2020 में भारत की अर्थव्यवस्था पकड़ेगी रफ़्तार

साल 2020 में अपनी दस्तक दे दी है और अब हम यह गणित लगाने में व्यस्त हो चुके हैं कि यह साल अर्थात नव वर्ष हमारे देश भारत की आर्थिक स्थिति के लिए कैसा रहने वाला है क्योंकि देश की आर्थिक स्थिति प्रत्येक नागरिक पर अपना प्रभाव डालती है और महँगाई तथा अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर भी इसका प्रभाव दिखाई देता है। फरवरी के महीने में देश का बजट भी प्रस्तुत किया जाएगा जिस पर सभी की आखें टिकी हुई हैं।

पिछले काफी समय से भारत की अर्थव्यवस्था कुछ चुनौतियों से घिरी हुई दिखाई दे रही है। महँगाई में वृद्धि काफी हद तक हो चुकी है और हम देख रहे हैं कि प्याज के दाम भी बड़ी तेजी से ऊपर बढ़े थे और पेट्रोल और डीजल के दामों में भी वृद्धि देखने को मिली तो सर्वप्रथम हमारे मन में यही विचार उठता है कि क्या हमारा देश भारत आर्थिक चुनौतियों से ऊपर उठकर तरक्की कर पाएगा और क्या महंगाई दर में कमी आएगी और देश की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि देखने को मिलेगी? इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए हमने वैदिक ज्योतिष की सहायता ली है और विभिन्न ग्रहों, राशियों और अन्य ज्योतिषीय सिद्धांतों  के आधार पर यह जानने का प्रयास किया है कि वर्ष 2020 में हमारे देश का आर्थिक विकास किस दिशा में आगे बढ़ेगा। इसी उद्देश्य को लेकर हमने स्वतंत्र भारत की कुंडली के माध्यम से से इन प्रश्नों के उत्तर जानने का प्रयास किया है। आइए इन प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए  नजर डालते हैं वर्ष 2020 में भारत के आर्थिक भविष्य पर:

वर्ष 2020 और ग्रहों का गोचर

ग्रहों का गोचर सबसे महत्वपूर्ण होता है इसलिए सबसे पहले  वर्ष 2020 में मुख्य बड़ी ग्रहों के गोचर पर दृष्टि डालते हैं:

  • देव गुरु बृहस्पति 5 नवंबर 2019 से धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं और 30 मार्च 2020 को शनि के अधिपत्य वाली मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
  • वक्री अवस्था में 30 जून 2020 को बृहस्पति देव एक बार पुनः धनु राशि में वापस जायेंगे।
  • इसके पश्चात् मार्गी होने के उपरांत 20 नवंबर 2020 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
  • वर्ष 2020 की शुरुआत में 24 जनवरी को शनि का गोचर अपनी स्व राशि मकर में होगा।
  • सितंबर के महीने में राहु और केतु भी क्रमशः मिथुन और धनु राशि को छोड़ कर  क्रमशः वृषभ और वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे।

इस प्रकार ग्रहों के ये गोचर अपना विशेष प्रभाव वर्ष 2020 के दौरान दिखाएँगे।

भारत की कुंडली और 2020 की स्थिति

हमारा देश भारत एक विकासशील देश है जो तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है  और उस पर भारी जनसंख्या की आर्थिक और अन्य चुनौतियों को दूर करने का दबाव भी है। उसकी आर्थिक स्थिति को जानने के लिए हमको स्वतंत्र भारत की कुंडली का अध्ययन करना पड़ता है। स्वतंत्र भारत की कुंडली में लग्न राशि वृषभ है तथा चंद्र राशि कर्क है। भारत देश की प्रभाव राशि मकर भी मानी जाती है। स्वतंत्र भारत की कुंडली में शनि देव नवम और दशम भाव के स्वामी होकर प्रबल योग कारक होने के बाद तीसरे भाव में उपस्थित हैं तथा देव गुरु बृहस्पति अष्टम और एकादश भाव के स्वामी होकर छठे भाव में विराजित हुए हैं।

india 2020

स्वतंत्र भारत 

(15-8-1947, 0:0:1, नई दिल्ली)

  • बड़े ग्रहों के गोचर से देश की कुंडली में लग्न से मुख्य रूप से सातवां, आठवां और नवां भाव विशेष रूप से प्रभावित होगा तथा चंद्र राशि से पाँचवां, छठा और सातवां भाव।
  • पंचम भाव से जन्म दर, शिक्षा का स्तर, छठे भाव से देश के शत्रु, देश में होने वाली बीमारियाँ और कर्ज, सातवें भाव से देश की छवि, विदेशी व्यापार, आदि को देखा जाता है।
  • देव गुरु बृहस्पति का गोचर भारत की चंद्र राशि से छठे भाव में हो रहा है, जोकि लग्न से अष्टम भाव की राशि है। बृहस्पति का यह गोचर अनुकूल नहीं कहा जा सकता क्योंकि स्वतंत्र भारत की कुंडली में भी बृहस्पति अनुकूल स्थिति में नहीं है और वर्तमान समय में भारत चंद्रमा की महादशा और देव गुरु बृहस्पति की अंतर्दशा से गुज़र रहा है, जो कि 11 दिसंबर 2019 तक जारी रहेगी।
  • ग़ौरतलब है कि साल 2020 की शुरुआत में इसी धनु राशि में पहले से ही शनि और केतु विराजमान हैं तथा सूर्य ग्रहण भी दिसंबर में इसी राशि में लग चुका है, जिसका असर भी दिखाई देगा।
  • मेदिनी ज्योतिष के अनुसार अष्टम भाव मुख्य रूप से  देश की मृत्यु दर, सामाजिक सुरक्षा, गुप्त नीतियाँ, षड्यंत्र, राष्ट्रीय ऋण, प्राकृतिक आपदाएं तथा मुख्य रूप से कठिनाइयों के बारे में पता चलता है। बृहस्पति एक वृद्धि कारक ग्रह है, जो देश के संबंध में न्यायालयों और धर्म तथा धर्म गुरुओं के बारे में भी बताता है।
  • शनि लोकतंत्र का कारक ग्रह है और बृहस्पति लोकतंत्र के प्रभाव का द्योतक है। अष्टम भाव में इन दोनों ग्रहों की युति केतु के साथ होना देश में देश के लिए कठिन समय के बारे में बताता है।
  • इसी के प्रभाव से सरकार द्वारा टैक्स प्रणाली को और भी अधिक प्रभावशाली बनाना और टैक्स कलेक्शन भी बड़े स्तर पर किया जा सकता है।
  • इसके बाद शनि का गोचर स्वतंत्र भारत की राशि से सप्तम भाव और लगन से नवम भाव में होगा। यह शनि की अपनी राशि है। यहां आकर शनि काफी बड़े बदलाव लेकर आएगा, विशेष रूप से न्याय के क्षेत्र में जिसकी वजह से न्यायपालिका में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त भारत की आर्थिक स्थिति और प्रगति अवश्य होगी। भारत का बजट भी बेहतर रहेगा और उसका आकार बढ़ेगा। रक्षा बजट पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा और समाज के गरीब तबके के बारे में भी सरकार की कुछ योजनाएं फलीभूत होंगी। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्रों में सरकारी के साथ निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सकता है।

आइए अब इन सभी को और अधिक विस्तार से जानते हैं और यह समझने का प्रयत्न करते हैं कि आर्थिक विकास कैसा रहेगा। आमतौर पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और गणतंत्र दिवस के समय की कुंडलियों को भी अध्ययन में सम्मिलित किया जाता है, लेकिन क्योंकि यहां प्रश्न वर्ष 2020 की शुरुआत का है, इसलिए हमने ग्रहों की स्थितियों और दशाओं को ध्यान में रखकर ही भविष्य का हाल जाने का प्रयास किया है।

2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था

2020 के लिए सभी भारतीयों के मन में सबसे ज्वलंत प्रश्न है कि भारत की अर्थव्यवस्था आखिर किस दिशा में बढ़ेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था क्या यह सुधार की ओर जाएगी या और नीचे की ओर जा सकती है। कई रेटिंग एजेंसियों ने भी भारत की अर्थव्यवस्था को कम रेटिंग देनी शुरू कर दी है, जिससे यह सोच विकसित हो रही है कि देश की सरकार आर्थिक तौर पर असफलता की ओर बढ़ रही है।

बृहस्पति का धनु राशि में गोचर अर्थव्यवस्था के लिए अधिक अनुकूल दिखाई नहीं दे रहा है, इसलिए थोड़ी चिंता का विषय अवश्य होगा, लेकिन जैसे ही शनि महाराज मकर राशि में आएँगे देश की अर्थव्यवस्था गति पकड़ने लगेगी और जिस अर्थव्यवस्था को हम नीचे लटका हुआ महसूस करने वाले थे, वही अर्थव्यवस्था इतनी तेजी से ऊपर जाएगी कि कई लोग यह सोचने पर हैरान हो जाएंगे कि वास्तव में ऐसा कैसे हुआ।

शनिदेव के गोचर के बाद जब मार्च के अंत में बृहस्पति का गोचर भी मकर राशि में होगा, तब से यह प्रभाव दृष्टिगोचर होने लगेंगे और भारत की अर्थव्यवस्था द्रुतगति से आगे बढ़ेगी। सभी के अनुमानों को झुठलाते हुए भारत आर्थिक तौर पर प्रगति करेगा और देश का बजट भी वृद्धि के साथ पेश किया जाएगा। रक्षा बजट में भी जबरदस्त इज़ाफा होगा और आम जनजीवन को प्रभावित करने वाली योजनाओं की भी घोषणा होगी, जिसमें विशेष रूप से स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कोई बड़ी घोषणा हो सकती है।

इसके अतिरिक्त देश की कार्यप्रणाली को लेकर भी कोई खास घोषणा हो सकती है, जो शुरू में हो सकता है कुछ लोगों को कठिन लगे, लेकिन देश के लिए काफी अच्छी साबित होगी। इस दौरान विदेशी संपर्कों अर्थात विदेशों से भारत का व्यापार काफी व्यापक रूप से बढ़ेगा और भारत के स्वदेशी उद्योग को भी काफी हद तक बढ़ावा मिलेगा।

अर्थात देशी कंपनियां भी काफी अच्छा मुनाफ़ा कमा पाएंगी, जिसकी वजह से देश की आर्थिक व्यवस्था ऊपर की ओर जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र में कई स्थानों पर सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र की जिम्मेदारियों को भी बढ़ाया जाएगा और उनकी भागीदारी बढ़ने से भी लोगों को अच्छी सुविधाएँ मिलेंगी तथा आर्थिक तौर पर देश मुनाफ़े के रास्ते पर चल पड़ेगा।

रियल एस्टेट में चली आ रही समस्याएं भी दूर हो सकती हैं और सरकार उनके लिए कोई अच्छी घोषणा कर सकती है, जिससे रियल एस्टेट कारोबार भी ऊपर उठेगा। कर प्रणाली को और भी पारदर्शी बनाया जाएगा, जिससे कर चोरी की घटनाओं में कमी आएगी।

शनि ग्रह के प्रभाव के कारण संभव है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर और तेल व गैस के संदर्भ में किसी नई पॉलिसी अथवा राहत की स्थिति का जन्म हो।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि आने वाला समय वर्ष 2020 में भारत देश को आर्थिक तौर पर सुदृढ़ बनाएगा और भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की चुनिंदा देशों की अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर होगी। निश्चित रूप से इसकी राह में अनेक बाधाएं और चुनौतियाँ प्रस्तुत होंगी, लेकिन इन सब को दरकिनार करते हुए भारत तरक्की के रथ पर सवार होकर आगे बढ़ेगा।

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