मिलिए इन चार ‘श्रवण कुमार’ से जो कांवड़ में अपने माता-पिता को लेकर भोले के दर्शन कराने निकले हैं !

जैसा की आप सभी जानते हैं कि सावन के पवित्र माह में हर जगह शिव भक्तों में उल्लास देखते ही बनता है। ऐसे में जहाँ एक तरफ विभिन्न शिव धामों में शिव भक्तों की भाड़ी भीड़ उमर रही है वहीं दूसरी तरफ कांवड़ लेकर शिव जी का जलाभिषेक करने जाने वाले कांवड़ियों की भी धूम है। इसी बीच एक खबर आ रही है कलयुग में श्रवण कुमार बने उन चार भाइयों की जो कांवड़ में अपने माता-पिता को बिठाकर शिव धाम के दर्शन करवाने निकले हैं। आइये जानते हैं कौन हैं ये कलयुग के श्रवण कुमार जिनके चर्चे आजकल हर तरफ है। 

पानीपत के ये चार भाई बने हैं कलयुग के श्रवण कुमार 

आजकल जहाँ एक तरफ बच्चे अपन माँ बाप के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने से कतराते हैं वहीं दूसरी तरफ पानीपत हरियाणा के इन चार भाइयों ने इस घोर कलयुग में एक उदाहरण पेश किया है। जी हाँ बता दें कि पानीपत के रहने वाले चार भाइयों ने अपने बूढ़े माता पिता को कांवड़ में बिठाकर उत्तराखंड के हरिद्वार से शामली पहुंचे हैं। उनका कहना है कि सावन के इस पवित्र माह में उनके माता पिता की बड़ी इच्छा थी की वो शिव धाम जाकर शिव जी का जलाभिषेक करें। बस फिर क्या था चारों भाइयों ने माता पिता को शिव दर्शन कराने की ठान ली और कांवड़ में उन्हें बिठाकर निकल पड़ें शिवधाम के लिए। 

माँ-बाप के प्रति इस असीम श्रद्धा भाव के लिए चारों तरफ हो रही है प्रशंसा 

सबसे पहले आपको बता दें हरिद्वार से शामली के लिए अपने माँ बाप को कांवड़ में बिठाकर निकलने वाले ये श्रवण कुमार करीबन एक क्विंटल 35 किलो का वजन लेकर चल रहे हैं। उनके पिता का वजन करीबन 90 किलो है और माता 80 किलो की हैं। वाकई कबीले तारीफ हैं ये चारों भाई और उनकी सोच उनके इस काम से भी ज्यादा बड़ा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन चारों भाइयों का मानना है कि आजकल देश की युवा पीढ़ी इतनी माँ-बाप के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाहन नहीं करती है जबकि उन्हीं अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान उनकी देखरेख में देना चाहिए। 

चिलचिलाती धूप और तपती सड़क पर चलने के वाबजूद भी नहीं टूटी श्रद्धा 

बता दें कि कांवड़ में माता पिता को बिठाकर शिव दर्शन के लिए निकल पड़ें चार भाइयों की कहानी वाकई में काफी प्रेरणादायी और साहसी है। हर दिन ये चारों 12 घंटे चलते हैं फिर चारे बारिश हो या धूप और सबसे ज्यादा कमाल की बात ये है की इसके वाबजूद भी उनमें पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ ही माता पिता के प्रति आदर भाव में बिल्कुल भी कमी नहीं आयी है।

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