मुझे भाग्य में बहुत भरोसा है: शारिब हाशमी

हिन्दी सिनेमा की दुनिया में बीते करीब आठ साल से सक्रिय अभिनेता शारिब हाशमी वेबसीरिज ‘द फैमिली मैन’ से अब घर-घर पहचाना नाम बन गए हैं। इससे पहले वो फिल्मिस्तान, नक्काश, जब तक है जान जैसी कई फिल्मों में काम कर चुके हैं और जल्द ही फिल्म ‘दरबान’ में अहम भूमिका में दिखायी देंगे। शारिफ हाशमी उन अभिनेताओं में हैं, जिन्होंने बहुत देर से इंडस्ट्री में एंट्री ली, लेकिन अपने अभिनय के बूते अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए। शारिब हाशमी के फिल्मों में आने और टिकने की कहानी भी कम फिल्मी नहीं है, और निजी जिंदगी की उनकी कहानी किस्मत में उनका भरोसा पुख्ता करती है।

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शारिब कहते हैं,

मेरा भाग्य में बहुत विश्वास है। मैं मानता हूं कि किस्मत ने ही मुझे मौके दिए वरना प्रतिभाशाली लोगों की यहां कमी नहीं है। फिर, मैं जिस तरह इंडस्ट्री में आया, उसने भी मेरा भाग्य पर भरोसा बढ़ाया। मेरे पिता फिल्म पत्रकार थे। कई कलाकार मेरे घर आया करते थे। मैं पार्टियों में जाया करता था यानी एक नाता फिल्मी दुनिया से बचपन से था।

मैं शुरुआत से अभिनेता बनना चाहता था, लेकिन मेरा लुक और शारीरिक बनावट उन पारंपरिक अभिनेताओं की तरह नहीं है, जिन्हें लोग हीरो कहते हैं।इस वजह से मैं हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। फिर 27 साल की उम्र में शादी कर ली। घर-परिवार की जिम्मेदारी उठा ली और सपने से दूर होता चला गया। लेकिन, करीब 32-33 साल की उम्र में लगा कि अगर अपने सपने के लिए एक कोशिश भी नहीं की तो जिंदगी भर खुद को माफ नहीं कर पाऊंगा। मेरी शरीक-ए-हयात ने मेरे फैसले में साथ दिया और मैंने जमी जमायी नौकरी छोड़कर एक्टिंग में हाथ आजमाने का फैसला कर लिया।

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लेकिन कर्म के जरिए बॉलीवुड में पहचान बनाने उतरे शारिब भाग्य पर विश्वास करते हैं तो इसकी बड़ी वजह है। वो कहते हैं, “मैंने तीन साल तक संघर्ष किया। बहुत धक्के खाए। लेकिन बात नहीं जमी। हताश होकर मैंने फिर नौकरी कर ली क्योंकि घर चलाने के लिए पैसे की जरुरत थी। हां, मुझे एक संतोष था कि मैंने कोशिश की। लेकिन नौकरी करते हुए तीन-चार महीने ही हुए थे कि मुझे अचानक यशराज स्टूडियो से ‘जब तक है जान’ फिल्म के लिए बुलावा आया, जिसके लिए मैंने काफी दिन पहले ऑडिशन दिया था। यशजी के असिस्टेंट थे अक्षत कपिल, उन्होंने यशजी को याद दिलाया मेरे बारे में। मजे की बात ये कि जिस एक्टर को मेरी भूमिका के लिए पहले चुना गया था, वो बहुत हैंडसम था और निर्देशक को लगा कि शाहरुख जैसे हैंडसम के आगे दूसरे हैंडसम हीरो को रखना ठीक नहीं।

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यानी जिस लुक को मैं अपनी कमजोरी मानता था, वो लुक ही उस रोल को पाने में मददगार बना। इसी दौरान, फिल्मिस्तान फिल्म के लिए मेरी कास्टिंग हुई, लेकिन उसकी डेट जब तक है जान से टकरा गई नतीजतन मुझे फिल्म छोड़नी पड़ी। फिल्मिस्तान में मुख्य भूमिका के लिए किसी और को चुन लिया गया। लेकिन मेरी किस्मत थी कि उस बंदे के साथ फिल्म निर्देशक की जमी नहीं। आखिर में निर्देशक नितिन कक्कड़ ने कहा कि वो मेरे साथ ही फिल्म करेंगे। उन्होंने निर्माताओं को कनविंस किया कि वो थोड़े दिन इंतजार करें। यानी हाथ से जो दो फिल्में निकल गईं थी, वो फिर लौटकर मेरे हाथ में आ गईं और ये बिना किस्मत के नहीं हो सकता।”

शारिब किस्मत को मानते हैं, ग्रह-नक्षत्रों को मानते हैं, लेकिन क्या हताशा के दौर में कभी किसी ज्योतिषी की मदद ली ? या कभी उन्हें ख्याल आया कि उन्हें अपने नाम की स्पेलिंग बदलनी चाहिए? ये पूछने पर शारिब कहते हैं,

मैं निश्चित तौर पर ग्रह-नक्षत्रों को मानता हूं लेकिन कभी ज्योतिषी के पास नहीं गया। लेकिन, मुझे जो भी कामयाबी मिली, उसमें किस्मत की बड़ी भूमिका मानता हूं। मुझे याद कि मैंने हॉलीवुड के जाने माने एक्टर रॉबर्ट डीनिरो का एक इंटरव्यू पढ़ा था। इस इंटरव्यू में उनसे किसी ने पूछा था कि जब आप अपने करियर को देखते हैं तो आपको कैसा महसूस होता है। इसके जवाब में रॉबर्ट डीनिरो ने कहा था कि मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे ऐसे अवसर मिले। ऐसा काम मिला।

शारिब इस बात पर शिद्दत से यकीन करते हैं कि टेलेंट की कोई कमी नहीं है और सिर्फ वो ही लोग सफलता हासिल कर पाते हैं, जिनकी कोशिशों को भाग्य का साथ मिलता है। लेकिन, जब कोशिशों को भाग्य का साथ नहीं मिलता यानी जब कोई फिल्म फ्लॉप हो जाती है या काम को नहीं सराहा जाता तब उस हताशा को शारिब कैसे सामना करते हैं? शारिब कहते हैं, “हताशा के वक्त परिवार और करीबी मित्र ही आपको ताकत देते हैं। आपको निराशा से बाहर निकालते हैं। निजी तौर पर मेरे निराशा के पलों में मेरी पत्नी नसरीन का बहुत सपोर्ट रहता है। सच कहूं तो मेरी पूरी करियर यात्रा में मेरी पत्नी का बहुत सपोर्ट रहा, जिसके बिना यह यात्रा संभव ही नहीं थी।“

शारिब हाशमी के पास आज अच्छी फिल्में हैं। वो कुछ चुनिंदा वेबसीरिज में दिखायी देने वाले हैं। उनके लिए सफलता का मतलब क्या है? शारिब कहते हैं, रात में अच्छी नींद आए। घर चलाने के लिए जरुरत का पैसा मिल जाए और मनमर्जी का काम करने की छूट मिले तो यही सफलता है। और मेरी सफलता की अपनी परिभाषा के मुताबिक आज मैं खुद को सफल मानता हूं।

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