ये खेल सच में कुछ ऐसे तब्दील हुआ जिसका लोहा आज भी दुनिया मानती है। बहादुरी के साथ-साथ शिवाजी को उनके उदार दिल के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कभी भी दुश्मन सेना के सैनिकों के साथ भी कोई बुरा व्यवहार नहीं किया, कभी भी पकड़ी गयी किसी महिला को गुलाम की तरह नहीं रखा बल्कि उन्हें पूरी इज़्ज़त के साथ उनके घर भेजा।

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