यहाँ जानें देवी सती के उन शक्तिपीठों के बारे में जिनके रहस्यों से आज भी अनजान हैं लोग!

हिन्दू धर्म में माता सती के 51 शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है। ऐसी मान्यता है कि, माता सती के जो अंग जहाँ कटकर गिरे थे उन स्थानों पर शक्तिपीठ का निर्माण करवाया गया। इस प्रकार से कुल 51 शक्तिपीठ हैं जहाँ माता की पूजा अर्चना के लिए लोग जाते हैं। आज हम आपको उन 51 शक्तिपीठों में से कुछ ऐसे शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके चमत्कारों के बारे में शायद आपको मालूम ना हों। आइए जानते हैं, माता सती के उन चमत्कारी शक्तिपीठों के बारे में जिनके रहस्यों से आज भी अनजान हैं लोग।

 ये हैं माता सती के वो प्रसिद्ध शक्तिपीठ जो अपने रहस्यों के लिए हैं मशहूर 

लंका शक्तिपीठ

बता दें कि, माता सती के प्रमुख 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ श्रीलंका में भी स्थित है जिसका नाम लंका शक्तिपीठ है। इस शक्तिपीठ को विशेष रूप से ख़ासा पवित्र और चमत्कारी माना जाता है। इस शक्तिपीठ में माता सती को इंद्राक्षी और शिव जी को राक्षेश्वर के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, इस जगह पर देवी सती का कोई आभूषण गिरा था। 

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कालमाधव शक्तिपीठ 

माता सती के 51 शक्तिपीठों में से कालमाधव शक्तिपीठ को भी बेहद ख़ास माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यहाँ देवी माँ का एक ख़ास अंग गिरा था और उसके बाद ही इस शक्तिपीठ का निर्माण करवाया गया था। हालाँकि ये शक्तिपीठ किस जगह पर स्थित है इसकी जानकारी आज भी किसी के पास नहीं है लेकिन शक्तिपीठों की गिनती में इस जगह का नाम भी उल्लेखनीय है। यहाँ देवी सती को कलमाधव और शिव जी को असितानन्द के रूप में पूजा जाता है। 

रत्नावली शक्तिपीठ 

माता सती के विभिन्न शक्तिपीठों में से एक रत्नावली शक्तिपीठ को भी ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार इस जगह पर माँ का कंधा गिरा था। यहाँ माता की पूजा रत्नावली माँ के रूप में की जाती है। हालांकि ये स्थान कहाँ है इस बारे में आज तक किसी को मालूम नहीं चल पाया है। 

पंचसागर शक्तिपीठ 

हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार पंचसागर शक्तिपीठ में माता सती का जबरा गिरा था। यहाँ माता के वरही अवतार को पूजा जाता है। हालाँकि इस शक्तिपीठ का जिक्र भी केवल शास्त्रों में है वास्तव में ये जगह कहाँ है इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पायी है। 

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बता दें कि, इन शक्तिपीठों की जानकारी भले ही आज तक किसी के पास ना हो लेकिन शास्त्रों में इनका वर्णन मिलता है। माता सती ने जब शिव जी के अपमान के बाद अपने प्राण त्यागे थे तो शिव जी ने क्रोध में आकर तांडव किया था और इस संसार को समाप्त करने की ठान ली थी। इस दुनिया को शिव जी के क्रोध से बचाने के लिए विष्णु जी ने धोखे से शिव जी से माता सती का मृत शरीर लेकर कई टुकड़ों में बाँट दिया। उनके शरीर के कुल 51 टुकड़े जिन-जिन जगहों पर गिरे वहां शक्तिपीठ का निर्माण किया गया।

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