विश्वकर्मा जी द्वारा निर्मित इस मंदिर के दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना !

31 अक्टूबर से छठ का महापर्व शुरू होने जा रहा है। छठ पूजा में लोग सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास रखते हैं, और पूजा-पाठ करते हैं। वैसे तो आपने कई सूर्य मंदिरों के बारे में सुना और देखा होगा, लेकिन आज इस लेख में हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएँगे, जिसका निर्माण स्वयं विश्वकर्मा जी द्वारा हुआ था और इस मंदिर के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है ,साथ ही कुष्ठ जैसे रोग भी ठीक हो जाते हैं। ऐसे में अगर आप भी सूर्य की विशेष कृपा पाना चाहते हैं, तो ज़रूर इस मंदिर के दर्शन करें। तो चलिए आपको बताते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ विशेष बातें- 

बिहार में स्थित है यह मंदिर 

यह प्राचीन सूर्य मंदिर बिहार के औरंगाबाद जिले से 18 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि इसका निर्माण त्रेता युग में स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था। यह देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है, जिसके दरवाज़े का मुख पश्चिम की ओर है। वैसे तो इस मंदिर के निर्माण के बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता है, लेकिन यह कहा जाता है कि इसका निर्माण डेढ़ लाख साल पहले किया गया था। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति छठ पूजा के दौरान इस मंदिर के दर्शन और यहां सूर्य पूजा करे, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।  

लाखों साल पुराना है ये सूर्य मंदिर 

यह ऐतिहासिक सूर्य मंदिर अपनी कलात्मक भव्यता के साथ-साथ अपने इतिहास के लिए भी मशहूर है। मंदिर के बाहर इसके निर्माण काल के संबंध में एक शिलालेख लगा है, जिसपर लिखे एक श्लोक के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण 12 लाख 16 हजार वर्ष त्रेता युग के बीत जाने के बाद इला-पुत्र पुरुरवा ऐल ने आरंभ करवाया था। शिलालेख से यह भी पता चलता है कि साल 2017 में इस पौराणिक मंदिर के निर्माण काल को एक लाख पचास हजार सत्रह वर्ष पूरे हो गए हैं।

ऐसी है बनावट इस मंदिर की 

करीब एक सौ फुट ऊंचा और डेढ़ लाख वर्ष पुराना यह सूर्य मंदिर वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। इस मंदिर में काले और भूरे पत्थरों की नायाब शिल्पकारी देखने ही बनती है। यह सूर्य मंदिर देखने में ओड़िशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से मिलता-जुलता है। पूरे देश में यही एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है, जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है। 

यह सूर्य मंदिर बिना सीमेंट या चूना आदि का प्रयोग किए बनाया गया है। इस मंदिर को आयताकार, वर्गाकार, गोलाकार, त्रिभुजाकार आदि कई रूपों और आकारों में काटे गए पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है, जो कि इसका आकर्षण और भी बढ़ा देते हैं। 

छठ पूजा के समय रहती है खास भीड़ 

यह प्राचीन सूर्य मंदिर देश की धरोहर और अनूठी विरासत है। साल भर देश के कोने-कोने से लोग इस मंदिर में आते हैं, और मन्नत मांगते हैं। मनौती पूरी होने पर लोग यहां सूर्यदेव को अर्ध्य देने आते हैं। लेकिन इस मंदिर में खास भीड़ छठ पूजा के समय होती है। हर साल यहाँ छठ पर्व पर झारखंड, मध्य प्रदेश, उतरप्रदेश समेत कई राज्यों से लाखों श्रद्धालु छठ करने आते हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। 

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