साल 2020 : मोदी,राहुल, और केजरीवाल का राजनीतिक भविष्य

2020 में भारत का राजनीतिक भविष्य

ना जाने क्या-क्या सोचते, समझते और रोज़मर्रा के कामों से जूझते हुए 2019 बीत ही गया,  लेकिन जैसे उगते हुए सूर्य की पहली किरण जीवन में उन्नति और प्रकाश लेकर आती है, ठीक उसी प्रकार आने वाला हर साल हमारे जीवन में नई उम्मीदें लेकर आता है और हमारे भीतर उत्साह का संचार करता है। हम सभी 2020 की प्रतीक्षा कर रहे थे और अब जब यह साल आ गया है तो हम आशा कर रहे हैं कि यह साल सच में हैप्पी न्यू ईयर कहलाए। अर्थात हम सभी  वास्तविक रूप से तरक्की कर पाएँ और हमारा देश आर्थिक, सामाजिक, सामरिक और हर मोर्चे पर दुनिया से आगे निकलकर विश्व गुरु बन जाए ताकि हम गर्व से कह सकें कि हम भारतीय हैं।

अब जब हम 2020 की दहलीज पर कदम रख चुके हैं तो कई प्रश्न हमारे मन में उठ रहे हैं कि आने वाला साल हमारे लिए कैसा रहेगा। वैदिक ज्योतिष इस संदर्भ में हमारी मदद करता है, क्योंकि ग्रहों राशियों और अन्य आधार भूत सिद्धांतों के आधार पर ज्योतिष यह बता सकता है कि आने वाले वर्ष में हमारे देश के लिए किस प्रकार की संभावनाएं बन रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने कुछ कुंडलियों की सहायता से यह जानने का प्रयास किया है कि हमारे देश की राजनीतिक स्थिति वर्ष 2020 में कैसी रहने वाली है। क्या मोदी सरकार चुनौतियों का सामना कर पाने में सफल रहेगी? क्या विधानसभा चुनावों में कोई उलटफेर तो नहीं होगा? ऐसे अनेक सवाल हैं जो हमारे मन में हैं और इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए आइए डालते हैं वर्ष 2020 में भारत के भविष्य पर एक नजर:

वर्ष 2020 और ग्रहों का गोचर

सबसे पहले जान लेते हैं कि वर्ष 2020 में बड़े गोचर कौन-कौन से हैं। 26 दिसंबर 2019 को सूर्य ग्रहण पड़ेगा जो भारत में दृश्यमान होगा और यह भी धनु राशि में होगा जिसमें गुरु शनि और केतु की युति बनी हुई है। इनमें देव गुरु बृहस्पति 5 नवंबर 2019 से धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं, जो 30 मार्च को मकर राशि में प्रवेश करेंगे। वहां वक्री होने के बाद 30 जून को पुनः धनु राशि में वापस आएँगे और फिर 20 नवंबर को मकर राशि में चले जाएंगे। वर्ष की शुरुआत में 24 जनवरी 2020 को शनि का गोचर अपनी राशि मकर में होगा और सितंबर के महीने में राहु और केतु भी अपनी-अपनी राशियां बदलकर क्रमशः वृषभ और वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे।

भारत की कुंडली और 2020 की स्थिति

भारत जिसे हम स्वतंत्र भारत की कुंडली के रूप में भी जानते हैं, उसकी लग्न राशि वृषभ है तथा चंद्र राशि कर्क है। वैसे भारत की प्रभाव राशि मकर भी मानी जाती है। स्वतंत्र भारत की कुंडली में देव गुरु बृहस्पति अष्टम और एकादश भाव के स्वामी होकर छठे भाव में विराजित हुए हैं और शनि देव नवम और दशम भाव के स्वामी होकर प्रबल योग कारक होने के बाद तीसरे भाव में उपस्थित हैं।

india 2020

स्वतंत्र भारत 

(15-8-1947, 0:0:1, नई दिल्ली)

  • देव गुरु बृहस्पति का गोचर भारत की चंद्र राशि से छठे भाव में हो रहा है, जोकि लग्न से अष्टम भाव की राशि है। बृहस्पति का यह गोचर अनुकूल नहीं कहा जा सकता क्योंकि स्वतंत्र भारत की कुंडली में भी बृहस्पति अनुकूल स्थिति में नहीं है और वर्तमान समय में भारत चंद्रमा की महादशा और देव गुरु बृहस्पति की अंतर्दशा से गुज़र रहा है, जो कि 11 दिसंबर 2019 तक जारी रहेगी।
  • ग़ौरतलब है कि इसी धनु राशि में पहले से ही शनि और केतु विराजमान हैं तथा सूर्य ग्रहण भी दिसंबर में इसी राशि में पड़ने वाला है। मेदिनी ज्योतिष के अनुसार अष्टम भाव मुख्य रूप से  देश की मृत्यु दर, सामाजिक सुरक्षा, गुप्त नीतियाँ, षड्यंत्र, राष्ट्रीय ऋण, प्राकृतिक आपदाएं तथा मुख्य रूप से कठिनाइयों के बारे में पता चलता है। बृहस्पति एक वृद्धि कारक ग्रह है, जो देश के संबंध में न्यायालयों और धर्म तथा धर्म गुरुओं के बारे में भी बताता है।
  • शनि की बात की जाए तो शनि लोकतंत्र का कारक है और बृहस्पति लोकतंत्र के प्रभाव का द्योतक है। अष्टम भाव में इन दोनों ग्रहों की युति केतु के साथ होना देश में धार्मिक असहिष्णुता, उन्माद, प्राकृतिक आपदाओं और देश के लिए कठिन समय के बारे में बताता है।
  • शनि और बृहस्पति के योग से ऐसी घटनाएँ संभव हैं और केतु का भी इसमें मुख्य योगदान होगा। संभव है देश में कुछ अराजक तत्वों की वजह से शांति पूर्ण कार्यों में व्यवधान आएं।
  • इसी के प्रभाव से सरकार द्वारा टैक्स प्रणाली को और भी अधिक प्रभावशाली बनाना और टैक्स कलेक्शन भी बड़े स्तर पर किया जा सकता है।
  • इसके बाद शनि का गोचर स्वतंत्र भारत की राशि से सप्तम भाव और लगन से नवम भाव में होगा। यह शनि की अपनी राशि है। यहां आकर शनि काफी बड़े बदलाव लेकर आएगा, विशेष रूप से न्याय के क्षेत्र में जिसकी वजह से न्यायपालिका में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इसके अतिरिक्त भारत की आर्थिक स्थिति और प्रगति अवश्य होगी। भारत का बजट भी बेहतर रहेगा और उसका आकार बढ़ेगा। रक्षा बजट पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा और समाज के गरीब तबके के बारे में भी सरकार की कुछ योजनाएं फलीभूत होंगी। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्रों में सरकारी के साथ निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सकता है।

आइए अब इन सब को विस्तार से समझते हैं और प्रत्येक विषय में और आगे की बात करते हैं। आमतौर पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और गणतंत्र दिवस के समय की कुंडलियों को भी अध्ययन में सम्मिलित किया जाता है, लेकिन क्योंकि यहां प्रश्न वर्ष 2020 की शुरुआत का है, इसलिए हमने ग्रहों की स्थितियों और दशाओं को ध्यान में रखकर ही भविष्य का हाल जाने का प्रयास किया है।

2020 में भारत का राजनीतिक परिदृश्य

अगर देश के राजनीतिक परिदृश्य पर नजर दौड़ाई जाये तो नजर आता है कि आने वाले समय में चंद्रमा की महादशा में शनि का अंतर मध्य दिसंबर से शुरू हो जाएगा, जो जुलाई 2021 तक चलेगा। अर्थात इस पूरे वर्ष शनि की अंतर्दशा अपना प्रभाव दिखाएगी और शनि भारत की कुंडली में योगकारक ग्रह होकर तीसरे भाव में विराजमान है और बुध के नक्षत्र में हैं। निश्चित तौर पर शनि की यह स्थिति भारत की राजनीतिक परिदृश्य के लिए अनुकूलता लेकर आएगी, लेकिन सरकार विभिन्न प्रकार के विरोधियों का सामना करते हुए अपनी गतिविधियों को जारी रखेगी और विपक्ष को पूरी तरह से जवाब देगी। हालांकि लोकतांत्रिक परिस्थितियों को बिगाड़ने का भी पूरा प्रयास किया जाएगा और धर्म और धन का प्रयोग करके भारत के राजनीतिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास उन लोगों द्वारा अवश्य किया जाएगा, जो चंद वोटों की ख़ातिर किसी भी हद तक जा सकते हैं।

राजनीतिक तौर पर सरकार को कई ओर से विरोध का सामना करना पड़ेगा और कुछ विरोध के स्वर अंतर्कलह के रूप में भी सामने आ सकते हैं, विशेषकर सरकार के कुछ क़रीबी दल सरकार से किनारा कर सकते हैं। हालांकि आने वाले समय में उन्हें इसका कितना लाभ होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन सत्ताधारी पार्टी को स्वयं को सिद्ध करने का प्रयास करना ही होगा। शनि देव न्याय के देवता हैं और नवम भाव धर्म और न्याय का भाव भी होता है। बड़े गोचरों का प्रभाव पहले से ही आने लगता है।

शनिदेव का गोचर मकर राशि में 24 जनवरी से होगा। लेकिन इसका प्रभाव पहले से ही दृष्टिगोचर होने लगा है। धनु के गुरु में राम मंदिर को लेकर स्थिति स्पष्ट हो चुकी है क्योंकि धनु राशि काल पुरुष की कुंडली के नवम अर्थात धर्म भाव की राशि है और इसी में देव गुरु बृहस्पति धार्मिक केतु के साथ विराजमान हैं, जिसको शनि का साथ प्राप्त है।

शनि के उपाय से बदलेगा भाग्य

शनि के मकर में होने से देश की न्यायपालिका में आमूलचूल बदलाव देखा जा सकता है। ऐसे में लोगों को न्याय मिलने में शीघ्रता होगी और शनिदेव की कृपा से सरकार की नीतियों की पहुंच आम आदमी तक सुलभ होगी, जिसका लाभ उन्हें मिलेगा और इससे सरकार की छवि भी सुधरेगी। यहीं पर बृहस्पति देव भी बीच-बीच में अपना प्रभाव दिखाते रहेंगे, जिसकी वजह से कुछ प्रदर्शन और विद्रोह भी अवश्य सर उठाएंगे, जिसका सरकार को जवाब देना पड़ेगा। धर्म संबंधित लोगों को इस दौरान कुछ लाभ होगा। निश्चित तौर पर सरकार को कई मामलों में कठोर कदम लेने की आवश्यकता पड़ेगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की कुंडली और 2020

देश के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की जन्म कुंडली वृश्चिक लग्न की है और वृश्चिक राशि का चंद्रमा है।

modi kundli

श्री नरेंद्र मोदी 

(17-9-1950, 11:00, मेहसाणा)

इस दौरान उनकी दशा भी चंद्रमा की महादशा के रूप में चल रही है और शुक्र की अंतर्दशा साथ में अपना प्रभाव दिखा रही है। वर्ष 2020 में शुक्र का अंतर उन पर प्रभाव डालने वाला होगा और स्वतंत्र भारत की कुंडली से उनकी राशि और लग्न सप्तम भाव में आता है, जिससे कि उनकी कुंडली देश की कुंडली को वर्तमान में मजबूती दे रही है।

दोनों ही कुंडलियों में चंद्रमा प्रबल रूप से प्रभाव दिखा रहा है। उनकी कुंडली के लिए चंद्रमा नवम भाव का स्वामी होकर लग्न में लग्नेश मंगल के साथ उपस्थित है और प्रबल राजयोग बना रहा है और शुक्र, बृहस्पति के प्रभाव में है। सप्तम भाव अंतरराष्ट्रीय व्यापार और मुद्दों को भी दर्शाता है तथा पब्लिक इमेज का भाव भी है और द्वादश भाव विदेशों से संबंध भी बताता है। इसलिए इस पूरी दशा में श्री मोदी विभिन्न देशों के दौरे पर रहे हैं और उन देशों से अपने देश में व्यापार के लिए माहौल बनाने में जुटे हुए हैं, जिसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है।

आने वाले समय में भी वह ऐसे ही कई निर्णय लेंगे, जिससे भारत का प्रभाव व्यापार के क्षेत्र में काफी बढ़ेगा और विदेशी देश भारत के साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे, जिससे भारत की छवि भी मजबूत होगी और भारत की धाक भी जमेगी। इनकी राशि से गुरु का गोचर दूसरे भाव में हो रहा है तथा वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती चल रही है जो 24 जनवरी को समाप्त हो जाएगी और शनि के तीसरे भाव में आ जाएंगे, जो इनके पराक्रम को बढ़ाएगा और यह और भी मजबूती के साथ अपने काम को अंजाम दे पाएंगे। नतीजतन इन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा और भारत की छवि को भी इससे काफी हद तक लाभ मिलेगा। इस प्रकार कहा जा सकता है कि वर्ष 2020 मोदी जी के लिए काफी अनुकूल रहेगा।

भले ही वे कुछ विरोधियों का सामना करें, लेकिन उसके बावजूद उनकी लोकप्रियता में वृद्धि ही होगी और उनकी लोकलुभावन योजनाएं लोगों के और निकट पहुंच कर उनको आगे बढ़ाएँगी।

बीजेपी की कुंडली और 2020

नरेंद्र मोदी जिस पार्टी से आते हैं, वह है भारतीय जनता पार्टी। इसकी जन्म कुंडली के अनुसार मिथुन लग्न और वृश्चिक राशि की पत्रिका बनती है।

BJP kundli

भारतीय जनता पार्टी 

(6-4-1980, 11:40:0, नई दिल्ली)

भारतीय जनता पार्टी की कुंडली में बृहस्पति का गोचर लग्न से सातवें भाव में और चंद्रमा से दूसरे भाव में हो रहा है, जिससे धार्मिक तौर पर भी पार्टी को जाना जाएगा और धनु के बृहस्पति में पार्टी द्वारा कुछ और निर्णय लिए जाएंगे, जो लीक से हट कर होंगे। इस दौरान कुछ विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की घोषणा कर सकते हैं और पार्टी के द्वारा कुछ ऐसी नीतियाँ बनाई जाएंगी, जो उसके प्रभाव को और भी अधिक हद तक बढ़ा देंगी तथा बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित हो सकती है।

यहां मजे की बात यह है कि बीजेपी की कुंडली में भी चंद्रमा की महादशा ही प्रभाव दिखा रही है और राहु का अंतर पूरे वर्ष के दौरान रहने वाला है। चंद्रमा दूसरे भाव का स्वामी होकर छठे भाव में विराजमान है और राहु, शनि, मंगल और बृहस्पति के साथ युति करता हुआ तीसरे भाव में बुध की दृष्टि में है तथा केतु के नक्षत्र में है। यह स्थिति थोड़ा उथल पुथल ज़रुर बढ़ाएगी और कुछ खास मित्र दलों को पार्टी से अलग भी करवा सकती है।

जानें ग्रहों के गोचर का आपके जीवन पर होने वाला प्रभाव

इसके बाद शनि का गोचर मकर राशि में होने से स्थितियों में और बदलाव आएगा और ऐसी संभावना है कि वर्तमान केंद्र सरकार और राज्यों की बीजेपी सरकार के मध्य कुछ बातों को लेकर तनाव की स्थिति या विरोध की स्थिति उत्पन्न हो जाए। ऐसे में केंद्र सरकार बीजेपी की नीतियों के विरुद्ध जाकर कार्य कर सकती है, जिसकी वजह से कुछ विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है।

श्री राहुल गांधी की जन्म कुंडली और 2020

कांग्रेस के कर्ता-धर्ता श्री राहुल गांधी की कुंडली तुला लग्न की है और इनकी राशि धनु है।

rahul gandhi kundli

श्री राहुल गाँधी 

(19-6-1970, 14:28:0, नई दिल्ली)

इनकी कुंडली में ध्यान देने योग्य बात यह है कि बृहस्पति का गोचर चंद्र राशि के ऊपर ही है, जहां शनि भी बैठे हैं और केतु भी। इसी दिसंबर महीने में सूर्य ग्रहण भी इसी राशि पर लगेगा, जो कि इनके लिए परेशानियां लेकर आ सकता है। इनको स्वास्थ्य के मामले में कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

इस पूरे वर्ष राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा के प्रभाव में रहेंगे। राहु इनकी कुंडली में पंचम भाव में शनि की राशि कुंभ में स्थित है तथा अपने ही नक्षत्र शतभिषा में है। राहु की यह स्थिति इन्हें अपने क्षेत्र में आगे ज़रुर बढ़ाएगी, लेकिन राहु अधिष्ठित राशि का स्वामी शनि सप्तम भाव में नीच राशि में विराजमान है, जिसकी वजह से पब्लिक इमेज का नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन दूसरी ओर देव गुरु बृहस्पति की दृष्टि इन के लिए अच्छा काम करेगी और कई बार इनकी बातें सुर्खियाँ बटोरेंगी।

वर्तमान में राहु का गोचर इनके जन्म कालीन सूर्य और मंगल पर हो रहा है, जिसकी वजह से बात का बतंगड़ भी बनेगा और इसके लिए इन्हें परेशान भी होना पड़ सकता है। शनि का गोचर इनकी चंद्र राशि से दूसरे भाव में होगा, जिससे साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुरू होगा और इनके लग्न से चतुर्थ भाव में शनि का गोचर होगा, जो कि अधिक अनुकूल नहीं कहा जा सकता। ऐसी स्थिति में इन्हें भारी दबाव का सामना करना पड़ सकता है और अपनी ही पार्टी के कुछ लोगों की नाराज़गी भी झेलनी पड़ सकती है।

कांग्रेस की कुंडली और 2020

यदि कांग्रेस की कुंडली पर नजर डाली जाए तो पार्टी की कुंडली मीन लग्न की है और कन्या राशि है।

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कांग्रेस 

(2-1-1978, 11:59:0, नई दिल्ली)

पार्टी की कुंडली देखने से पता चलता है कि देव गुरु बृहस्पति लग्न से दशम और चंद्र राशि से चतुर्थ भाव में प्रवेश कर चुके हैं तथा शनि का गोचर लग्न से ग्यारहवें और चंद्रमा से पंचम भाव में होगा। यह दोनों ही स्थितियां कुछ हद तक चुनौतियों के साथ कांग्रेस को लाभ अवश्य दिलाएंगी और कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस को लाभ मिल सकता है, लेकिन यह लाभ इतना भी नहीं होगा कि कांग्रेस अपनी बची हुई साख को पूरी तरह उभार पाए, इसलिए पार्टी को काफी हद तक मेहनत करनी होगी और जमीन से जुड़कर लोगों की जड़ तक पहुँचना होगा।

वर्तमान समय से लेकर अगले वर्ष गुरु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा चलेगी, जो कि अनुकूल समय कहा जा सकता है क्योंकि गुरु इनके लग्न और दशम भाव का स्वामी होकर चौथे भाव में विराजमान है तथा सूर्य छठे भाव का स्वामी होकर दशम भाव में विराजमान है। हालांकि पार्टी को आपसी खींचतान का भी सामना करना पड़ेगा, जिसकी वजह से कई जगहों पर पार्टी को नेतृत्व बदलना पड़ सकता है।

विधानसभा चुनाव 2020: दिल्ली और बिहार 

इस साल देश के दो बड़े राज्यों दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनावों का बिगुल बज सकता है। जहां दिल्ली में जनवरी और फरवरी के मध्य चुनाव हो सकते हैं, वहीं बिहार में अक्टूबर और नवंबर में यह स्थिति बनेगी। अगर ग्रहों की स्थिति पर नजर डाली जाए तो यह कहा जा सकता है कि बृहस्पति का धनु राशि में स्थित होना सत्ताधारी पार्टी के विरुद्ध जा सकता है, लेकिन यदि चुनाव उस दौरान होते हैं जब बृहस्पति और शनि दोनों ही मकर राशि में हों तो उस दौरान सत्ताधारी पार्टी को काफी हद तक लाभ मिल सकता है।

दिल्ली चुनावों की बात करें तो जनवरी-फरवरी के मध्य देव गुरु बृहस्पति धनु राशि में ही रहेंगे, जिसकी वजह से इस पार्टी को थोड़ा सा कष्ट उठाना पड़ सकता है, लेकिन यदि बिहार चुनाव देखे जाए तो उस दौरान सरकार जोड़-तोड़ करके अपनी सत्ता बचाने में कामयाब हो सकती है।

यदि दिल्ली के चुनाव में आम आदमी पार्टी की बात की जाए तो सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल की जन्म कुंडली वृषभ लग्न और मेष राशि की है।

Arvind Kejariwal kundli

श्री अरविन्द केजरीवाल 

(16-8-1968, 23:46, हिसार)

दिल्ली में जनवरी अथवा फरवरी के महीने में चुनाव हो सकते हैं। इस दौरान इनकी कुंडली में गुरु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही होगी। गुरु इनकी कुंडली में आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी होकर चतुर्थ भाव में शुक्र और बुध के साथ विराजमान हैं और शुक्र इनकी कुंडली में लग्न और छठे भाव का स्वामी है।

इस दौरान इनकी कुंडली में बृहस्पति का गोचर आठवें भाव में होगा और 24 जनवरी को शनि का गोचर नवम भाव में होगा, जिससे पता लगता है कि इनको अप्रत्याशित रूप से उलटफेर का शिकार होना पड़ सकता है। हालांकि कुछ जगह इनका प्रदर्शन पहले से भी बेहतर रहेगा, लेकिन कुछ जगह इन्हें काफी हद तक निराशा का सामना करना पड़ सकता है।

इस प्रकार विभिन्न कुंडलियों के माध्यम से हमने जाना कि 2020 में हमारे देश के लिए राजनीतिक तौर पर क्या क्या संभावनायें बन रही हैं। राजनीतिक उठापटक से भरे इस वर्ष 2020 में देश को राजनीतिक तौर पर एक अच्छा समय देखने को मिले, ऐसी हमारी शुभकामनाएं हैं।

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